सोमवार, 4 अप्रैल 2022

अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बलिया प्रशासन ने पत्रकारों को बनाया ‘बलि का बकरा

उत्तर प्रदेश: अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बलिया प्रशासन ने पत्रकारों को बनाया ‘बलि का बकरा
- अश्वनी कुमार सिंह उत्तर प्रदेश सरकार नकल रोकने को लेकर तमाम दावे करती रही लेकिन उनकी पोल तब खुल गई जब बलिया जिले में 12वीं कक्षा का पेपर लीक हो गया. एक दिन के अंतराल पर यहां दो विषयों का पेपर लीक हुआ. इसके बाद जब प्रशासन पर सवाल खड़े हुए तो जिन पत्रकारों ने यह खबर प्रकाशित की थी पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. अमर उजाला के बलिया एडिशन में 30 मार्च को परीक्षा लीक की खबर प्रकाशित हुई थी. खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और धरपकड़ शुरू कर दी. हैरानी की बात है कि जिस पत्रकार ने जिला अधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और जिला विद्यालय निरीक्षक को पेपर लीक होने की सूचना दी, उसे ही पूछताछ के बहाने थाने बुलाकर बैठाए रखा और फिर शाम को जेल भेज दिया. क्या है पूरी घटना उत्तर प्रदेश में बोर्ड की परीक्षा चल रही हैं. प्रदेश सरकार का दावा है कि उसने नकल रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इस बीच बलिया में पेपर लीक होने की खबर आई. बलिया से अमर उजाला के पत्रकार अजीत ओझा और दिग्विजय सिंह की इस खबर को अखबार ने प्रकाशित किया था. हालांकि यह कोई बाइलाइन खबर नहीं थी. यह खबर ‘संवाद न्यूज़ एजेंसी’ बाइलाइन से प्रकाशित हुई थी. खबर में बताया गया कि हाईस्कूल का संस्कृत का पेपर 29 मार्च, मंलगवार को था. लेकिन पेपर और उत्तर पुस्तिका दोनों सोमवार रात को ही सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं. साल्व पेपर मंगलवार को हुए पेपर से मैच भी कर रहा था लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने पेपर आउट मानने से इंकार कर दिया. वहीं 12वीं कक्षा का पेपर 30 मार्च को था, जो 29 मार्च की शाम से ही वायरल होने लगा. यह खबर अखबार में 30 मार्च को छपी. जिसके बाद आनन-फानन में प्रदेश सरकार ने पेपर लीक होने की बात को माना और बलिया समेत 24 जिलों में परीक्षा को रद्द कर दिया. इस लापरवाही की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने की बात कही गई. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बताया कि जिन सेट्स के लीक होने की आशंका थी, उन्हें आगरा, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, बागपत, बदायूं, शाहजहांपुर, उन्नाव, सीतापुर, ललितपुर, महोबा, जालौन, चित्रकूट, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, गोंडा, गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया, वाराणसी, कानपुर देहात, एटा और शामली में भेजा गया था इसीलिए यहां भी पेपर रद्द कर दिए गए हैं. बोर्ड ने अब इन जिलों में परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया है. यहां अब परीक्षा 13 अप्रैल को होंगी. प्रशासन की नाकामी बलिया पेपर लीक मामले में अभी तक 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन गिरफ्तार लोगों में पत्रकार दिग्विजय सिंह, अजीत ओझा और एक अन्य पत्रकार मनोज गुप्ता शामिल हैं. बलिया में अमर उजाला के लिए काम करने वाले पत्रकार श्याम शर्मा न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “पेपर लीक की खबर 30 मार्च को छपने के बाद, अजीत ओझा ऑफिस में थे. उन्हें डीएम ने फोन कर अंग्रेजी का लीक पेपर व्हाट्सएप पर मांगा, जिसे उन्होंने भेज दिया. इसके कुछ देर बाद उन्हें ऑफिस से पुलिस थाने ले गई.” अमर उजाला के बलिया संस्करण में करीब 10-12 लोगों की टीम है. जिसमें संपादकीय टीम के अलावा मार्केटिंग टीम भी शामिल है. अखबार के बलिया ब्यूरो चीफ संदीप सिंह न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “जिस वक्त पुलिस अमर उजाला के ऑफिस पहुंची थी उस वक्त ऑफिस में अजीत ओझा और चपरासी मौजूद थे.” पुलिस अजीत ओझा को थाना कोतवाली ले गई. जिसके बाद स्थानीय पत्रकार भी पुलिस स्टेशन पहुंच गए और ओझा को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे. संदीप सिंह कहते हैं, “पहले पुलिस ने कहा कि पेपर लीक को लेकर पूछताछ करनी है, फिर कहा कि एसआईटी आ रही है वह पूछताछ करेगी, ऐसे करते-करते शाम हो गई.” वह आगे कहते हैं, “थाने में जो विरोध प्रदर्शन हुआ वह शाम करीब 7:30 बजे तक चला, इस दौरान थाने में मौजूद अजित ओझा भी इस प्रदर्शन में शामिल हो गए, लेकिन पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी 6 बजे की दिखाई. यह कैसे मुमकिन है?” जिस वक्त अजीत थाने में मौजूद थे उस समय उन्होंने पत्रकारों से बताया कि कोतवाल ने अपराधी की तरह व्यवहार करते हुए अमर उजाला के दफ्तर में तोड़फोड़ की और मुझे जबरन गाड़ी में बैठाकर कोतवाली ले गए. हम नहीं आ रहे थे तो हमारे सहयोगियों के साथ धक्का-मुक्की की गई. अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर अखबार के एक कर्मचारी कहते हैं कि बलिया में अमर उजाला के क्षेत्रीय संवाददाता को कहीं से प्रश्न पत्र की फोटो मिली थी. इसके बाद संवाददाता ने ब्यूरो चीफ को बताया, तो उन्होंने इस पर खबर लिखने के लिए कहा. जब सुबह डीएम को पेपर लीक की खबर पता चली तो वह नाराज हो गए और करीब 10 बजे उन्होंने वायरल पेपर का अंग्रेजी के पेपर से मिलान किया. जिसका कोड वायरल पेपर से मैच कर रहा था. इसके बाद जहां-जहां यह पेपर गया था उन 24 जिलों में पेपर को रद्द कर दिया गया. कर्मचारी कहते हैं, “अब नाराज डीएम का कहना है कि इस मामले में अमर उजाला के संवाददाता को किसी संबंधित अधिकारी का वर्जन लेना चाहिए था. तब अखबार में खबर प्रकाशित करनी थी. वर्जन क्यों नहीं लिया गया और ऐसे कैसे आपने पेपर की फोटो अखबार में छाप दी. अब पुलिस का कहना है कि आप उस आदमी का नाम बताइए जिसने आपको अंग्रेजी के पेपर की फोटो दी है. इसके बाद पुलिस ने पत्रकारों और शिक्षकों की गिरफ्तारियां शुरू कर दीं.” बड़े स्तर पर हुईं गिरफ्तारियां बलिया जिला प्रशासन ने पहले तो संस्कृत पेपर लीक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन अग्रेजी का पेपर लीक होने की खबर के बाद प्रशासन हरकत में आया. संवाददाता श्याम शर्मा कहते हैं, “अंग्रेजी पेपर लीक की खबर अमर उजाला ने बलिया पेज पर प्रमुखता से छापी, इस खबर को राष्ट्रीय सहारा ने भी छापा लेकिन उतनी प्रमुखता से नहीं. हालांकि इसके अलावा इस खबर को और किसी संस्थान ने प्रकाशित नहीं किया” 30 मार्च को अजीत ओझा और बृजेश मिश्रा को 156/22 धारा 420, 4/5/10 उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 व धारा 66बी आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया. इसके बाद अगले दिन पत्रकार दिग्विजय सिंह, मनोज गुप्ता और अन्य लोगों की गिरफ्तारी की गई. इस पर बलिया के एसपी राजकरन नय्यर ने मीडिया को बताया, “तीन अलग-अलग (कोतवाली, सिकंदरपुर और नगरा) थानों में केस दर्ज हुए हैं जिसमें अभी तक 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पत्रकारों की इस मामले में भूमिका को लेकर अभी कुछ नहीं कह सकते हैं लेकिन जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उनकी जो भी भूमिका है उसको लेकर कार्रवाई हो रही है.” पत्रकार दिग्विजय सिंह को जब पुलिस गिरफ्तार करके ले जा रही थी तब उन्होंने “बलिया डीएम चोर है, बलिया एसपी गुंडा है. बलिया डीएम नकलखोर है. बलिया पुलिस मुर्दाबाद” का नारा लगाया.” गिरफ्तारी से पहले मीडिया से बातचीत में सिंह ने कहा, “बलिया के कई क्षेत्रों में नकल की जा रही थी. मैंने अपने सूत्रों के जरिए संस्कृत हाईस्कूल का हल पेपर लिया और उसे अखबार को भेज दिया और अखबार में छपा. दूसरे दिन अंग्रेजी का पेपर भी छपा जिसके बाद प्रशासन की पोल खुल गई.” वह आगे कहते हैं, “जो डीएम कहता था हम बुलडोजर चलवाएंगे, सबकों नंगा करवाएंगे वह खुद नंगा हो गया. और गुस्साएं हुए डीएम ने मुझे और मेरे साथी पत्रकार अजीत ओझा को गिरफ्तार करवा दिया. अभी भी खुले तौर पर नकल चल रही है, खुली चुनौती नकल माफियाओं ने प्रशासन को दी है, लेकिन बलिया प्रशासन अपनी गलती नहीं मान रहा है. वह पत्रकारों का, अखबार का मुंह बंद करना चाहता है और चौथे स्तंभ पर हमला बोलना चाहता है ताकि हम चुप हो जाएं.” सिंह ने कहा, “तीन दिन से मेरा उत्पीड़न किया जा रहा है. नकल माफियाओं को गिरफ्तार करने की बजाय मुझसे पूछ रहे हैं कि कहां से पेपर मिला. जितने लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है उसमें से कोई भी नकल माफिया के लोग नहीं है. सिर्फ निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया है.” वहीं बलिया पुलिस का कहना है कि अब तक की विवेचना में प्राप्त सबूतों के आधार पर ही गिरफ्तारियां हुई हैं. पुलिस के मुताबिक जिनकी गिरफ्तारी हुई है उनमें एक पत्रकार और एक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं जो वर्तमान माध्यमिक परीक्षा में एक परीक्षा कक्ष में निरीक्षक का कार्य कर रहे थे. हालांकि पुलिस ने पत्रकार का नाम नहीं लिया है लेकिन बताया जा रहा हैं वह अजीत ओझा हैं. अखबार का पक्ष अमर उजाला के एक पत्रकार कहते हैं, “दुख की बात है कि अमर उजाला अपने पत्रकारों के साथ नहीं खड़ा है. ऊपर से इतना प्रेशर है कि अब कोई इससे संबंधित खबर तक नहीं छप रही है. पूरे अमर उजाला में चर्चा है कि पुलिस और सरकार दोनों का संस्थान पर बहुत प्रेशर है. इसलिए इस मामले में सबने चुप्पी साध ली है. यही नहीं साधारण खबर के अलावा सरकार या पुलिस प्रशासन के रवैये और पेपर से संबंधी किसी भी संस्थान में अब खबर नहीं छप रही है. इस मामले को अब तूल न दिया जाए सभी को साफ तौर पर बोला गया है.” वह आगे कहते हैं, “नई-नई सरकार बनी है और इतना बड़ा मामला हो गया इसलिए शासन-प्रशासन दोनों परेशान हैं.” वहीं बलिया स्कूल के एक प्रबंधक नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, “हमारे स्कूल में तो परीक्षा सेंटर भी नहीं था तब भी हमारे तीन मास्टरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हमारे पीछे भी पुलिस पड़ी हुई है. हम भागे हुए हैं. स्कूल चलाने वालों में खौफ का माहौल है.” वह आगे कहते हैं, “अभी ये मामला शांत हो जाए फिर सरकार से लड़ा जाएगा. सरकार अच्छा नहीं कर रही है. अपनी नाकामी छिपाने के लिए निर्दोष लोगों को मोहरा बना रही है.” वहीं संस्थान के रवैए पर ब्यूरो चीफ संदीप सिंह कहते हैं, “हम और हमारा संस्थान पत्रकारों के साथ खड़ा है. मैंने थाने में कहा कि ब्यूरो चीफ के तौर पर अखबार में छपी खबर को लेकर मेरी जिम्मेदारी है इसलिए आप मुझे गिरफ्तार करें.” वह कहते हैं, “जिलाधिकारी क्यों नहीं सवालों के जवाब दे रहे हैं, वह भागे-भागे फिर रहे हैं. इतने दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रशासन यह नहीं पता लगाया पाया कि पेपर लीक का मास्टरमाइंड कौन है. यहां के जिलाधिकारी की जो हिटलरशाही है, अपने आप को बचाने के लिए उन्होंने सारे विरोध को दबा दिया लेकिन अपनी लड़ाई को हम अंतिम परिणाम तक पहुंचाकर ही रहेगें.” संदीप सिंह संस्कृत का पेपर लीक होने के बावजूद रद्द नहीं किए जाने पर प्रशासन पर सवाल खड़े करते हैं. वह कहते हैं कि लीक पेपर और असली पेपर, जिसका एग्जाम हुआ, दोनों की जांच करवा लीजिए एक-एक सवाल मैच हो रहा है. इतना बड़ा मामला हो जाने के बावजूद डीएम पत्रकारों के सामने नहीं आ रहे हैं. पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को बलिया डीएम कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचा, लेकिन जिलाधिकारी नहीं मिले. जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल के नाम ज्ञापन प्रशासन को सौंपा. ज्ञापन में जिला प्रशासन पर उदासीनता व घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पूरे प्रकरण में डीएम बलिया को दोषी ठहराया है. संदीप सिंह कहते हैं, “डीएम कुछ बोल नहीं रहे हैं. सरकार को सामने आकर जवाब देना चाहिए. क्या सिर्फ विज्ञप्ति छापने के लिए पत्रकार पैदा हुए हैं. क्या सिर्फ उसी के लिए पत्रकारिता कर रहे हैं कि वह जो विज्ञप्ति देंगे वह सभी अखबारों में छप जाएगा.” पत्रकार अजित ओझा के बतौर शिक्षक काम करने के सवाल पर वह कहते हैं, “क्या एक अध्यापक पत्रकार नहीं हो सकता. क्या वह कोई गैंगस्टर या माफिया है जो अध्यापक नहीं हो सकता. अध्यापक होना कोई गुनाह है क्या?. अगर प्रशासन के पास कोई सबूत है तो पत्रकार के खिलाफ वह कार्रवाई करे. लेकिन वह बतौर अध्यापक काम कर रहे हैं यह कोई गुनाह नहीं है.” संस्थान द्वारा क्या किया जा रहा है, इसपर वह कहते हैं, “जो उचित मंच है वहां सब लोग बात कर रहे हैं. संस्थान पत्रकारों की लड़ाई लड़ रहा है, वह सबके सामने आ आएगा.”

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