मंगलवार, 26 सितंबर 2023
संघ को पहचानों - डाँ सुरेश खैरनार
आज हम कहाँ ? और आर एस एस कहाँ ?
साथियों यह पोस्ट मै, किसी को भी निचा या उंचा दिखाने के लिए नहीं लिख रहा हूँ ! मैं उम्र के बारहवें साल का था ! तबसे राष्ट्र सेवा दल का सैनिक हूँ ! और गिनकर उम्र के बीसवें साल का था ! (1973-1976 आपातकाल के समय, जेल में जाने के कारण ! इस्तीफा देना पड़ा ! ) तब तक पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की भूमिका में रहा हूँ !
और वर्तमान देश की स्तिथी जिसमें सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हमारे आजादी के बाद सबसे अधिक बढने के कारण, मुझे चालिस साल के अंतराल के बाद ( 2017 - 2019) तक दो साल के लिए सर्वसम्मति से राष्ट्र सेवा दल का अध्यक्ष बनाया गया था ! और मैंने अध्यक्ष के पद ग्रहण करने के बाद ! पहले ही संबोधन में सभी प्रतिनिधियों को कहा था ! "कि मैं सिर्फ और सिर्फ संघमुक्त भारत बनाने के लिए ही, चालिस साल के अंतराल के बाद ! राष्ट्र सेवा दल का अध्यक्ष बना हूँ ! मुझे उम्र के तीस साल का था तभी से मुझे अध्यक्ष होने का आग्रह किया जा रहा था ! लेकिन हमारे बच्चे होने की वजह से, और मॅडम खैरनार सरकारी नौकरी होने की वजह से मैंने खुद ही घरेलू जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अपना पूरा समय हाऊस हज्बंड के रूप में देने की जिम्मेदारी में व्यस्त था ! इस कारण मैंने नहीं कहा था ! और जब देश की हालत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से गंभीर अवस्था में चली गई तो उम्र के साठ साल पार करने के बावजूद मैं राष्ट्र सेवा दल का अध्यक्ष बनने के लिये तैयार हुआ था !
और 'मेरी संघ मुक्त भारत' घोषणा से, इस सभा में एक भी सदस्य ने असहमति व्यक्त करते हैं, तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हूँ ! क्योंकि मेरे हिसाब से आज की तारीख में भारत की सबसे बड़ी समस्या ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संपूर्ण देश में कोने - कोने में हुए फैलाव को रोकने के लिए ! राष्ट्र सेवा दल एकमात्र ऐसा संघठन हैं, जो उसका पर्याय बनने का माद्दा रखता हो ! इसलिए मैंने अध्यक्ष बनने का निर्णय लिया ! और आज यह घोषणा कर रहा हूँ !" और खुशी की बात है ! कि एक भी प्रतिनिधि ने, मेरे संघमुक्त घोषणा को विरोध नहीं किया ! इसलिए मैंने अपने अध्यक्षता के चयन को दो साल तक निभाया !
और उस हिसाब से मैंने तुरंत बंगाल, बिहार, झारखंड का संयुक्त शिबिर मधुपूर ! और बंगाल के तिलुतिया में, फिर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू - कश्मीर, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, आसाम तथा उत्तर पूर्व, ओरिसा, छत्तीसगड तथा आंध्र - तेलंगण और तमिलनाडु गोवा, गुजरात,केरल, दिल्ली, हरियाणा मतलब देश के सभी राज्यों में ! राष्ट्र सेवा दल के गतिविधियों को फैलाने के संभावना - शक्यताओ की तलाश करने का प्रयास किया ! और जहाँ अनुकूल स्थिति दिखाई दी ! वहां के पांच - छ बार चक्कर लगाने का काम किया ! उसी दरम्यान कुछ जगहों पर शिबीर, संमेलन हुए ! दो साल बाद (2019) अध्यक्षता से मुक्त हो गया ! लेकिन राष्ट्र सेवा दल का सैनिक मरते दम तक रहने वाला हूँ !
अचानक यह किताब हाथ लगी " THE RSS AVIEW TO THE INSIDE, नामकी दो लेखकों की मिलकर लिखि हुई ! (Walter K. Andersen & Shridhar D. Damle)और किताब को देखते हुए लगा कि इसे ढंग से पढने की जरुरत है ! और रातको दो बजे तक पढ रहा था !
सबेरे उठने के बाद लगा कि आप लोगों के साथ, आर एस एस की संघटनात्मक फॅक्ट और फिगर्स शेअर करू ! ताकी हम अपने पढ़ने लिखने, बोलने के समय आर एस एस की सौ साल की यात्रा में ! संघटनात्मक ताकत क्या है ? तो उसके साथ मुकाबला करने के लिए तैयारी किस तरह तैयारी कर सकते ! अन्यथा हवाई बातें करने से क्या होगा ?
पेंगुइन इंडिया ने 2018 मे छापी है ! वैसे तो Left Word ने भी A G NOORANI की 547 पनौ की किताब, इस किताब के एक साल बाद 2019 में छापा हैं ! और देशराज गोयल, जो खुद ही काफी समय से आर एस एस संबंधित रहे हैं ! उनकी भी 'आर एस एस शिर्षक' से किताब हिंदी अंग्रेजी में उपलब्ध है ! और भंवर मेघानी तथा प्रोफेसर शमशुल इस्लाम, डॉ. राम पुनीयानी, प्रोफेसर जयदेव डोळे, तथा प्रोफेसर रावसाहेब कसबे, डॉ. बाबा आढाव,देवानूर महादेवन तथा मधु वाणि तथा हमारे जैसे कार्यकर्ताओं के हजारों की संख्या में लेख वीडियो सामुग्री उपलब्ध है ! लेकिन इस किताब में दोनों लेखकोंने अकादमीक तरीके से ! बगैर कोई भी टिका - टिप्पणी न करते हुए ! तटस्थ भाव से 405 पनौ की इस किताब को लिखा है !
जिसमें संघ की वर्तमान संघटनात्मक ताकत ! 1990 के बाद विश्व का सबसे बड़ा संगठन ! दो करोड़ रोज की गतिविधियों में भाग लेने वाले लोगों से ! लेकर, दैनिक 57000 शाखा, और14000 साप्ताहिक शाखा, 7000 मासिक शाखाओं , का विस्तार 36,293 देश के विभिन्न क्षेत्रों में ! यह 2016 के आंकड़े है ! 2015 से 16 के दौरान 51,332 से 57000 की संख्या में शाखाओं की वृध्दि हुई है ! 6000 प्रचारकों के सहयोग से ! हिंदू राष्ट्रवाद का प्रचार-प्रसार करने के लिए लामबंद है !
इसके अलावा 1980 बाद आखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम, विश्व हिंदू परिषद, के अलावा, जिवन हर क्षेत्र के लिए अलग - अलग इकाइयों का गठन किया है ! जिसमें विज्ञान भारती, ज्ञान प्रबोधिनी जैसे महत्वपूर्ण संस्था है ! इसके अलावा दिनदयाल शोध संस्थान, रामभाऊ म्हाळगी अकादमी, जैसे संस्थानो का निर्माण किया गया है !
वैसेही देवरस के संघप्रमुख बनने के समय ! वह पहले संघप्रमुख थे ! जिन्होंने पहचाना की, भारत जैसे बहुजातिय देश में संघ का ब्राह्मणी स्वरूप बदलने की आवश्यकता है ! और उन्होंने उसे बदलने की, ऐतिहासिक सुरूवात की ! और इस कारण से उन्होंने ! आदिवासीयो अपने काम को बढ़ावा देने के लिए ! 'वनवासी कल्याण आश्रम, की स्थापना करके के ! आरोग्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में ! और मुख्यतः आदिवासीयो के क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में कल्याण कारी ! कार्यक्रम के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा !
उनके कार्यकाल में 5000 प्रोजेक्ट से, 1989 में दस गुना वृद्धि करने के कारण! 1998 में 1,40,000, 2012 में 1,65, 000 प्रोजेक्टो की संख्या बढी है ! देवरस ने महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों के दौरे के बाद ! पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि "45-48 विभागीय (संघ भारत की संघीय व्यवस्था को नहीं मानता है ! इसलिए उन्होंने अपनी भाषा में ! और अपनी सुविधा से विभाग निर्माण किए हैं !) कार्यकर्ताओं को शुद्ध रूप से सेवा के क्षेत्र में काम करने के लिए विशेष रूप लामबंद होने की जरूरत है ! सबसे अहं बात ! बीजेपी और संघ के साथ, जनयोजनाओ को लेकर एक गोष्ठी आयोजित करने के बाद ! दोनों के बीच संवाद बढ़ाने की शुरुआत की !
और नितीगत योजनाओं को लेकर ! जनता के साथ उसे उजागर करने की शुरुआत की ! और इस तरह भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक मामलों में ! एक दूसरे के साथ ! आदान- प्रदान व सहयोग को मजबूत बनाने का महत्वपूर्ण शुरुआत भी की है !
गोलवलकर और हेडगेवार की तुलना में ! जो कि प्रथम और द्वितीय प्रमुख लगभग संघ के 98 साल के सफर में 48 साल उस पदपर रहे हैं ! और अगर देवरस के 21 साल मिला दें तो 69 साल का कार्यकाल, पहले तीन संघप्रमुखको का ही होता है ! और वह संघ के सौ साल की उम्र में कम-से-कम तीन चौथाई हिस्सा आता है !
और आज का संघ, उनकी मेहनत और कल्पना से ही मौजूद है ! बहुत लोग संघ को एकचालकानुवर्त जैसे आरोप करते हैं ! लेकिन आज संघ के देशभर के काम के फैलाव को देखते हुए ! लगता है कि उन्होंने बहुत ही जमीनी स्तर पर सोच विचार करने के बाद ! इस तरह का संगठनात्मक भाग बनाया ! ताकि उसे स्थाई रूप दे सके !
इसके उल्टा अधकचरे लोगों ने जनतंत्र की नकल करने के चक्कर में ! अपने संघठनो में तथाकथित चुनाव की नकल कर के ! वर्तमान चुनाव पद्धति की सभी विकृतियों के साथ ! वह चुनाव का खेल खेलने के लिए ! नकली सभासदों से लेकर ! अन्य चुनाव की सभी धांधलीयो के सहारे ! उन तथाकथित हथकंडेअपनाकर !
तथाकथित जनतांत्रिक प्रयोग करते हैं ! और अपने मनमर्जी के लोगों को उस जगह पर बैठाने के लिए ! उनकी संपूर्ण उर्जा सिर्फ चुनाव के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है ! और वह चुनें हुए लोगों का संघठन बढ़ाने की औकात है या नहीं ! इसका बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता है ! वह अपने इशारे पर नाचते हैं ! सिर्फ इतनी सी बात पर उनकी संघठनो के महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति की जाती है ! और इसी लिए संघ की तुलना में देश के सभी संघठनो की हैसियत नहीं के बराबर है ! और इसी कारण संघ को चैलेंज करने की क्षमता वाला आज की तारीख में 140 करोड़ की आबादी में एक भी संघठन नही है ! और इसी कारण संघ दिन गुना रात चौगुनी प्रगति कर रहा है !
बालासाहब देवरस ने, 1970-94 इक्कीस साल के ! अपने संघप्रमुख रहने के कार्यकाल में ! संघ के ब्राम्हणी और शहर केंद्रित स्वरूप को बदलकर ! ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर ! दलित और आदिवासियों के बीच ! कल्याण कारी कामो के लिए ! शेकडो युवा लोगों को भेजने का निर्णय लिया था ! जिसका परिणाम आज उत्तर पूर्वी प्रदेश से लेकर ! देश के आदिवासियों क्षेत्रों में ! और ग्रामीण क्षेत्रों में भी ! संघ की पैठ बनाने के लिए ! देवरस के समय काफी बड़ा काम हुआ है !
उसी तरह इक्कीसवीं शताब्दी का सज्ञान लेते हुए ! उन्होंने अपनी निती और सदस्यों के बदलाव के लिए विशेष रूप से प्रयास किया है ! 1990 राष्ट्रीय आर्थिक विकास 400 %बढ़ने के कारण ! विश्व बैंक हवाले से शहरी करण 1960 की तुलना में 2015 में डबल हो गया ! जो 1960 में 18 %था 1990 में 26 %और 2015 में 33% किन्से इन्स्टिटय़ूट के अनुसार मध्य वर्ग बढने की गति 14 %से 2005 में, 29 % 2015 में और उनके अंदाज के अनुसार 2025 में 44 % ! जिसके परिणामस्वरूप मोबाईल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि उसका सबसे बड़ा उदाहरण है !
और इन्हें अपनी गिरफ्त में लेने के लिए नरेंद्र मोदी भारत के पहले राजनेता है ! जिन्होंने 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ! पहली बार थायलंड की एक कंपनी को किराये से ! मोबाइल धारकों के साथ ! अपने विचारों को लेकर प्रचार- प्रसार करने के लिए ! ट्रोलिंग की शुरुआत की है ! जो शुरू में कुछ हजारों में थे ! अब लाखों की संख्या में है ! जिसे मैंने 'सेफ्रोन डिजिटल आर्मि की उपमा दी है !' और यह लोग बारह महीनों चौबीसों घण्टे! अपने प्रचार और दुसरे विचारों के लोगों के खिलाफ ! बदनामी की मुहिम लगातार करते रहते हैं ! जिसके लिए फेक न्यूज ! उनमें फेक जानकारियां ! यहां तक कि पाकिस्तान, अफगाणिस्तान, सिरिया की घटनाओं को भारत में हुई है ऐसा तोडमरोडकर पेश करते हैं !
ऐसाही मेनस्ट्रीम मिडिया संस्थाओं की मदद से करते हैं ! उदाहरण के लिए गुजरात चुनाव के दौरान ही ! कोलकाता के मोमिनपूर में ! हिंदुओं के साथ, मुस्लिम समुदाय कैसे - कैसे जुल्म करता है ! ऐसा पांच - दस मिनट का क्लिप ! आजतक जैसे चानल द्वारा लगातार दिखाया जा रहा था ! और सेफ्रोन डिजिटल आर्मि ! उसे व्हॉटसअप युनिवर्सिटी के द्वारा फैलाने का काम कर रहे थे !
उसी दौरान मुझे खादीग्राम बिहार जाने वाली गाडी कोलकाता से पकडनी थी ! तो मैं 14 नवंबर को नागपुर से ! निकलने के बाद, सुबह कोलकाता पहुचा! मेरी खादीग्राम की गाडी श्याम को थी ! तो मैं हावडा स्टेशन से सिधा मोमिनपूर आकर ! दो - तीन घंटे तथाकथित अफवाहों में से एक भी सही नहीं पाई ! एक अफवाह थी कि मुस्लिम समुदाय ने हिंदुओं का जिना हराम कर दिया है ! और दुसरी हिंदू कई दिनों से घरों में ही बंद है ! तो मैंने संपूर्ण मोमिनपूर के दो - तीन चक्कर लगाने के बाद ! देखा कि कहीं कोई वारदात नहीं ! लोगों का व्यवहार रोजमर्रे के जैसा चल रहा है ! और जलाने या तोडफोड की एक घटना नही देखा !
लेकिन 'आजतक' जैसा वैश्विक स्तर पर चलने वाले ! सबसे ज्यादा दर्शक देखते हैं ! ऐसा दावा आजतक लगातार करते रहता है ! और स्थानीय लोगों ने कहा कि! "कोई भी मिडिया के लोग हमारे मोहल्ले में आपके आने के पहले नही आये हैं ! उल्टा बोल रहे थे !" कि वह एक आपही पहले हो जो यह तहकीकात कर रहे हो !"
15 नवंबर 2022 के दिन मै मोमिनपूर में था ! दोपहर का भोजन भी वही किया ! और श्यामको वहीं से हावड़ा स्टेशन खादीग्राम की गाड़ी पकडने के लिए गया था ! मैंने अपने मोबाइल से कुछ फोटो लेने की कोशिश की है ! वह कुछ नमूने के तौर पर दे रहा हूँ !
1925 में डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार, महाराष्ट्रियन ब्राम्हण ने स्थापित करने के बाद ! पंद्रह वर्ष उन्होंने सरसंघचालक का पद संभालने के बाद ! अपनी मृत्यु के पहले ही चार साल तक प्रचारक के रूप रहे ! माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर 1940 में, डाॅ हेडगेवार की मृत्यु के बाद ! 1973 तक ! तैतीस साल संघ की कमान संभालने के कारण ! वर्तमान समय का संघ और उसकी कार्यप्रणाली से लेकर ! हिंदुत्व की बौद्धिक बैठक बनाने का काम किया है !
उनकी मृत्यू के बाद, महाराष्ट्र के ही हेडगेवार के शिष्यों में से एक ! मधुकर दत्तात्रय देवरस 1973 - 94 तक लगभग इक्कीस साल संघ प्रमुख रहे हैं ! जन्म से ब्राम्हण रहने के बावजूद ! और संघ को बहुत लोग सिर्फ ब्राम्हणों का संघठन बोलने की गलती करते हैं ! लेकिन देवरस ने अपने कार्यकाल में ! संघ में पिछड़े वर्ग के लोगों से लेकर दलित, मुस्लिम और ख्रिश्चन लोगों को भी प्रवेश देने की शुरुआत की है ! नरेंद्र मोदी, आदित्यनाथ, विनय कटियार, उमा भारती जैसे पिछडी जातियों के लोग ! इसके सबसे बडे उदाहरण है !
और बालासाहब देवरस ने नई आर्थिक निती के दौरान ! तथाकथित जागतिकीकरण के आपाधापी के दौर का फायदा उठाकर ! पहचान की राजनीति को उछालने के कारण ही ! बाबरी मस्जिद - राममंदिर आंदोलन ! और गर्व से कहो कि हम हिंदु हैं ! के स्टिकर हर दरवाजे पर लगाने के उदाहरण के लिए लिख रहा हूँ !
और वह संघप्रमुख रहते हुए ही ! 1985-86 में शाहबानो के मामले में उठा विवाद ! और उसमे से निकला हुआ नारा ! "सवाल आस्था का है ! कानून का नही !" को हथियार बनाकर ! संपूर्ण देश में राम जन्मभूमि विवाद के आड में ! सोमनाथ से आयोध्या तक कि रथयात्राओ का दौर शुरू कर दिया !
और उस कारण लोगों के रोजमर्रे के विषय हाशिये पर जाने की शुरूआत हुई ! और इसी कारण नई आर्थिक नितियो से लेकर, महंगाई, बेरोजगारी, विस्थापन, पर्यावरणीय जैसे महत्वपूर्ण सवालों पर के आंदोलनों की जगह ! जनलोकपाल जैसे ! अजिबोगरीब मुद्दे पर, आंदोलन आया भी ! और बीजेपी को सत्ता में चढाकर ठंडा भी हो गया ! मतलब इस आंदोलन के पडदे के पिछे संघ के लोग थे ! जो रोज सुबह पांच बजे आज दिनभर जंतर-मंतर पर क्या होगा ? यह तय किया करते थे ! यहां तक कि कौन से नारे लगाने है ! और कौन से नहीं ! और स्टेजपर कौन रहेगा और कौन नहीं ! मतलब जनलोकपाल एक जोकपाल बन कर रहा है ! अफसोसजनक बात है कि उस समय अच्छे - अच्छे लोग उस हवा में बह गए थे ! जिन्हें बाद में दुध में गिरी हुई मख्खि की तरह निकाल कर फेक दिया है !
और दलितों से लेकर पिछडी जातियों से लेकर आदिवासीयो तक ! पैठ बनाने के कारण इन सब वर्गों में कम्युनिस्ट , सोशलिस्ट, नक्सलियों से लेकर आंबेडकरी तथा कई स्वयंसेवी संस्था, विभिन्न प्रकार के मज़दूरों के संघठन जो सेक्युलर थे ! लेकिन उनके पचास साल पहले के कामों के बावजूद ! भले ही वह विस्थापन के होंगे ! या पर्यावरण संरक्षण के ! पहचान की राजनीति में ! सब के सब असंबद्ध होकर रह गए !
और देखते - देखते हिंदुत्ववादीयो के चुंगुल में ज्यादातर लोग चलें गए ! और भागलपुर से लेकर गुजरात तक के दंगों में ! हरावल दस्ते के रूप में काम कीए हैं ! और बाबरी मस्जिद विध्वंस से लेकर ! अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ ! मॉबलिंचिग जैसे, हमलों में आगे रहते हैं !
और समस्त उत्तर भारत की, सत्तर के दशक में शुरू हुआ अगड़ी - पिछडी जातियों की राजनीति में ! मंडल की जगह कमंडल की, राजनीति करने में सक्षम हुए ! इसलिये ज्यादातर पिछडी जातियों के लोगों ने, 'मंदिर वहीं बनायेंगे के' आंदोलन में शामिल होना शुरु किया ! और उस कारण, उत्तर भारत की राजनीति में कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार जैसे लोगों को आगे बढ़ाना शुरू किया ! और बसपा तथा सपा तथा समता पार्टी मतलब ! किसी जमाने के कुजात समाजवादी ! जॉर्ज फर्नाडिस, एन डी ए के अध्यक्ष बनने तक का सफर ! उनकी राजनीतिक आत्महत्या का सफर रहा है ! और गुजरात दंगों के समर्थन में लोकसभा में बोलने से लेकर ! ओरिसा के कंधमाल के, फादर ग्रॅहम स्टेन्स और उनके दोनों बच्चों की जलाने की घटना को ! क्लिनचिट देने के पतनशीलता तक चले गए थे ! मैंने उनके इस पतनशील व्यवहार के बारे में 'मेरे किसी जमाने के हिरो आज झिरो 'शिर्षक से अलग से लिखा है !
अन्यथा नरेंद्र मोदी जैसे आदमी को ! भारत का प्रधानमंत्री के पद संभालने के लिए चुना नही गया होता ! सौ साल पहले के, नाजीवादी जर्मनी की स्थिति में ! आज भारत को ले जाने के लिए ! संघ परिवार के अथक प्रयासों का फल है ! आज की नरेंद्र मोदी की दिल्ली में दोबारा सरकार ! जोकि पहले दौर में नोटबंदी जैसा तुलकी निर्णय से देश की आर्थिक स्थिति चरमराई, सामान्य लोगों के हाल बेहाल हो गए थे ! दो करोड़ रोजगार की घोषणा करने वाले ने उल्टा उससे अधिक लोगों को बेरोजगारी की मार झेलने के लिए लगा दिया और महंगाई आसमान को छूने लगी सत्ताधारी बनने के पहले घरेलू गैस तिनसौसे कितना गुना बढ़ गया है ! और पेट्रोल - डिझेल के तथा दाल, सब्जी और घरेलू चिजो के दाम कितने बढे ? और किसानों के साथ कितनी नाइंसाफी की ! लेकिन उसके बावजूद 2019 मे दोबारा सत्ता में वापसी एक रहस्य है !
आर एस एस संघठन की रचना, उसके कार्यशैली ! तथा उसने बनाये हुए अन्य क्षेत्रों में अपनी, शाखा- उपशाखा और संख्या के हिसाब से ! संघ के विस्तार के ग्राफ ! यहां तक की अपनी राजनीतिक ईकाई बीजेपी की भी ! मतों के अनुपात से लेकर संख्यात्मक बढत को देखते हुए ! पता चलता है, कि लगभग देश की आधी से भी अधिक आबादी को ! संघ ने अपने प्रभाव में ले लिया है ! और शिक्षा के क्षेत्र में, आज भारत के सबसे ज्यादा विद्यार्थियों से लेकर ! शिक्षक और व्हाइस चांसलरोकी संख्या देखकर ! लगता है कि आज की तारीख में ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बराबरी कर सकने की क्षमता और किसी भी संगठन की नही है !
मै मेरे पचास साल से भी अधिक समय से, राष्ट्र सेवा दल के काम को देखते हुए ! मेरी समझ आई तबसे यह चिंता और चिंतन का विषय रहा है ! कि हमें भी आनेवाले चार जून को 2023 में, 82 साल होने जा रहे ! और संघ की शताब्दी 2025 में होने जा रही है ! हमारे और उनके उम्र में सिर्फ सोलह साल का फर्क है ! जबकि हमारे स्थापना के दुसरे ही साल ! हमारे मुंबई जैसे शहर में 125 शाखाओं का फैलाव था ! और मुंबई मिलों के जैसे तीन पालीयो में हमारी 125 शाखाओं की गतिविधियों का आयोजन होता था ! यह बात मुझे मेरे अध्यक्ष रहते हुए ! 2017 में पालघर के 90 साल से भी अधिक उम्र के ! नवनित भाई शाह ने, अपनी मुलाकात के दौरान मुझे बताई है ! वैसाही 9 अगस्त 1942 भारत छोडो आंदोलन के ऐलान के बाद ! समस्त महाराष्ट्र में मुझे बयालीस के पचहत्तर साल के उपलक्ष्य में ! राष्ट्र सेवा दल के तरफसे आयोजित, यात्रा के दौरान ! पहली बार पता चला! है कि अकेले राष्ट्र सेवा दल के एक हजार से अधिक शहिद ! उम्र के तीस सालों से भी कम समय के हुए हैं !
वहीं गोवा मुक्ती की लड़ाई में ! गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक के बेळगाव तथा अन्य सिमावर्ति इलाके के ! शेकडो राष्ट्र सेवा दल के सैनिकों ने जिसमें बैरिस्टर नाथ पै से लेकर मधू लिमये, मधू दंडवते, नानासाहेब गोरे, महादेव जोशी, एडवोकेट राम आपटे, मेनसे, वासू देशपांडे से लेकर शेकडो ने गोवा के आजादी के लडाई में हिस्सा लिया है ! वैसे ही हैदराबाद के निजाम के खिलाफ! मराठवाडा राष्ट्र सेवा दल के ! प्रोफेसर नरहर कुरुंदकर से लेकर अनंतराव भालेराव, डॉ. बापु कालदाते, गंगाप्रसाद अग्रवाल, विनायकराव चारठानकर, गोविंद भाई श्रॉफ, जस्टिस नरेंद्र चपळगावकर जैसे शेकडो लोगो ने अपनी जान की परवाह किए बिना भाग लिया है ! मतलब स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर हैदराबाद मुक्ति आंदोलन तथा गोवा के मुक्ति मे अपनी जान की परवाह किए बगैर हजारों की संख्या में राष्ट्र सेवा दल के लोगों की सहभागिता रहने के बावजूद आज यह विडंबना है कि इन सभी लडाईयो से नादारद रहने वाले संघी आज राष्ट्रीयता के और राष्ट्रभक्ति के सर्टिफिकेट बाट रहे हैं !
और आज हम कहाँ ? और आर एस एस कहाँ ? शायद हम लोग लाख आर एस एस को संकीर्णतावादी बोलते आ रहे हैं ! लेकिन इस किताब के शुरू में ही ! आमुख में बहुत ही अच्छी तरह से देवरस के नेतृत्व में (1980) ! संघ ने पहचान की राजनीति को ! हवा देते हुए दलितों से लेकर, पिछड़े और आदिवासियों के बीच में ! अपने अनुयायियों को भेजकर जैसे त्रिपुरा में सुनिल देवधर ने ! त्रिपुरा के आदिवासियों के भीतर जाकर, जिस तरह से पैठ बनाने की कोशिश की है ! या झारखंड में अशोक भगत ! गुजरात के आदिवासियों के साथ डांग में आसिमानंद जैसे लोगों ने ! "कहा कि आप राम को झूठे बेर खिलाने वाले शबरी के वंशज हो !"
पचास साल से भी अधिक समय से हमारे मित्र कॉम्रेड शरद पाटील, मेधा पाटकर, कुमार शिराळकर, किशोर ढमाले, वाहरू सोनवणे, अंबरसिह महाराज, प्रतिभा शिंदे ने आदिवासीयो के विस्थापन या जमीन के पट्टे दिलाने के लिए ! अपने जीवन को लगा दिया ! लेकिन सांस्कृतिक स्तर पर पहचान की राजनीति में ! संघ के लोग उनपर हावी हो गए !
और 1990 के तथाकथित जागतिकीकरण के संक्रमण काल ! और बाबरी मस्जिद - राम मंदिर आंदोलन के कारण ! कई सारी आर्थिक समस्याओं के रहते हुए ! जितने लोगों के आर्थिक सवालों को लेकर ! आंदोलन होने चाहिए थे ! उससे अधिक धार्मिक आधार पर ! रथयात्राओ से लेकर कारसेवा तक ! सवाल आस्था का है ! कानून का नही ! पर इकठ्ठे हो गए ! और सबसे बडा उदाहरण ! ताजा उत्तर प्रदेश के चुनाव से लेकर गुजरात तक ! इतिहास के क्रम में सबसे अधिक महंगाई, बेरोजगारी तथा भ्रष्टाचार के बावजूद ! सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर ! अगडे - पिछड़ा सिद्धांत से लेकर सभी तरह के गणितीय हिसाब-किताब को मात देते हुए ! सिर्फ गर्व से कहो कि हम हिंदु हैं ! कि आंधी पर चुनाव की नैया पार कर के ले जा रहे हैं ! मतलब सौ साल पुरे होने के पहले ही ! अघोषित हिंदुराष्ट्र, बनाने में संघ को कामयाबियां हासिल हो रही है ! यह वास्तव स्वीकार करने के बाद उससे निपटने के लिए पहल करने की आवश्यकता है !
WALTER K. ANDERSEN PROFESSOR OF SOUTH ASIA STUDIES, SCHOOL OF ADVANCED INTERNATIONAL STUDIES (SAIS) JOHNS HOPKINS UNIVERSITY,PRIOR TO JOINING THE SAIS, HE SERVED AS CHIEF OF THE US STATE DEPARTMENT's SOUTH ASIA DIVISION IN THE OFFICE OF ANALYSIS FOR THE NEAR EAST AND SOUTH ASIA.
और सहलेखक महाराष्ट्रियन के लेकिन फिलहाल अमेरिकावासी
SRIDHAR D. DAMLE IS A FREELANCE JOURNALIST AND SCHOLAR OF INDIAN POLITICS BASED IN THE US.
डॉ. सुरेश खैरनार, 27 सितंबर 2023, नागपुर.
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1 टिप्पणी:
बहुत ही अच्छा लिखा है खैरनार जी...
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