शनिवार, 25 नवंबर 2023

राम मंदिर पर भाषण - डाँ सुरेश खैरनार

राम मंदिर भूमि पूजन समारोह में भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रधान-मंत्री द्वारा अपमान और सन्घके प्रमुख मोहन भागवत द्वारा मनु स्मृति का महिमा मंडित करना हमारे संविधनका अपमान करने के लिए उनपर कारवाई करने की मांग कर रहा हूँ ! 5 अगस्त को अयोध्या में प्रधान-मंत्री महोदय ने स्वतंत्रता दिवस की उपमा देकर समस्त स्वतंत्रता संग्राम के तेजस्वी सितारों और उनकी भावनाओका अपमान और भारत के संविधान के अनुसार ली गई शपथ का उल्लंघन किया है ! और वह भी स्वतंत्रता दिवस समारोह के दस दिन पहले ! और वह शायद संघके प्रमुख मोहन भागवत को कम लगा होगा इसलिये उन्होने कहा कि तीस साल का प्रयासों के फलस्वरुप आजका दिन देखनेको मील रहा है और पुरुषार्थ,पराक्रम और वीरता की भरमार हमरे अंदर कूट कूट कर भरी होनेके कारण पूरे विश्व को जीवन जीने की कला हमही दे सकते हैं और यह प्रेरणा प्रभू रामचंद्र आज हमे दे रहे हैं कहतें हुये मनु स्मृति के दूसरे अध्याय में का बहुत ही विवादस्पद श्लोक बहुत आवेश के साथ सुनाया ! शायद हमारे देश में काफी लोगो को संस्कृत भाषा का पूरा ग्यान नहीं है और मुझे भी नहीं हैं लेकिन मेरी मित्र डॉ रुपा बोधी कुलकर्णी जो नागपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की प्रमुख रही है और उन्होने मुझे आज श्याम के समय यह श्लोक का मराठी भाषांतर करके मेरे व्हाटसअप पर भेजा और उसके बाद मैने रातका खाना खाने के बाद सोनेके पहले इसके हिंदी भाषांतर की कोशिशका प्रारंभ कर रहा हूँ और अभि रातके तिन बजने जा रहे ! लेकिन मैं यह रुपा कुलकर्णी जी की पोस्ट अपने धंग्से भाषांतर किया हूँ इसलिए मैं स्पष्ट रूप से यह कह रहा हूँ कि यह रुपाजी की व्हाटसअप मराठी भाषा के पोस्ट का हुबहू नकल नहीं है ! एक तरह से मेरी अपनी भी राय है क्यौंकि मै होश आया तबसे मनु स्मृति जैसे स्री,शूद्र के गैर बराबरी तथा अन्य आक्षेपार्ह्य श्लोक समता,स्वतंत्रता तथा न्याय के तत्वो की अवहेलना करने की वकालत करता है ! और वर्ण व्यवस्था के अनुसार समाज चले ! निचेका श्लोक ऊसी कडिकी एक झलक है ! एतद् देशप्रसूतस्य सकाशाद अग्रजन्मन:! स्वं स्वं चरित्रग्रंथ शिक्षेरन पृथिव्यां सर्वमानवा:!(मनु 2:20) मनु स्मृति का दूसरा अध्याय ढाईसौ श्लोको का है और प्रथम अध्याय में शूरू किया हुआ ब्राम्हणश्रेष्ठत्व का वर्णन इसमेभी जारी है !(आगे शूरू) के अनुसार मनु महाराज वर्ण व्यवस्था के अनुसार ब्राम्हण और शूद्र के गैर-बराबरी का बीज बोकर ही नहीं रुक रहे हैं ! उस्केभी आगे संपूर्ण विश्व में ब्राम्हण किस तरह से मालिक तथा वाहक है यह मोहन भागवत तमाम राम भक्तों को सुनाना चाहते हैं !इसका क्या मतलब होता है ? इस देश में जन्मे अग्रजन्मा याने ब्राम्हण से ही इस पृथ्वीपर रहनेवाले समस्त मानव ने अपना चरित्र कैसा हो इसका पाठ लेना चाहिए ! आज 21वीं शताब्दिमे भी दुनियाके समस्त मानव का चारित्र निर्माण करने का काम ब्राम्हण ही कर सकता है का मतलब विश्वगुरुकी रट कुछ समय पहले से शूरू हो गई है और इस बात की प्रेरणा खुद राम देते है यह कहकर वह राम की इजाजत लेना भूले नहीं है ! राम मंदिर के निर्माण से हमारे देश में आने वाले समय में मनु स्मृति के अनुसार काम करंगे इस बात का संकेत अपने 5 अगस्त के भाषण यह ट्रेलर लगता है क्योंकि 26 नवम्बर 1949 के संविधान की घोषणा होनेके बाद उस समय के संघ प्रमुख माधव सदाशिव गोलवलकर जीने ऑर्गनायझर नामके संघके अंग्रेजी मुखपत्रमे 29,30,नवम्बर के अंकौमे तिन लेख लिख कर यह संविधान गूदढी जैसा अलग अलग देशोके संविधनोकी नकल करके बनाया गया है और इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी ! क्यौंकि हमारे ऋषि-मनु ने हजारो साल पहलेही स्पार्टा के भी काफी पहले! दुनियाका सबसे बेहतरीन संविधान बनाया हुआ है ! 5 अगस्त को मोहन भागवत का यह श्लोक उस बात की पुष्टि कर दी है ! और राम मंदिर के निर्माण से हमारे देश में मनु स्मृति के अनुसार काम करने का दिशा निर्देश यह भाषण ट्रेलर लगता है ! प्रधान-मंत्री 5 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की उपमा देकर और मोहन भागवत मनु स्मृति के उद्धरणों से गोलवलकर और हेडगेवार के हिंदू राष्ट्र की तरफ मोड़नेकी कोशिश कर रहे हैं और भारत के संविधान की अनदेखी करके दोनो का इरादा भारत के संविधान की जगह मनु स्मृति को प्रतिष्ठा देनेका लगता है ! जहा पर भारत का संविधान इस देश में पैदा हुए सभीको समान अधिकार देने की बात लिखी गई है और उसे लागू कर के इसी साल नवम्बर में 70 साल पूरे होने जा रहे हैं और ठीक उसके पहले कोई मनु स्मृति के अनुसार काम करंगे यह बात भी संविधान के खिलाफ बात करना हमारे संविधान का अपमान करने की बात है और मैं इस घटना को बहुत गंभीर रूप से ले कर मोहन भागवत और प्रधान-मंत्री पर संविधान के अपमान करने के अपराध के मामले पर उनपर करवाई करने की मांग कर रहा हूँ ! डॉ सुरेश खैरनार 10 अगस्त 2020,नागपुर

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