गुरुवार, 25 जून 2020

लेनिन महान उर्फ मेहनतकशों की आंख का तारा-4-लेखक – श्याम बिहारी वर्मा


 रानी-
 भावना की न धारा में अब तुम बहों  ,वक्त अब भी है स्थिति को पहचान लो .
छोड़ गद्दी दो ऐसे बशर के लिए ,जो कि लेनिन का दुश्मन हो, बलवान हो..
जान अपनी तो बच जाएगी इससे और ,उस बशर  पे  भी अपना इक एहसान हो .
खत्म इससे हो लेनिन  मिले राज फिर, पूरे सारे बच्चे अपने अरमानहों ..
बादशाह -
वक्त झुकने को कहता है झुक जाएँ हम ,पर हुकूमत का मालिक हमें बख्श दे.
 ऐसा कोई बशर तुम अगर ढूंढ लो , कि समर्थन जिसे अपना हर शख्स दे..
रानी -
एक इंसान ऐसा ही मौजूद है ,नेतृत्व की पूंजीपतियों का करता है वह .
शाख उसकी सारी जगह रूस में , और लेनिन से  बिल्कुल न डरता है वह  ..
गो कि तुमको हटाना है वह चाहता  दुश्मनी कम्युनिस्टों  से करता है वह.
है करेंसकी   नाम उसका भला ,राज करने की इच्छा पे  मरता है वह..
बादशाह -
माफ करना बुजुर्गों    सिंहासन को इस आज मजबूर हो के मै खुद छोड़ता.
 जिसको कायम किया तुमने  तलवार से, आज कमजोर हो के  मैं मुंह मोड़ता ..
 ए मंत्री गणों और सेनापति ,अब से  नौकर  न हो मैं तुम्हें छोड़ता.
 रूस का अब  भला सिर्फ भगवान करे ,सारे इंसानी रिश्ते मै खुद तोड़ता ..
कवि-
 इधर जार मजबूत हो गया राज को छोड़.
 करेंसकी  शासक बना बाधाएं सब तोड़ ..
करेंसकी -
रूस की है हुकूमत जो मुझको मिली आज मेरा मुकद्दर बदल जाएगा ,
जार की सारी ताकत अब पामाल है जल्द लेनिन का खतरा भी टल जाएगा .
पूंजीपतियों खजानों को दो खोल अब जार शाही का अंकुश जरा भी नहीं ,
हर तरह से हिफाजत हुकूमत को  हो है मुखालिफ  जो मौसम बदल जाएगा.
  अपनी संपत्ति लो चाहे जितनी बड़ा हमने आजाद बिजनेस का नारा दिया,
अपनी सरकार मजबूत लेकिन करो वरना सपनों का एक दुर्ग  जल जाएगा .
ध्यान लेनिन का  रखना है लेकिन कहीं ना हुकूमत मजूरों की कायम करें ,
जो फटीचर है वो फिर संभल जाएंगे और हमारा जनाजा निकल जाएगा ..
खाद्य मंत्री -
अच्छा था कि हुकूमत हमको मिली न होती,
जनता से आज अपनी अदावत दिली न होती .
ना दाना है पास अपने किसानों के घर भी खाली,
 भूखों की सुन के चीखे हिम्मत हिली  न होती .
हम रोकते क्यों पूंजी पतियों के खातमे को,
उनके जो साथ अपनी किस्मत सिली न होती.
जो जानती न जनता कमजोरियां हमारी ,
लेनिन की बांछें  फिर तो बिल्कुल खिली न होती..
 उद्योग मंत्री-
 कारखानों के मजदूर बागी हैं सब, एक लेनिन की जय कार करते हैं वह .
उनको शासन में लाना कठिन काम है, कि पुलिस फ़ौज से भी न डरते हैं वह..
 उनकी कुल मुल्क की यूनियन एक है ,और एका की खातिर तो मरते हैं वह .
उत्पादन की कैसे हम आशा करें ,काम लेनिन  के कहने पे करते हैं..
गृहमंत्री -
डर हुकूमत का बिल्कुल खत्म हो गया ,लोग जो चाहते कर रहे हैं वही .
है पुलिस लूट करने में सारी लगी, किसी अफसर से वह  डर रहे हैं नहीं..
 शांति कायम दोबारा हो फिर रूस में ,इसकी कोई फिक्र कर रहे हैं नहीं .
लाख कोशिश करो लाख हमले  करो , फिर भी कम्युनिस्ट तो मर रहे हैं नहीं ..
युद्ध मंत्री-
 फ़ौज  लड़ने से इंकार है  कर रही ,हमसे लड़ने का फौजी सबब पूछते .
खाइयों से सिपाही भागे आ रहे ,मरते अफसरों को जब  वो टोकते..
  फौज में भी है लेनिन  का गालिब असर ,दुश्मनों को नहीं है वो  अब रोकते.
 देश खतरे में है इसको है जानते ,युद्ध करने से फिर भी वो  मुंह मोड़ते ..
करेंसकी-
  आप लोगों ने ऐसे बताया हमें ,जैसे हमको है कुछ जानकारी नहीं.
 विदेशों से लेनिन  में यहां आ गया, आप लोगों को है समझदारी नहीं ..
फ़ौज अब भी बहुत अपने माफिक  सुनो जो, करती है सिर्फ चांदमारी नहीं .
मिटायेंगे कम्युनिस्ट  ताकत को हम,हमने  बाजी कभी कोई हारी नहीं ..
युद्ध मंत्री -
जर्मनी से लड़ाई खत्म न करें ,एक भी जिससे खाली सिपाही न हो .
ध्यान जनता का न दे तब अभावों  तरफ,युद्ध  स्थिति का उसको  पता ही न हो..
गर गए जीत युद्ध में हम तो फिर, कभी लेनिन की  वाह वाही न हो .
वरना   जितने दिनों तक लड़ाई चले ,कर ले मजबूत खुद को कोताही न हो..
 गृहमंत्री -
मुल्क की तब  हिफाजत में जनता जुटे , जर्मनी से जो चालू लड़ाई रहे .
फिर असंतोष उसका भी थम जाएगा, और अपनो भी इसमें  भलाई रहे ..
भूख और वस्त्र की तब फिकर कम रहे ,शांति से लोग करते कमाई रहे .
कम्युनिस्टों का पर संगठन तोड़ दो, उनकी आजाद ना कार्यवाही रहे..
 करेंसकी-
 आप सभी की राय से मिलती मेरी राय.
 करें काम इस ढंग से सब आफत टल  जाए..
 सब आफत टल जाए काम कुछ ऐसे करना होगा,
कम्युनिस्टों पर  सरेआम पाबंदी धरना होगा .
लागू कर दो कानून न अब हड़ताल कोई कर पाये,
 काम सभी मजदूरों को अब  पूरा करना होगा .
जिन फौजों पर पर सुबहा हो वह तुरंत हमें बतलाओ,
 ऐसी फौजों को  को सरहद पर अब जाकर लड़ना होगा.
 वफादार फौजों  को जल्दी सुनो इकट्ठा कर लो ,
गद्दारों से  मुल्क की उनको रक्षा करना होगा .
कह दो लेनिन का  हर चमचा अब मुल्क छोड़ भग जाए.
 नहीं मौतकुत्ते  से बदतर उसको मरना होगा..
कवि-
 हुक्म  करेंसकी का हुआ ,जब लागू सब ठौर .
दमन च्रक चलने लगा ,रूस में चारों ओर ..
क्रांति कारी भी  हुए छिपने  पर मजबूर .
गुप्त जगह पर लेनिन से बोले यूँ  मजदूर ..
एक मजदूर-
 जार शाही मिटी पर जुलम न मिटे ,खून अपना बहाना अभी और है.
 हर कदम पर गिरफ्तार होने का डर ,आप कहिए जहां में कहां ठौर  है..
 दूसरा मजदूर-
 लाख जाने गई और न कुछ हो सका, क्या यह बलिदान बेकार ही जायेगें.
 है गरीबों की किस्मत में रोना लिखा, पेट बच्चों का अपने न भर पाएंगे..
एक किसान -
डर हुकूमत का गांवों  में गालिब है अब,   सारे साथी रहे गांव को छोड़ है.
देख कम्युनिस्ट को ले  सिपाही कहीं ,हाथ और पांव देते हैं तोड़ है ..
लेनिन-
जुल्म मेहनतकशों पे जो है हो रहे ,एक सूरत से केवल वो मिट पायेगे .
 राज  मजदूर करने लगे रूस  पर ,खुद ब खुद ए लुटेरे तब भग जाएंगे ..
पहला मजदूर -
राज मजदूर का जल्द हो रूस में  जिंदगी दांव पर दी है लगा.
 उनके हथियार हमको रहे रोकते किसी साथी ने अब तक न की है दगा ..
लेनिन -
जिन पे सुबहा जरा भी दगा का  रहा ,लाल झंडा उनको न थमाया  गया.
क्रांति की कसौटी पे उतरा खरा , वह ही पार्टी का मेंबर बनाया गया..
 दूसरा मजदूर -
कामरेड बात सच्ची रहे तुम बता ,धोखा कोई कम्युनिस्ट करेगा नहीं.
गो कि दिक्कत बहुत असलहा है नहीं , चाहे मर जाए कोई डरेगा नहीं ..
लेनिन-
फ़ौज का हर सिपाही अमन चाहता ,इसलिए साथ लड़ने को तैयार है.
 अफसरों की खिलाफतकी परवाहनहीं , रखे तैयार सारे ही  हथियार है..
पहला मजदूर-
मजदूर लड़ने को तैयार है ,सिर्फ हथियार की उनको दरकार है.
 फ़ौज के साथियों का सहारा मिले ,तो समझ लो लुटेरों की फिर हार है..
लेनिन-
सागरों में जो फौजें रहीं घूम है ,क्रांति की सबसे बेहतर पुजारी है वो .
उनके मल्लाह शोषण को देगें मिटा ,कुछ भी करने की उनकी  तैयारी है जो..
 दूसरा मजदूर -

कितना मजबूत अपना है ये संगठन,ए हमारी समझ में है अब आ गया .
रास्ता तैं करो राज कैसे ले हम,सुखी  होने का वक्त अब आ गया..
लेनिन-
इससे पहले कि हम कार्रवाई करें ,राय सब साथियों की तुरंत जान ले .
है हर संगठन के यहां प्रतिनिधि ,जो करें  फैसला वहीं मान लें ..
मजदूर-
 अभी सभी साथी प्रतिनिधियों की मीटिंग बुला ली जाती है उसी में अगले प्रोग्राम का फैसला कर लिया जाएगा. कवि-
 सभी प्रतिनिधियों  की मीटिंग होती है जिसमें लेनिन सभी की राय पूछते हैं.
 स्थल सेना का प्रतिनिधि -
 शोला हर छावनी रूस की बन चुकी , सिपाही बगावत को तैयार है .
अफसरों की खिलाफत से साथी सुनों ,हर  कमेटी हमारी ही हुशियार है ..
जल सेना का प्रतिनिधि -
ए जिंदगी लगा दी हमने है दांव  पर ,
शोषण व हमने एक को मिटाना   जरूर है .
शमशीर है निकाली मेहनत करोशों की खातिर,
मिटने या जीतने का छाया सरूर है .
सारे समुन्द्र नदियों में गस्त कर रहे हैं ,
अपनी विजय का इससे हम को गुरूर है.
 जंगी  जहाज सारे डाले खड़े हैं लंगर ,
दुश्मन के हर किले पर निशाना जरूर है .
अब फैसला हो केवल बगावत पक्ष में,
तब जुल्म से बचेंगे जो बेकसूर हैं .
कारखाने के मजदूरों का प्रतिनिधि -
 कारखानें सभी दुर्ग है बन चुके ,
है और सिपाही बने सारे मजदूर हैं.
है हुकूमत को ताकत से अब छीनना,
कामयाबी नहीं हम से अब दूर है..
किसान प्रतिनिधि -
मजूरी जो खेतों में हैं कर रहे वो , सरासर बगावत को है चाहते .
साथ छोटे किसानों का  उनको मिला, भूमि पर अपना हक जो अब मांगते ..
 रेल मजदूरों का प्रतिनिधि -

 यूनियन जो हमारी थी पहले बनी ,क्रांति में साथ देगी न अपना कभी .
आम मजदूर पर क्रांति को चाहता बस बजा दो बिगुल क्रांति का तुम अभी ..
 लेनिन -
पूंजीपति सब एक हैं ,करेंसी की सरदार .
राज बचाने को सभी, लिए खड़े तलवार..
 लिए खड़े तलवार कि हम पर जुल्म कर रहे भारी,
 गांव- गांव में लूट मची डर से कांपें नर नारी .
अधनंगी मजदूर बहन की अस्मत खुलेआम लुटती,
 लाचार खड़े भाई के दिल पर चला रहे आरी .
इन डाकुओं के राज में भूखे नन्हें  मासूम पड़े रहते,
सिसक -सिसक रोटी माताएं हर पल आंसू जारी.
पैसे वालों के बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते ,
मजदूर के बच्चे करें मजूरी है कितनी लाचारी.
 मजदूर किसान ही मिल करके सारा सामान करें पैदा,
हक जमीदार पूंजीपति का है कैसी मक्कारी .
उठोरहें  बगावत ही तुम्हारी पास बाकी है,
 कि अब शासन चलाने की मजूरों की है बारी..
 कवि -
 किया बगावत का जभी लेनिन ने ऐलान.
 मजदूर सिपाही सब चले ,अपनी थाम कृपान ..
  राजधानी पर किया सर्वप्रथम अधिकार .
मुकाबला करता कहां  करेंसकी सुकुमार ..
 गया वह राजधानी से भाग ,
भाग्य गे  मेहनत कशन के जाग.
फिर किए इकट्ठा सेनापति सब ,
कहां यूँ भर ह्रदय  अनुराग.
 मिटा दो लेनिन की तकदीर,
 लगा दो साम्यवाद में आग..
  करेंसकी-
 ए लुटेरे फटीचर हुकूमत करें ,एक पल भी मुझको गवारा नहीं.
 जो जमीन पर रहे आसमां पर चढ़े ,आगे हरगिज़ हो ऐसा दोबारा नहीं ..
सेनापति-
 जो हुआ है ,नहींरोक  मिल रहा ,और आगे की उम्मीद हम क्या करें .
बाल बांका न लेनिन का कर सके, उनके साथी फिर हमसे भला क्या डरे ..
करेंसकी -
अब डराने की  केवल नहीं बात है, राज हाथों से अपने अब जा रहा .
 जां लड़ा कर अगर हम इसे  छीन ले ,होगा माफिक कि जो वक्त है आ रहा ..
सेनापति-
चंद शहरों है ए बगावत अभी ,फ़ौज काफी अभी तक वफादार है .
एक हल्ले में गर ये  मिटा न मिले, फिर तो  मिटने के अपने ही आसार हैं..
 करेंसकी -
 या तो मिट जाओ खुद या मिटा दो उन्हें ,राह दूजी कोई अब गवारा नहीं .
राज लेनिन करेगा अगर रूस  पर ,फिर है जीने का कोई सहारा नहीं..
 हमने मिटने की अपनी न परवाह किया ,हक मजदूरों को पूरा कभी न दिया.
 पूंजीपतियों तुम्हीं  अब सहारा बनो, रूस में और कोई हमारा नहीं ..
फौज के अफसरों संग  हमारे रहो ,और उम्मीद लेनिन  से कुछ न करो .
हुक्मरां हम नहीं रूस के गर  रहे ,फिर है हमदर्द कोई तुम्हारा नहीं ..
सब शरीफों को लेनिन  फटीचर करें ,उसका एलन अब  है यही हो रहा .
उनका दर्जा मजूरों सा  हो जाएगा, जो न गफलत  में हम को पुकारा कहीं .
सैकड़ों साल से जो ऐश कर रहे ,जमीनों के मालिक अब तक रहे .
 हैसियत ले बचा जां लगा दांव  पर,वरना  मिलता है मौका दोबारा नहीं ..
सेनापति -
खाते पीते लोग सब देंगे अपना साथ .
यदि हम बैठे न रहे धरें  हाथ पर हाथ..
 धरे हाथ पर हाथ भला हम कैसे रह पाएंगे .
अगर न करते वार चोट गहरी खा जाएंगे ..
लेनिन के हाथों से मरना हमको हरगिज न गंवारा है.
जीतेंगे या फिर मैदानों   में हम वीर गती पाएंगे ..
जितने जनरल मशहूर यहाँ ,हर युद्ध जिन्होनें जीता है,
संचालन युद्ध करने को ,सब साथ हमारे आएंगे.
 चौदह  ताकतवर देशों की फौज अब रूस के अंदर हैं ,
कम्युनिस्ट न अबकी बच सकते ,सब घेर के मारे जाएंगे .
अब करेंगे कल से हम हमला ,हर हमला जीत में बदलेगा ,
परसों पर प्रातः राजधानी में, विजई लश्कर पहुंचाएंगे ..
कवि -
बड़ा करेंसकी फ़ौज  ले ,राजधानी की ओर .
उसकी जीतों का हुआ पेट्रोग्रांड  में शोर ..
पेट्रोग्रांड  में शोर  मच गया फ़ौज  विदेशी आने  का,
 चौदह  देशों ने अहद किया लेनिन सिद्धांत मिटाने का
 इन सब की फौजों ने मिलकर लेनिन की ताकत को घेरा ,
रास्ता न मिले कम्युनिस्टों को  फिर अपनी जान बचाने का ..
बड़े-बड़े शाही जनरल अपनी फौजें ले टूट पड़े ,
मकसद था इन मजदूरों को शासन से तुरंत हटाने का .
लेनिन मजदूर किसानों के नेताओं से तब यू बोले,
 खुशहाल भविष्य अगर चाहो है वक्त ए खून बहाने का ..
लेनिन-
मजा हैपेट्रोग्रांड में शोर .
बढ़े आ रहे मजदूरों दुश्मन चंहू  ओर  मचा है ......
घटा मुसीबत की है रूस पर छाई अब  घनघोर. मचा है ...
 खतरे में है लाल हुकूमत जिंदगानी मजदूरों की,
 सभी संगठित आज हो गए है सम्पति के चोर .मचा है ..
 प्रथम बार अब मुक्ति मिली है तुम्हें लूट और शोषण से ,
मुफ्त खोर है तुम्हें मिटाने और मुनाफा खोर, मचा है...
 मेहनतकश तलवार उठा ले बेईमानों मक्कारों पर ,
तमन्ना है मिट जाने की है लगा ले पूंजीपति सब जोर . मचा है ...
मल्लाहों  का प्रतिनिधि-
सारी जल सेना मिटने को तैयार है ,क्रांति को है बचाना किसी भी तरह.
 क्रांति की हार ग्चें कहीं जो हुई ,मरना तो पड़े गीदड़ों की तरह..
शेष



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