बुधवार, 3 जनवरी 2024

नरेंद्र मोदी जी के सत्ता के 23 सालों का सफ़रनामा - डाँ सुरेश खैरनार

नरेंद्र मोदी जी के सत्ता के 23 सालों का सफ़रनामा ! नरेंद्र मोदी की राजनीतिका सफर !अंग्रेजी भाषा के सफर, और उर्दू भाषा का सफर का मतलब जिन्हे मालुम है ! बिल्कुल उसी सफर के जेसा ही उनका भी 8 अक्तूबर 2001 से, गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी रजनितिके जमिन बनानेके लिए उन्होंने क्या क्या नहीं किया? और कीस कीमत पर ? जींदगी का आधासेभी ज्यादा समय संघ के प्रचारक के रूप में गुजारने के बाद ! संघके आदेशानुसार बीजेपी के काम के लिये भेजा गया, कार्यकर्ता कभी-कभी प्रवक्ता के रूप में, टी वी चैनलों पर अन्य दलों के प्रवक्ताओं बीच में, हाफ बाही का कुर्ता पजामा पहना हुआ, देखा था ! और एक दिन अचानक, नरेंद्र मोदी को गुजरातमे 2001 के 8 अक्तूबर को,उम्र के पचास साल पार करने के बाद ! केसुभाई पटेल के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में भाजपा की, अंदरूनी कलह की वजह से, क्रिकेट में जैसे श्यामको खेल समाप्त होने के पहले अगर कोई नया बैट्समैन को भेजा जाता है ! तो उसे नाइट वॉचमन कहते हैं ! वैसाही नरेन्द्र मोदी को तात्कालिक रूप से, गुजरात में मुख्यमंत्री के बतौर भेजा गया था ! जिस समय तक वह विधान सभा चुनाव तो दूर, ग्राम पंचायत के लिए भी चुनाव लड़े नही थे ! इसकारण छह महीने के भीतर विधान सभा चुनाव लड़कर सभागृह का सदस्य होना जरूरी होता हैं ! तो उन्होंने एलिस्ब्रिज अहमदाबाद का एक विधान सभा क्षेत्र पडता है ! जहासे हरेन पंड्या नामके, विधायक रेकॉर्ड मार्जिन मतों से चुनकर आये हुए थे ! तो नरेंद्र मोदी ने उनको सिट खाली करने के लिए कहा ! तो हरेन पंड्या ने मना कर दिया ! मतलब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री तो बन गये ! पर पुरे गुजरात में उनके लिए एक भी विधान सभा का सुरक्षित क्षेत्र नहीं था ! कयोंकि उनकी उस समय गुजरातमे राजनैतिक हैसियत नहीं के बराबर थी ! वे जिस तेली जाति से है ! उसकी संख्या पूरे गुजरातमे 2% भी नहीं है ! और तबतक के नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन में ऐसी कोई भी बडी उपलब्धि नहीं थी ! कि वह आसानी से कही से भी खड़े हो गए, और चुनाव जीत गए ! यह बात इस शताब्दी के शुरुआती दौर में संभव नहीं थी ! लेकिन मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण लेने के, डेढसौ दिनों के भीतर, 27 फरवरी के दिन 2002 को गोधरा कांड के बाद ! हुए दंगे को , उन्होंने अपने राजनीतक करिअर बनाने के लिए बहुत बेरहमी से इस्तेमाल किया है ! जिस कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि "आपने राजधर्म का पालन नहीं किया है !" और नरेंद्र मोदी ने उन्हें उसी क्षण जवाब दिया "कि साहब मैं वही तो कर रहा हूँ !" जिससे उनकी बनियान 44 इंच की होने के बावजूद ! उन्होंने 56 इंच छाती का जुमला उछालने की बात उसीकी देन है ! और फिर उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री बनने के लिए, अपनी 'हिंदूहृदयसम्राट' वाली प्रतिमा स्थापित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी ! इसके अलावा उन्हें मरने-मारने के नाम पर, कुछ एंन्कौन्टर, जिसमे ईशरत जहा एनकाउंटर वाला मामला तथा सोहराबुद्दीन, कौसरबी और तुलसी प्रजापति के अलावा अन्य एंन्कौन्टरो को भी उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की जगह, पक्की करने के लिए बखुबी इस्तेमाल किया ! और यह बात तत्कालीन डी आई जी, डी. जी. वंजारा ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के बाद हुए गिरफ्तारी के बाद साबरमती जेल से सात पन्ने के पत्र में विस्तार से लिखा है ! और उसीके साथ- साथ कुछ उद्दोगपति, जिन्हें नरेंद्र मोदी की सरकार ने सभि नियम कानून को ताक पर रखकर खुली छूट दी ! पहले से ही मौजूद अंबानीबंधू ,टाटा और विश्व के औद्योगिक जगत में, शायद ही कोई और उदाहरण होगा कि, 40 साल से भी कम उम्र के गौतम अदानी नामके आदमी को लगभग जमीन से उठाकर आसमान तक पहुँचाने के लिए , पहले पूरे गुजरातमे और अब विश्व में, सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर, सहूलियत देकर ऊर्जा,पोर्ट और भी अन्य उद्योग-धंधों में फलने फूलने में मददगार साबित हुए ! और इसिलिये औद्योगिक जगत से लेकर राजनीति के क्षेत्र में भी नरेंद्र मोदी अदानी कनेक्शन एक रहस्य बना हुआ है ! सभी नियम कानून की अवहेलना करने का उदहारण के लिए, कांडला पोर्ट भारत का पहला पोर्ट है ! जो अदानी के प्रायवेट सेक्टर को सौपा गया है ! जो आने वाले समय में विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठान औने पौने दामौमे बेचने के अभि दर्जनो उदहारण है ! अभी ख्रिसमस की छुट्टियों में 22 दिसंबर को हमारे नॅशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एन सी एल टी) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलांयस कम्यूनिकेशन लिमिटेड 47,251 करोड़ रुपए की डुबने वाली कंपनी को बडे भाई मुकेश अंबानी को सिर्फ 455 करोड़ रुपए में बेचने की अनुमति दी गई है ! और इस तरह के व्यवहार करने के लिए वर्तमान केंद्र सरकारने आठ साल पहले इस तरह की कंपनियों के लिए विशेष कानून पास किया है ! तब लगता था कि सरकार ऐसी कंपनियों को कब्जे में लेकर बाजार में उनकी संपत्तियों को बेचकर पैसा वसूल करेंगी ! लेकिन 47,251 करोड़ की कंपनी का व्यारान्यारा करते हुए, इस तरह की कोई बात नहीं की गई ! अनिल अंबानी की इस कंपनी को बडे भाईसाहब मुकेश अंबानी को, सिर्फ 455 करोड़ रुपये में ! बेचने की अनुमति हमारे सरकारी बैंकों से लिए गए कर्ज पर पानी छोड़कर ! जो कि एक सामान्य आदमी अपने परिवार के लिए छोटे- मोटे कर्ज लेने के बाद, वहीं सरकारी बैंकों के अधिकारियों के तरफ से वसूली के लिए, कैसे अपमानजनक तरीके अपनाए जाते हैं ? यह पूरी दुनिया जानती है ! लेकिन कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए यही बैंक इतने उदार होकर, लाखो करोड़ रुपए के कर्ज माफ करने की कृपा कैसे कर सकते हैं ? जो कि सर्वसाधारण लोगों के बैंकों में जमा पूंजी निवेश, बहुत ही मामूली ब्याज दरों को लेकर रखा गया पैसा ही तो है ! और आराम से सरकारी बैंकों के तरफसे उद्योगपतियों को दिया जाने वाला लाखों करोड़ रुपए का कर्ज माफी करने की बात कही चर्चा में भी नहीं आती है ! नही विरोध किया जाता है ! मतलब सरकारों को सर्वसाधारण मतदाता चुनकर दे रहे हैं ! लेकिन उसे इन सब बातों की भनक तक नहीं लगने देना ! और हमारी सरकार का कारोबार पारदर्शी होने का दावा करना, कितना बडा पाखंड है ? और लोगों की आंखों में धूल झोंकना है ! इसी तरह अदानी उद्योग समुह को कांडला पोर्ट सौपना, और उसने अपने हाथ में लेतेही ! पर्यावरण के नियमोका उल्लंघन किया है ! भारत के समुद्री क्षेत्र में पर्यावरणीय कुछ नियम है ! जिसमें 'मैनग्रोह वनस्पतिको ' विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है ! उनका संवर्धन करना चाहिए ऐसे हमारे समुद्री क्षेत्र के लिए नियम बना हुआ है ! और उसे नष्ट करने की कृतियां करने वाले लोगों को दंडित करने का प्रावधान है ! उसके लिए ग्रीन ट्राइब्यूनल बना हुआ है ! जिसने ने अदानी समुह पर कुछ करोड रुपये का जुर्माना भी लगाया था ! लेकिन हमारे देश के पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाया पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी, सम्हालने वाले मंत्री महोदय ने ग्रीन ट्रिब्यूनल की क्या आवश्यकता है ? जैसे जाहिलियत की हदे पार करने वाले बयानबाजी कि है ! मतलब हमारे देश और दुनिया के पर्यावरण संरक्षण के लिए 1972 के जिनेवा कन्वेंशन से तैयार किए गए, कई महत्वपूर्ण निर्णयों में से, एक निर्णय भारत के इतिहास में पहली बार पर्यावरण मंत्रालय का निर्माण किया जाना है ! और उस मंत्रालय ने तिस साल के भीतर हमारे देश के और दुनिया के पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण नियमों को बनाने का काम किया है ! जिसमें समुद्र के तटीय क्षेत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं ! और उनके उल्लंघन करने वाले लोगों के उपर दंडात्मक कारवाई करने के अधिकार दिए गए हैं ! लेकिन गौतम अदानी के लिए नरेंद्र मोदी ने किसी भी कानून और नियमों की परवाह किए बगैर, उसे हर उद्योग में कुछ भी करने की छूट देने की बात शुरू से ही ! उद्योग जगत मे भी विवाद का विषय रही है ! 'हिंडेनबर्ग' रिपोर्ट उसका जिता जागरूकता का परिचायक है ! लेकिन इस हेराफेरी को, हमारे देश के सर्वोच्च सभागार लोकसभा में, इसपर सवाल करने वाले सदस्यों को अपनी सदस्यता गवाने की नौबत आ रही है ! राहुल गांधी और महुआ मोइत्रा इसके ताजे उदाहरण है ! और संसद के शितसत्र के आखिरी चरण में 150 से भी अधिक विरोधी दलों के संसद सदस्यों को, सदन से निष्कासित करने की कृति भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार देखने में आ रही है ? आज अदानी देशकी आधी बिजली का उत्पादन कर रहा है ! और 2014 के चुनाव में 400 से अधिक चुनावि रैलीयोमे पूरे देश में घुमने के लिए नरेंद्र मोदी जी को अपना प्रायवेट जेट विमान उप्लब्ध कराया था ! अन्य उद्दोगपतियोने धन मुहैया कराया है ! अंबानी समूह ने तो 200 से ज्यादा प्रायवेट टी वी चानेल चुनावको मद्देनजर रखते हुए, पहले से ही अंबानी समुह ने उप्लब्ध कर दिये थे ! और वे नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री वाली इमेज बनानेमे रातदिन जूट गये ! और आज तो संपूर्ण मिडिया को ही गोदी मिडिया बोला जा रहा है ! क्योंकि पिछले दस सालों से नरेंद्र मोदी को छोड़कर किसी भी नेता के नाही फोटो छपते है ! और नही कोई खबर ! मैंने मेरी सिरिया यात्रा में आजसे दस साल पहले बिल्कुल यही नजारा देखा था ! वहां के राष्ट्रपति असद बशर के विशालकाय होर्डिंग संपूर्ण सिरिया में लगे हुए हैं ! 2014 में नरेंद्र मोदी केंद्र में सत्तारूढ़ होने के बाद बिल्कुल वहीं स्थिति भारत के पेट्रोल पंपों से लेकर कोरोना के सर्टिफिकेट तक नरेंद्र मोदी के फोटो देखे जा सकते हैं ! उसमे आन्ना हजारे का तथाकथित जन लोकपाल आंदोलन, अरविंद खेजरिवाल,किरण बेदी और अन्य अपने आप को राजनितिके भाष्यकार बोलने वाले लोगों ने, बड़ा योगदान देकर शूरू किया गए आंन्दोलनों ने भी नरेंद्र मोदी के सत्ता पर पायदान तक लाने के लिए काम किया है ! और नरेंद्र मोदी का 'सबका साथ सबका विकास' ! वाला जुमला, और 'सिर्फ एक बार हमारी सरकार' ! वाले लोकलुभावन नारोसे लोगों को आकर्षित करने में मदद मिली है ! और 2014 के चुनाव में, 280 के ऊपर लोकसभा की संख्या तक पहुंच गए ! उसमे मुजफ्फरनगर के दंन्गेकी भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! उत्तर प्रदेश में 70 से ज्यादा संख्या में लोकसभा की सीटे मिलने के लिए, इस दंगेने बहुत योगदान दिया है ! जैसा की 2002 के दंगेने गुजरातमे नरेंद मोदी जी को तिन बार मुख्यमंत्री पद देनेका काम किया है ! और वही भुमिका मुझफ्फर नगर और अन्ना हजारे के आंदोलन ने की है ! इतिहास में पहली बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिये ! और केंद्र में सरकार बनाने के लिए! अमेरिका की तरह एक व्यक्ति केंद्रित प्रचार किया गया था ! और इसिलिए उसको बी जे पी की सरकार से ज्यादा मोदी सरकार बोला जाता हैं ! और उन्होंने केंद्र में निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी ! जिसके परिणामस्वरूप, योजना आयोग को खत्म करने की तो सिर्फ शुरुआत थी ! जिसका किसिने भी विरोध किया हुआ, मुझे याद नहीं आ रहा है ! फिर क्या था ? नरेंद्र मोदी को जैसे अगले सभी निर्णय लेने के लिए लायसंस ही मिल गया ! जिसकी शुरुआत उन्होने नोटबंदीसे की ! लगभग सभी बड़े बैंको में जमा राशि कूछ चंद धन्नाशेटोके हवाले कर दिया ! और अब 95 वर्ष की उम्र वाली भारतीय रिजर्व बैंक के रिजर्व मुद्रा कोश को हाथ लगाया ! जो बैंक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है ! कि 28000 करोड़ से भी अधिक जमा पूंजी को लेकर! सबसे पहले रघुरामन, बादमे उर्जित पटेल नामके दो गवर्नर को इस्तीफे देनेके लिये मजबूर किया गया था ! और ईडी, आई बी, सी बी आई,सर्वोच्च न्यायालय,और जीतने भी महत्त्व पूर्ण संस्थाओ को विरोधी दलों के नेताओं, तथा अपने विरोध में लिखने - बोलने वाले लोगों के उपर, कार्रवाईयों को करने के लिए, इस्तेमाल करना शुरू कर दिया ! जिसमे इस्रो,सी एस आई आर,आई सी एस आर,यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन,और हमारी रक्षा सेनाके सभी अंगों को सस्ती लोकप्रियता के लिए इस्तेमाल करने की शुरुआत की है ! पुलवामा के बाद की सच्चाई सुषमा स्वराज ने खुद कह दिया था, कि कोई भी पकिस्तान के सैनिक या नागरिक बालकोट ऑपरेशनमें मरा नहीं है ! लेकिन नरेंद्र मोदी पूरे देश में चुनाव के सभाओं में बढा चढ़ाकर बोल रहे थे ! कि मेरी सेनाने पाकिस्तान के इतने लोग मारे ! और इतने विमान गिराये ! तथाकथित सर्जिकल स्ट्राइकके नामपर ! और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल श्री. सतपाल मलिक ने तो इस बात को लेकर मुहिम छेड दी है ! और खुलेआम बोल रहे हैं, कि "पुलवामा के चालिस जवानों की शहादत पर नरेंद्र मोदी ने 2019 का चुनाव जीता है !" अन्यथा नोटबंदी, किसानों का आंदोलन तथा एन आर सी के खिलाफ चले आंदोलन और आसमान को छूने वाली महंगाई और बेरोजगारी तथा भ्रष्टाचार की वजह से लोगों का गुस्सा सर चढकर बोल रहा था ! लेकिन पुलवामा का पुल नरेंद्र मोदी की राजनीतिक नैया पार करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण सिध्द हुआ! अब काला धन लाने के लिए किये गये नोटबंदीनोटबंदीसे, एक रुपये का भी काला धन वापस नहीं आया ! उल्टा उसके असर में छोटे ऊद्दोग से अबतक 50 लाख लोगों को रोजगार से वंचित होना पड़ा है ! 2014 के चुनाव प्रचार में हर साल दो करोड़ लोगो को रोजगार देने का एलान किया था ! लेकिन पुरे 10 साल में भी इतने रोजगार देने के बजाय 45 % बेरोजगारी हो गई है ! और कृषि क्षेत्र लगभग खत्म होने के कगार पर पहुँच गया ! किसानों की आत्महत्या रुकने बजाय हर रोज देशके किसी भी हिस्से में आत्म हत्या की खबर आना जारी है ! और यह सब कम लग रहा था ! तो सम्पूर्ण भारत की कृषी को, तथाकथित नए उदारवादी आर्थिक सुधारों के हवाले करने हेतु ! संसद के सत्र में राज्य सभा में अपना बहुमत नहीं है, यह देखकर, तथाकथित आवाजी मतदान पर जो निर्णय लिया गया है ! जो भारत की बची खुची कृषीको खत्म करने वाला कानून ! वह भी भारत के संसदिय इतिहास का, सबसे बड़ा ! संसदिय लोकतंत्र का गला घोटने का, उदहारण के रूप में दर्ज हो गया है ! और भारत की बची खुची कृषी के क्षेत्र को धन्ना शेठो की सुविधा के लिए कानून बदलकर दे रहे हैं ! भुक,भय,भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने की जगह भय,भ्रष्टाचार और भुकमरी बदस्तूर जारी है ! देश की एक चौथाई अल्पसंख्यक आबादी को असुरक्षा की भावना से ग्रसित करके, देश के समाज स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ! आये दिन अल्प संख्यक समुदाय के लोगों को बार-बार बदनाम करने के लिए ! फिर वह दलित अत्याचार की घटना हो, या कोरोना फैलाने वाले ऊल-जलूल आरोप करके क्या सिद्द करना चाहते हैं ? केरल के पत्रकार वह भी मुसलमान ! तो फिर घोषित कर दिया की, यह आतंकवादी है ! और दुनिया के एक नम्बर की मुस्लीम आबादी वाले, मलेशिया का नाम ले रहे हैं ! लगभग सभी क्षेत्रों में अफ़रातफरिका माहौल बना, तो पुलवामा के पुलसे पूरे चुनाव प्रचार देश भक्ति,और पाकिस्तान की आडमे पूरा चुनाव लड़ने की कोशिश की है ! और वह कम लगा तो कश्मीर का 370 आर्टिकल को खत्म करके, राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर के ! लेह-लद्दाख को अलग कर के ! क्या हासिल होगा ? सिर्फ 80 प्रतिशत आबादी मुस्लमान है ! इसलिये देश के अन्य हिस्सों में तालिया बटोरने के लिए, देश की एकता और अखंडता को दाव पर लगा कर ? पकिस्तान के आतंकी अझहर मसूद की आलोचना करते- करते भारतीय मार्केके अझहर मसूद जैसे आतंकवाद करने वाली को, लोक सभा का सद्स्य बनाया गया है ! जो हेमंत करकरे की शहादत पर खुलकर अपनी जहरीले बयान बाजी करके, हेमंत करकरे की शहादत को लेकर उनके आतंकवाद विरोधी काम की धज्जियां उड़ाई जा रही है ! और महात्मा गाँधी जी के हत्यारेका महिमा मंडन कर रही है ! और उसके ऊपर कोई करवाई नहीं किया ! और नाही कभी करेंगे ! इससे वर्तमान सरकार आतंकवाद को लेकर कितनी गंभीर है यही पता चलता है ! प्रज्ञा सिंह ठाकुर,साक्षी महाराजाओंको संसद और विधान सभाओं में लाकर क्या सिद्द कर रहे है ? प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के पहले, राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति के सामने, "मैं नरेंद्र दामोदर दास मोदी आजसे भारत का प्रधान-मंत्री पद ग्रहण करते हुए, यह शपथ लेता हूं, कि मैं भारतीय सविंधान के तहत, किसी भी तरह का धर्म,जाति,भाषा,प्रांन्त,लिन्ग भेद भाव नहीं करते हुए, सिर्फ और सिर्फ भारतीय सविंधान की संम्प्रभुता की रक्षा करने की शपथ लेने के बाद ! क्या सच मुच वर्तमान प्रधान-मंत्री उसका पालन कर रहे हैं ? चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जो भी भाषण दिये हैं ! और अभी दे रहे है ! सभि को देखकर लगता है ! की वो भूल गये हैं, कि भारत जैसे बहु धार्मिक,बहू भाषिक,और विभिन्नता वाले देश में वह सिर्फ हिन्दुओ को एकजुट कराकर एक-दूसरे से लड़ने के लिए उकसाने का काम कर रहे हैं ! सर्वोच्च न्ययालय का सिर्फ आसाम के 44 सालों पुराने आंदोलन के कारण नागरिकताको लेकर दाखिल 15 सालों पुराने केस पर असामसे आये हुए, मुख्य न्यायाधीश महोदय की अध्यक्षता वाली बेंच का निर्णय ! पूरे देश के लिए थोपने की रजनितिके निर्णय, जिसे तथाकथित एन आर सी का नाम देकर ! खुलेआम बाटो और राज करो की नीति अपनाकर ! जोर जबरदस्ती से थोपने का काम वर्तमान सरकार ! क्या यही नरेंद्र मोदी जी की रजनितिक उपलब्धिया है ? तथा हमारे देश की सांझी विरासत का जगह - जगह अपमान कर रहे हैं ! और सबसे हैरान करने वाली बात हमारी सेना को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल कर रहे हैं ! यह भारत की सेना को पकिस्तान की तर्जपर ले जाने वाली बात है ! इसलिए ज्यादा खतरनाक है ! वो दिन प्रतिदिन अपना आत्म विश्वास खो रहे हैं ! और इस कारण और विवादास्पद बयान बाजी कर रहे है ! हमारे चुनाव आयोग को क्या हो गया है ? सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी राय दी है! कि यह चुनाव आयोग कुछ भी नहीं कर रहा है ! टूथ लेस शब्द का प्रयोग किया है ! हालाँकि आज 10 सालों के दौरान हमारे देश के सभी संविधानीक संस्थाओ की हालत, जिसमे न्याय व्यवस्था से लेकर कार्यपालिका के विभिन्न अंगो को लकवा मार गया है ! जिसमे सी बी आई ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस के केसमे लखनऊ स्पेशल सी बी आई कोर्ट में, जिस तरह से शुरू से ही, जान बुझकर, सभी सबूतोको कमजोर करने से लेकर कई महत्वपूर्ण सबुतोकी अनदेखी की है ! वह सी बी आई की बची खुची विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है ! वही बात 2019 के नवम्बर माह के अंतमे तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश महोदय की अध्यक्षता वाली बेंच का राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करनेका निर्णय ! और उसके एवज में उन्हें, रिटायर्ड होने के बाद, एक महीनके भीतर, राष्ट्रपति महोदय द्वारा राज्य सभा में मनोनीत होनेवाले निर्णय भी, भारतीय न्यायपालिका की बची खुची आबरू को खत्म करने की बात, नरेंद्र मोदी जी के 23 सालों के सत्ता के उपलब्धियोमे ही गिनाई जा सकती हैं ! 2020 साल के शुरुआत से ही कोरोना और उससे निपटने के लिए मार्च के अंतिम सप्ताह में नोटबंदी जैसा लॉकडाऊन की घोषणा ! लगता है कि मोदी जी को इस तरह के निर्णयों के बाद होनेवाले परिणामो से एक विकृत आनंद मिलता है ! क्योंकि नोटबंदी के बाद सम्पूर्ण भारत में जो अफ़रातफ़रि मची, कई लोग सिर्फ नवंबर दिसंबर की थंड से बैंकों के सामने लाईनो खड़े होकर रात- रात भर खडे रहने के कारण मर गये ! लाखोकी संख्यामे छोटे उद्योग खत्म करने की विधि के तौरपर नोट बंदी इतिहास में याद रखा जाएगा ! और उस कारण करोडो लोगों को बेरोजगारीका सामना करना पड़ा रहा है, सो अलग ! अब इस विषय पर इतने सारे अर्थतज्ञोने बोला है, लीखा है ! पर नरेंद्र मोदी जी के कानोपर जू भी नहीं रेंगी ! यह बात उनके 23 सालों के राजनितिके उपलब्धिया में किसीको गिनना हो तो जरुर गिना सकता है ! लेकिन मै तो बोलकर रहूँगा, यह भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था की कमर तोडने का फैसला किया है ! जिसके लिए एक मात्र अगर कोई जिम्मेदार है, तो वह सिर्फ नरेंद्र मोदी जी ! इतना भयंकर अनुभव से कुछ भी नहीं सीखे और मार्च के 22 तारीख को 2019 में, नोटबंदी की तर्जपर लॉक डाऊन की घोषणा कर दी ! और संपुर्ण देश में जो अफ़रातफ़रि मची ! वह नोटबंदी की रही सही कसर भी पूरी करने के लिए काम आई ! जिस तरह से करोडो की संख्यामे मजदूरों का पलायन हुआ ! वह भी भारत के मजदूरों के ईतिहास का, सबसे भयावह काल के रूप में याद किया जायेगा ! एप्रिल, मई की 45 डिग्री सेल्सियस की गर्मिमे हजारो किलोमीटर की दूरी पैदल, अपना सामान सरपर उठाकर, और नंगे पांव लहुलुहान होकर, देश के एक कोने से दुसरे कोने पर के, अपने गांवों के तरफ चले जाने वाली, तस्वीरों को भी, नरेंद्र मोदी जी के सत्ता के 23 सालों की उपलब्धियो मे किसी को गिनना हो तो जरुर गिना सकता है ! जिसे दुनियाके सबसे बड़ा अपराध में गिना जायेगा ! क्योंकि कोरोना में मरने के पहले ही शेकडो की संख्या में लोग मरे है ! और इस तरह अर्थव्यवस्था जो चौपट हो गई है ! और हमारे जी डी पी तथा तथाकथित हेपिनेस इंडेक्स का क्या कहना ? अबतक एक लाख से भी अधिक संख्या में जो लोग इस महामारी के शिकार हो गये हैं, सो अलग ! लेकिन महामहिम नरेंद्र मोदी जी को इस बात का कितना गम है ? पता नहीं, क्योकिं वह कोरोना की आडमे देश के महत्वपूर्ण सार्वजनिक उद्योगों को बेचना, जिसमे रेल,एयरपोर्ट और विमान सेवा,रक्षा सामान के उद्योग और खनिक उद्यम,शिक्षा,कृषी,आरोग्य जैसे महत्वपूर्ण विभागो में प्रायवेट सेक्टर को सौंप दिया गया है ! क्या यही 23 सालों के सत्ता में गिना जायेगा ? अंतिम बात जिस गोधरा कांड के बाद नरेंद्र मोदी जी को मुख्यमंत्री बनने के कुछ महीनो के भीतर जो कुछ मार्च 2002 के पहले दिन से ही हुआ है ! वह अब ओपन सीक्रेट के रूप में 'क्राईम अगेन्स्ट हूम्यानिटी' और राना आयुब,आर बी श्रीकुमार ,सिद्दार्थ वर्धराजन,मनोज मित्ता,लेफ्टनंट जनरल झमीरउद्दिन शाह आशिष खैतान, और दर्जनो रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी जी को, मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के पहले, राज्यपाल महोदया के सामने शपथ ग्रहण समारोह में ! "मै नरेंद्र दामोदर दास मोदी आजसे गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हुए, यह शपथ लेता हूँ ! कि मैं गुजरात राज्य में रहने वाले, हर नागरिक का बगैर किसी भेदभाव से सुरक्षा और सम्मान पूर्वक जीने के लिए काम करूँगा ! और संविधान के अनुसार काम करुंगा !" 27 फरवरी की सुबह गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में आग लगने के बाद, 59 अधजले शवोकी पोस्टमार्टम रोककर गोधरा की कलेक्टर जयती रवि के मना करने के बावजूद ! उन अधजले शवोको, विश्व हिंदू परिषद के लोगों को देने वाले कौन थे ? और उन शवोको खुले ट्रको पर अहमदाबाद शहर के सड्कोपर, 28 फरवरी को जुलूस की शक्ल देने के लिए, कौन-सी लॉ एंड आर्डर की रक्षा होना था ? क्या यह भी 23 साल के उप्लब्धी में गिना जायेगा ? उसी दिन रातमे केबिनेट बैठक में "कलसे लोगों को कोई नहीं रोकेगा !" कहने वाले मुख्यमंत्री पद पर के व्यक्ति कौन थे ? और 28 फरवरी की शाम को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर भारत की सेना के 3000 जवानोको लेकर भेजे गए लेफ्टिनेंट जनरल जमीरऊद्दीन शाह ने अपने सरकारी मुसलमाँ नामकी किताब मे जो विवरण दिया है ! कि" हम उतरकर काफी समय हो गया था ! और अहमदाबाद पुलिस कमिशनर से लेकर गृह मंत्रालय के, और मुख्य मंत्री कार्यालय से, कोई भी मेरे फोनको जवाब नहीं दिया ! तो मै अपने साथ लाई जिप्सी पर, लोकल गाईड को लेकर रातके दो बजे सीधा गाँधीनगर स्तिथ मुख्यमंत्री आवास पर पहुचा ! तो देखा, नरेंद्र मोदी और जॉर्ज फर्नांडीस, जो उस समय देश के रक्षा मंत्री थे, खाना खा रहे थे ! तो जॉर्ज फर्नांडीज उठकर मेरे से हाथ मिलाया ! और बोले कि "जनरल साहब बहुत सही समय पर आप आ गये हो ! अब गुजरात दंगों को रोकने के लिए लग जाईये !" तो मैंने कहा कि "मैं अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरनेके पहले अपने विमान से देखा हूँ ! कि लगभग पुरा गुजरात जल रहा है ! और मै उतरनेके बाद श्याम से लेकर अभि यहा आने के पहले सभी पदाधिकारियों को फोन करके थक गया था ! और मजबुरी में अभि यहा तक आया हूँ ! मुख्यमंत्रीजिको बोलिए हमे लोजेस्टीक प्रोव्हाईड करे !" और जॉर्ज फर्नांडीज ने मेरे सामने नरेंद्र मोदी जी को कहा कि " आप इनको हर तरह की मदद दिजिये !" लेकिन तिन दिन तक, 3000 की संख्या में भारत सरकार की तरफ से भेजी गई सेना को अहमदाबाद एयरपोर्ट के बाहर नहीं निकलने दिया गया है ! यह यू ट्यूब पर लेफ्टिनेंट जनरल जमीरऊद्दीन शाह के वीडियो रेकार्ड को भी देख सकते हैं ! जिस सेना को लेकर, उठ छुट नरेंद्र मोदी जी विपक्ष पर सेना के मनोबल गिर जाने का, और अपमानित करने का आरोप लगाया करते है ! क्या उन्हे याद आ रहा है कि, 2002 साल मे मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ! आपने भारत के गृहमंत्री को पत्र लिखकर सेना को भेजने का अनुरोध किया ! और उसी सेना को अहमदाबाद में आने के बाद लॉजिस्टिक नही देकर बहुत सम्मानित काम कर रहे थे ? जो कि आपके खत की वजह से तत्काल भारतीय सेना जो अपनी जान जोखिम में डालकर गुजरात दंगों को रोकने के लिए आई थी ! और मुख्यमंत्री ने उनका कितना सम्मान किया है ? और उन्होने मुख्यमंत्री पद पर आनेके पहले ली हुई शपथ का क्या हुआ था ? और अब तो पूरे देश के मुख्य पदपर पहुच गए हैं ! और दिल्ली दंगों से लेकर निजामुद्दीन के तब्लिगी जमात के मुख्यालय में लाॅकडाऊन के पहले से जमा लोगों को बार-बार निकाले जाने की विनती को दिल्ली पुलिस के अफसरों ने अनदेखा कर रहे थे ! वह किसके इशरोपर ? और उन्हे कोरोना फैलाने वाले बोलकर मिडिया की मदद से, और दिल्ली पुलिस के अफसरों ने अपने आप को इस्तमाल करने के लिए, औरंगाबाद हाईकोर्ट ने किसे दोषी ठहराया है ? और उसके बावजूद, अभि ताजा खबर है ! कि हाथरस की घटना को लेकर आदित्यनाथ फिरसे विदेशी षड्यंत्र बोलकर मुसलमानो के माथे पर डालने का काम कर रहे हैं ! जो आप गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए, कई बार यही बात कहते रहे हैं ! और अब आदित्यनाथ दोहरा रहे हैं ! क्या बात है ? प्रधान-मंत्री पदपर पाहूचनेकी यह कुंन्जी है क्या ? श्रीमती इंदिरा गाँधी जी को भी जयप्रकाश नारायण जी के आंदोलन के बारे में भी यही जुमला इस्तेमाल करते हुए देखा है ! की विदेशी षड्यंत्र ! और आपने तो गुजरात दंगों से लेकर, गोधरा कांड से लेकर, आपकी हत्या करने के लिए भेजे गए, लोगों को, बार-बार पकिस्तान का नाम लेते हुए देखा है ! और वही बात अब आदीत्य नाथ की कार्य प्रणाली को लेकर! फिर वही जुमला इस्तेमाल करते हुए दिख रहें हैं ! अब पकिस्तान की जगह मलेशिया का नाम ले रहे हैं ! जो की दुनिया का सबसे ज्यादा मुस्लीम आबादी वाला देश है ! देखिए आप लोग, दूसरोको उठते बैठते हुए, देश द्रोही करार देने का, काम कर रहे हो ! लेकिन आपका और अन्य आप के सिपहसलारों के काम को देखकर लगता नहीं कि ! यह शब्द इस्तेमाल करने का थोडा सा भी नैतिक अधिकार आप लोगो को है ! क्योंकि 1946-47 के दौरान कौनसा कारण विशेष रूप से बटवारे के लिए काम आया था ? द्विराष्ट्र का सिद्दांत ! जो 1917 मे बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर जी ने पहलीबार कॉइन किया था ! और उन्हिके मुस्लीम कॉऊंटर पार्ट बैरिस्टर मौहम्मद अली जिन्ना साहब ने अपने रजनितिक महत्वकांक्षा के लिए इस्तेमाल किया, वह भी 23 साल बाद ! अब उस बात को 77 साल से अधिक समय हो गया है ! और आज भी भारत में 30 करोड़ से भी अधिक संख्या में मुसलमान रह रहे हैं ! क्या आप भागलपुर,गुजरात जैसे दंगोमे इन्हे समाप्त कर सकते ? दुनियाँ के इतिहास मे इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए ! ऐसा एक भी उदहारण नहीं है ! और यह मुसलमान आप लोगोको अच्छे लगे या ना लगे ! लेकिन ये कही भी नहीं जायेंगे ! तो फिर आपको इनके साथ जिनेका तरीका इजाद करना होगा ! और वह ड़र दिखाकर नही हो सकता है ! कोई भी समूह डर के माहौल में जी नहीं सकता है ! यह विभिन्न तरह के, वंशजों को बार-बार खत्म करने के इतिहास को देखते हुए ! यही सही है, कि उनके साथ प्रेम, मुहब्बत और सम्मान पूर्वक जीने की कला इजाद कर के ! सहजता से रहना चाहिए ! तो सही मानेमे राष्ट्र की एकता और अखंडता कायम रह सकती हैं ! और आतंकवाद का भी उपाय इसिमे है ! विश्वभरके आतंकवाद को लेकर मै गत 35 साल से भी अधिक समय से ! लगातार अपनी बुध्दि और जीवन का महत्वपूर्ण समय खर्च करने के बाद ! यह सब लिख रहा हूँ ! मैने इस बात के लिए पकिस्तान दो-दो बार,ईरान सिरिया, इजिप्त, तुर्कस्थान, लेबनान बंगला देश और सबसे भयावह प्रदेश फिलिस्तीन भी दो बार,इराक एक बार की यात्रा पर गया हूँ ! और दुनियाँ के वह देश जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, और तथकथित शीत युद्ध दौरान , लगातार युद्घ भुमिमे तब्दील कर दिये गये है ! उदहारण के लिए अबू बक्र बगदादि नामक इसीस के नाम से एक संघठन बना कर, वहाबी इस्लाम का आधार लेकर, गत 10 सालों से भी अधिक समय से ईराक,सिरिया के कुछ हिस्सोपर कब्जा करके प्रोफेशनल युद्घ कर रहा है ! और वह भी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ! यह तकनीक और अस्र- शस्र उसे कौन पहुचा रहा है ? और वह कब्जेमे किये हुए तेल के कुओं से रोज हजारो टेन्कर तेल निकाल कर, कौन खरीद रहे हैं ? और उसीके एवज में युद्ध सामग्री, उसे कौन दे रहे हैं ? और दूसरे महायुद्ध के बाद इस पूरे क्षेत्र को तेल के अकूत भंडार पर कब्जा के लिए बंदरबाट किसने की है ? क्लश ऑफ सिविलयजेशन की थोरि कॉइन करके ! इस क्षेत्र को बदनाम करते हुए ! पोलिटिकल इस्लाम का इस्तेमाल करते हैं ! और लादेन से लेकर आबू बक्र बगदादि जैसे शैतान कौन पैदा कर रहे हैं और किसलिए ? पूरी दुनिया को सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले लोग, आप सबसे ज्यादा असभ्य और क्रूर हो ! आपने इस पूरे प्रदेश को अलग - अलग नाम देकर बाट दिया ! और आपसमे लडानेका पुरा इंन्तजाम भी कर के ! उन्हे लडाई का साजो-सामान भी देते रहते हो ! और इस आपाधापी में तेल मामूली हिस्सा देकर निकाल कर, उसपर आप सभी पस्चिमी देश मिल बाटकर खा रहे हो ! और जानबूझकर इस्राइल और पकिस्तान की निर्मीती कर के ! बाकायदा इस पूरे इलकोमे अशांति और ऊसी के परिणाम स्वरूप आतंकवाद की खेती खुब लहलहा रही है ! और उन आतंकियोको पनाह देने से लेकर ट्रेन करने का काम भी आप लोग ही कर रहे हैं ! और 9/11 जैसा हादसा हुआ तो तुरंत "शांती के लिए युध्द के नाम पर" पहले अफगानिस्तान और बादमे इराक और सिरिया और अब फिलिस्तीन को तहस-नहस करने पर तुले हुए हो ! गाजा पट्टी में अबतक बीस हजार से अधिक लोग मारे गए हैं ! और उसमे आधी से अधिक आबादी छोटे बच्चों की है ! यह सब देख कर ही मै लिख रहा हूँ ! और उसके ऊपर दर्जनो रिपोर्ट और किताबें और उस विषय पर दर्जनो बैठके ,सेमिनार और परिचर्चा में भाग लेने के बाद यह सब लीख रहा हूँ ! और आज भी मेरा संपंर्क है! सिरिया,लेबनान,तुर्कस्थान,इजिप्त,फिलिस्तीन की यात्राए की है ! और आतंकवादके ऊपर दर्जनों कितबोके पढनेके बाद मै इस नतीजेपर आया हूँ ! कि "जियो और जीने दो के" तहत ही इस समस्या का हल हो सकता है ! अन्यथा आतंकवाद कभी खत्म नहीं होगा ! और हमेशा की तरह अशांति रहेगी ! मुख्य रूप से फिलिस्तीन में गाजा पट्टी में, इजराइल जो अमानवीय कारवाई कर रहा है ! और भारत आजादी के पहले से ही फिलिस्तीन इजराइल के मामले में हमेशा फिलिस्तीन के तरफसे रहा है ! लेकिन आपको क्या हो गया है ? क्यों आप इजराइल का समर्थन कर रहे हो ? राजनीतिक रूप से भी यह भूमिका भारत के सबसे अधिक तेल सप्लाई वाले देशों को नाराज करने की गलत नीतियों के कारण ! लाल समुद्र में हमारे तेल के जहाजों के उपर हमले होने की वजह आपके मुस्लिम फोबिया की बिमारी की वजह से इजरायल के समर्थन में हटात चले गए ! यह आपके संघ के संस्कारों की किमत भारत को चुकाने के लिए आपको 140 करोड़ आबादी के देश का प्रधानमंत्री नही बनाया गया है ! हालांकि आपने प्रधान-मंत्री बननेके बाद के 15 अगस्त 2014 के लाल किले के प्रथम सम्बोधन में कहा था ! कि "मै 140 करोड़ आबादी के टिम इंडिया की बात कर रहा हूँ !" तो जब आप टिम इंडिया जैसी उपमा का इस्तेमाल किया है ! तो उसमे देश का हर तरह का तबका शामिल हैं ! और मैने आपके उस भाषण के तुरंत बाद ही, आपकी टिम इंडिया की कल्पना का स्वागत किया है ! वह टिम बकरार रखना, या मजबूत करने का काम, करने के लिए इस तरह के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बार-बार डराना या धमकानेसे क्या टिम इंडिया सही मायने मे बनेगी ? मै उम्र के 12 साल का बच्चा था ! तब से महाराष्ट्र में 4 जून 1941 के दिन शुरु किये गये राष्ट्र सेवा दल नामक संघटना का सैनिक हूँ ! और यह संघटन सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ की तर्ज पर खडा किया है ! लेकिन सिद्दांत एक दम उल्टा ! संघ हिंदू राष्ट्र की कल्पना पर आधारित, अपने स्वयं सेवक तैयार करता है ! जिसके फलस्वरूप आप और आपके अन्य सहकारी लोग है ! लेकिन इस शाखा में हमिद दलवाई जैसे मुसलमान भी आते रहे हैं ! और मृणाल गोरे,प्रमिला दंडवते,स्मिता पाटिल,मेधा पाटकर जैसी विदुषीया और एस. एम. जोशी,नाना साहब गोरे,बैरिस्टर नाथ पै, प्रोफेसर मधु दंडवते,मधु लिमये जैसे राजनेता ! और भी जिवन के कई क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को तैयार करने का काम राष्ट्र सेवा दल के द्वारा किया जा रहा है ! जिसमे औरते और सभी जाती धर्मों के लोग आते है ! और आज 83 सालों के दौरान, भारत की आजादी के आंदोलन से लेकर, जेपी आंदोलन तक ! राष्ट्र सेवा दल के लोग शामिल रहे हैं ! और आज सबसे बड़ी समस्या राष्ट्रिय एकता और अखंडता कायम रहे ! इस लिये संघ परिवार के उग्र हिंन्दुत्व के प्रचार से लेकर, मुस्लीम समाजके तथकथित कठमुल्लापन, जिसके खिलाफ हमिद दलवाई जी ने अपनी जिन्दगी दाव पर लगी थी ! और जिस 'कॉमन सिविल कोड' पर आप तालिया बटोर रहे हो ! उसकी भी 1966 से हमिद भाई माँग करने वाले पहले थे ! और आपके सबसे लंबे समय तक संघ प्रमुख रहे हुये ! गोलवलकर गुरूजीने तुरंत उसका विरोध किया था ! और साफ शब्दों में कहा था कि, "मै मुसलमानों को हिन्दूओ के बराबर कोई भी अधिकार देने के खिलाफ हूँ !" उसकी वजह मेरे जैसे ही उम्र के 14 साल के थे ! तब सेही वह राष्ट्र सेवा दल के साथ जुड गये थे ! और भारत जैसे विभिन्नता वाले देश को संन्घके जैसे और उन्हिके काऊंटर पार्ट मुस्लीम,सिख,ख्रिच्चन या किसी भी धार्मिक आधरपर काम कर रहे ! संघ के जैसे ! संघटनो के कारण, भारत की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हो रहा है ! और इसीलिये हम लोग, अपनी जी जान लगाकर अपना काम कर रहे हैं ! और हमारे बेहतरीन लोगों में से कुछ डॉ. नरेंद्र दाभोलकर,गोविंद पानसरे,प्रो कल्बुर्गी और गौरी लंकेश की शहादत के बाद भी, हम लोग अपनी जमिन पर खडे होकर ! अपना जाती धर्मनिरपेक्षता और समता लोकतंत्र के मूल्यो के अनुसार जो हमारे देश के संविधान के प्रस्तावना में भी है ! हालांकि आप संन्घके शाखा के प्रोडक्ट हो ! लेकिन अब भारत जैसे दुनियाके सभी धर्मों के रहनेवाले लोगों के देश के प्रधान-मंत्री पदपर पहूचनेकी वजह से ही ! मै आपको यह खुली चिट्ठी लिखी है ! और बार - बार आपके सामने आपने की हुई गलतिया गिनाई है ! क्योकिं इस देश को और सिर्फ भूगोल से ही नहीं उसके अंदर रहनेवाले सभी तरह के लोगों को भी प्रेम करते हैं ! इसलिये यह इतना लंबा खत लिखा है ! उम्मिद करता हूँ, कि आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे ! और सही मानेमे, राष्ट्र की चिंता की बात अगर आप को सचमुच ही सताती होगी तो आपको मेरे पत्र से मदद ही मिलेगी ! डॉ. सुरेश खैरनार, 1 जनवरी 2024, नागपुर.

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

आपने अपने इस लम्बी लेखनी के जरिये जिस तथा कथित सच्चाई को उजागर किया है,क्या देश की जनता इससे अवगत होने के बाद लोक सभा के चुनाव में सही निर्णाय ले पायेगी? शायद नहीं।क्योंकि वे अपनी आंखों से पढ़ने तथा जानने के बाद भी अपने समझ को सही दिशा नहीं देंगे।क्योंकि 100% जनता में से 20% कट्टरवादी समर्थक,30% धार्मिक तथा राजनैतिक अन्धभक्त, तथा 20% मजबूर,कमजोर जनता है।बाकि के जो 30% बच गए,क्या ये सत्ता परिवर्तन करने में सक्षम हो पायेंगे? शायद नहीं।जरुरी यह है कि देश की जनता की सोंच तथा कर्म निष्पक्ष तथा धार्मिक अंधभक्ति से ऊपर उठकर हो।जो आजके दौर में सम्भव नहीं लगता है।जहाँ तक चुनाव की बात है तो जय हो इ वी एम,जय हो चुनाव आयुक्त,जय हो जातिवाद तथा धर्मवाद।अगर इन्हें निष्पक्ष बना सकते हैं तो शायद सम्भव हो पाये।अन्यथा प्रजातन्त्र में नहीं राजतन्त्र में जीने की आदत डाल लें।

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