बुधवार, 9 नवंबर 2022

यूपी रोडवेज को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया जनता और प्रदेश के हित में नहीं - अरविन्द राज स्वरूप

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव कामरेड अरविन्द राज स्वरूप ने कहा कि सरकार का यह निर्णय उत्तर प्रदेश के रोडवेज की 75 परसेंट संचालन को अनुबंधित निजी बसों के मालिकों को सौंप दिया जाएगा। इस निर्णय को वापस लिया जाए।यह आत्मघाती है और प्रदेश के हित में नहीं है , ना ही कर्मचारियों और जनता के हित में है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वर्तमान में 75 परसेंट बसें रोडवेज चलाता है और 25 परसेंट बसें अनुबंधित हैं परंतु जनता जिन 25% अनुबंधित बसों में बैठती है उनकी हालत बहुत खराब है वह छोटी बसें होती हैं उनकी सीटें बड़ी खराब होती हैं 2 वाली सीट पर तो दो लोग ठीक से बैठ नहीं सकते और उनका स्टाफ भी उतना संजीदा नहीं होता है जितने की सरकारी रोडवेज की बसों के स्टाफ संजीदा होते हैं ।हम यह भी देख रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के राज में सार्वजनिक संपत्ति को निजी हाथों में खुल्लम-खुल्ला सौंपा जा रहा है और देश का भारी नुकसान किया जा रहा है। यद्यपि यह अलग बात है कि रोडवेज और सरकार के नकारा पन से रोडवेज बस बहुत पुरानी हो गई हैं ।एक तरह से खरखड़ा बसे बन गई है । ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश रोडवेज के पास लगभग 11485 बसों का बेड़ा है और इसके माध्यम से रोजाना 123.35 करोड़ यात्री 43.3 करोड़ किलोमीटर सफर करते है जिससे रोडवेज को सालाना 4473 करोड़ से अधिक की सालाना आय प्राप्त होती है। अब यह बड़ी आत्मघाती बात है कि जो डिपार्टमेंट सरकार को भी राजस्व दे रहा है अब सरकार बड़े होशियारी से उसको निजी पूंजी पतियों के हाथ में धीरे-धीरे पकड़वाना चाहती है ।ऐसा करना प्रदेश के हितों के विपरीत है । इतना ही नहीं 75% बसों को अनुबंध पर चलाए जाने से रोडवेज में कार्यरत 55000 कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा ।रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी आशंका व्यक्त की है कि सरकार का यह कदम रोडवेज के निजीकरण की तैयारी है । कामरेड स्वरूप में पुरजोर तरीके से कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मांग करती है कि सरकार इस आत्मघाती कदम को तत्काल प्रभाव से वापस ले और रोडवेज को और कुशल बनाएं तथा नइ बसों को बड़े में शामिल शामिल करे।

कोई टिप्पणी नहीं:

Share |