शनिवार, 27 जनवरी 2024
मोदी का भ्रष्टाचार यंत्र - वी एस बोस
मोदी का भ्रष्टाचार यंत्र - वी एस बोस
2014 में नरेन्द्र मोदी का
प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करने से
पहले बहुत ही बढ़ा-चढ़ाकर
अति-प्रचारित किया गया था कि नरेन्द्र
मोदी उत्कृष्ट नैतिक मूल्य और आचार
नीति रखते हैं। अपने बारे में नरेन्द्र
मोदी अकसर कहा करते थे ‘‘मैं कोई
रिश्वत नहीं लूंगा और न ही किसी
को भी रिश्वत लेने दूंगा और न किसी
तरह के भ्रष्ट कामों को सहारा दूंगा।’’
कॉर्पोरेट पक्षीय इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट
मीडिया ने प्रतिदान के आधार पर
अधिकतम सीमा तक मोदी के इन
कथनों का समर्थन किया और प्रचार
किया। वास्तव में मोदी के शासन में
भ्रष्ट तौर-तरीके अतीत के किसी
अन्य शासन की तुलना में शिखर पर
पहुंच गए। प्रचार में मीडिया लगातार
कहती थी कि न पत्नी है, न परिवार
और न निकट संबंधी और न ही उन
पर कोई अन्य पारिवारिक जिम्मेदारी
है। इसलिए मोदी को किसी भी तरह
के भ्रष्ट काम की जरूरत नहीं है।
कॉर्पोरेट मीडिया दिन-रात लगातार
इसी बात का प्रचार कर रहा था। इस
देश के लोग इस कपटी प्रचार से
लगातार ठगे गए हैं। नरेन्द्र मोदी के
कई भ्रष्ट आचरणों का गैर-कॉर्पोरेट
और जनतांत्रिक सोच रखने वाली
मीडिया ने पर्दाफाश किया है। ‘‘पीएम
राहत कोष’’ पहले से ही मौजूद है।
तब एक नए ‘‘पीएम केयर’’ को फिर
से क्यों प्रस्तुत किया गया। ‘‘पीएम
केयर’’ के नाम से 2020 से
2022 तक 12,691.82 करोड़
रुपये इकट्ठे किए गए थे। इसमें से
3,976 करेाड़ रुपये खर्च किए गए
लेकिन शेष राशि के बारे में अभी तक
कुछ नहीं बताया गया है।
सूचना के अधिकारों से जुड़े एक
कार्यकर्ता ने इस बची हुई राशि की
मोदी के शोषण के नए चेहरे
जानकारी के लिए सूचना के अधिकार
के तहत एक याचिका दायर की थी।
जवाब मिला, ‘‘पीएम केयर’’ सूचना
के अधिकार के दायरे में नहीं आता।
प्रधानमंत्री यह कहते हुए एक नया
कानून लाए कि ‘‘पीएम केयर’’ फंड
का नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक
;कैगद्ध द्वारा ऑडिट की जरूरत नहीं
है। कॉर्पोरेट और सार्वजनिक क्षेत्र से
‘‘पीएम केयर’’ में करोड़ों रुपये इकट्ठे
किए गए थे और इस खाते के
हिसाब-किताब की जानकारी संसद,
कैग या आरटीआई जैसे मंच को प्रदान
की गई। क्या ये भ्रष्ट कामकाज नहीं
हैं। निश्चित रूप से ये भ्रष्ट व्यवहार
है। इन भ्रष्ट आचरणों का सबसे
उत्कृष्ट उदाहरण सूचना के अधिकार
के 48 कार्यकर्ताओं की हत्या है।
चुनावी बॉंड
मोदी सरकार द्वारा चुनाव बॉंड
की शुरुआत से भ्रष्टाचार संस्थागत
और वैधानिक हो गए हैं। भाजपा अपने
पार्टी फंड के लिए 5,271.97
करोड़ रुपये चुनाव बॉंड के नाम पर
मांग सकती है। चुनावी बॉंड के नाम
पर भाजपा ने बांॅड की कुल एकत्रित
राशिफल से 70 प्रतिशत लेकर अपने
आप को पहले स्थान पर रखा है।
कैग रिपोर्ट
द्वारका एक्सप्रेस वे एक्सप्रेस
नेशनल हाईवे-248 बीबी के निर्माण
की वास्तविक लागत 18.20 करोड़
रुपये उद्धृत की थी और अंततः इसे
बदलकर 250.77 करोड़ कर
दिया गया और इस घोटाले में
अतिरिक्त राशि को निगल लिया गया।
कैग रिपोर्ट बताती है कि भारत माला
लाभ योजना में 154 करोड़ रुपये
को घोटाला हुआ। प्रधानमंत्री जन
आरोग्य योजना में 6.97 करोड़ रुपये
का घोटाला हुआ। 7.5 लाख
लाभार्थियों ने एक ही मोबाइल नंबर
का फोन किया। इस तरह के तथ्य
का इतिहास में कोई अन्य उदाहरण
नहीं मिलता। मोदी जो कि हमेशा
अल्पसंख्यकों के खिलाफ जहर
उगलते है। वे अल्पसंख्यक
स्कॉलरशिप मामले के 144 करोड़
रुपये निगलने से नहीं चूके। हालांकि
इस बात का खुलासा सी.बी.आई. ने
किया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई
नहीं हुई।
राफेल का कुख्यात
घोटाला
राफेल अनुबंध में अनिल अम्बानी
को मुख्य साझेदार बनाया गया था
हालांकि अम्बानी के पास लड़ाकू
विमान निर्माण का कोई अनुभव नहीं
था। हिन्दुस्तान ऐरोनोटिक्स लिमिटेड
एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र का
उद्यम है। हिन्दुस्तान ऐरोनोटिक्स को
लड़ाकू विमान निर्माण में महारत
हासिल है। यूपीए ;संयुक्त प्रगतिशील
गठबंधनद्ध सरकार ने प्रत्येक लड़ाकू
विमान को 59 हजार करोड़ रुपये में
खरीदना तय किया था लेकिन भाजपा
सरकार ने इसके दाम को बढ़ाकर
71,816 करोड़ रुपये कर दिया
जिससे उन्होंने 30 हजार करोड़
रुपये के घोटाले पर पर्दा डाल दिया।
यह घोटाला समस्त जग के सामने
है। जैसे कि अनिल अम्बानी दिवालिए
की कगार पर था लेकिन इस राफेल
अनुबंध द्वारा मोदी के भ्रष्ट काम शिखर
पर पहुंच गए। फ्रांस समेत कई निष्पक्ष
संगठनों ने राफेल अनुबंध विशिष्ट
मामलों को उजागर किया है। इस तरह
के भ्रष्ट कामों से भारत की प्रतिष्ठा
गर्त में पहुंच गई है।
थर्मल प्लांट ;ताप विद्युत संयंत्रद्ध
देश में 34 ताप विद्युत संयंत्र
दिवालिए हो गए हैं लेकिन मोदी
सरकार ने केवल तीन संयंत्रों को ही
डूबने से बचाया। वे तीनों ताप विद्युत
संयंत्र टाटा, अडानी और निस्सार के
हैं। सरकार कोष को मोदी एंड कंपनी
ने इन कॉर्पोरेट मित्रों के हवाले कर
दिया गया है।
तेल कंपनियां
तेल कंपनियों की खरीद और
बिक्री सौदों में सार्वजनिक क्षेत्र की
ओएनजीसी को 48,000 करोड़
रुपये का नुकसान हुआ है। लेकिन
ठीक इसी समय प्राइवेट कंपनी एस्सार
को इतनी ही राशि का मुनाफा हुआ
है। यह स्पष्ट उदाहरण है मोदी के
साथ मिलीभगत का।
इसका श्रेय मोदी को जाता है चूंकि
मोदी ने कोयला खदानों से सबंधित
नियमों में तीन बार बदलाव किए ताकि
अडानी का उपकार हो सके। इन
कानूनों में बदलाव से झारखंड
सरकार को 9,094 करोड़ रुपये
का नुकसान हुआ जबकि अडानी को
इतनी ही राशि का मुनाफा हुआ है।
मोदी ने अडानी पर कृपा की उसे
500 करोड़ रुपये का मुनाफा पहुंचाने
के लिए। यह 2005 के स्पेशल
इकोनोमिक जोन के नियमों में 2016
में बदलाव के द्वारा किया गया।
अडानी ने गैर कानूनी रूप से
अपनी कंपनियों के शेयर मूल्यों को
बढ़ाया जिसके द्वारा हमारी सार्वजनिक
क्षेत्र की कंपनियों और लोगों के साथ
लगभग 1200 करोड़ अमरीकी
डॉलर की धोखाधड़ी हुई है। इस तथ्य
का हिंडनबर्ग रिपोर्ट ;संगठनद्ध ने
खुलासा किया था। लेकिन अडानी के
खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई।
सच्चाई है कि सरकार ने हिंडनबर्ग
रिपोर्ट पर हमला किया जो कि स्वयं
में मोदी के अडानी के साथ संबंधों
की ओर इशारा करता है। एक रिपोर्ट
एक स्वतंत्र संगठन, ‘‘ऑर्गनाइज्ड
क्राइम एण्ड करप्शन रिर्पोटिंग
प्रोजेक्ट’’ द्वारा अडानी के मामलों पर
जमा की गई थी लेकिन अडानी के
खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई।
एलआईसी ;जीवन बीमा निगमद्ध
पर अडानी समूह की कंपनियों में
56,412 करोड़ रुपये निवेश करने
का दबाव डाला था लेकिन एलआईसी
को हुए नुकसान पर सरकार के पास
केाई उचित जवाब नहीं है। भारतीय
स्टेट बैंक ने नियमों से हटकर देश
की सीमा के अंतर्गत अडानी को
2,150 करोड़ रुपये का कर्ज दिया
और सरकार ने विदेश में अडानी के
निवेश के लिए लगभग 2,000
करोड़ रुपये के कर्ज के इंतजाम के
लिए दिन-रात काम किया। अडानी
ने पंजाब नेशनल बैंक से 7,000
करोड़ रुपये और इंडियन बैंक से
2,900 करोड़ रुपये का कर्ज लेने
का अच्छे से इंतजाम कर लिया था।
मोदी सरकार ने अडानी द्वारा लिए
गए इतने बड़े कर्ज को माफ क्यों कर
दिया? चूंकि रामदेव बाबा भी 2014
से मोदी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं,
सरकार ने रामदेव बाबा के स्वामित्व
वाले पंतजलि का 2,200 करोड़
रुपये के कर्ज को माफ कर दिया,
हालांकि रामदेव बाबा ने देश के लिए
कुछ भी नहीं किया। कांग्रेस सरकार
ने टाटा से एयर इंडिया लेकर इसका
राष्ट्रीयकरण किया था लेकिन मोदी
नेतृत्व भाजपा सरकार ने सरकार के
5,000 कोड़ रुपये के नुकसान से
टाटा को एयर इंडिया सोंप दिया। यह
क्या दिखावा है? मोदी के सत्ता मंे
आने से पहले अमित शाह के बेटे
जयशाह द्वारा चलाए जाने वाले टेम्पल
इन्टरप्राइजिज प्राइवेट लिमिटेड
6,230 करोड़ रुपये के नुकसान
पर थी। लेकिन अचानक
2014-15 में खातों के हेरफेर
1,726 करोड़ रुपये के मुनाफे
दिखाते है। इस छोटी समयसीमा में
क्या चीज जगजाहिर हो गई? यदि
कोई भी मोदी के प्रशासन की गहराई
से अध्ययन करता है तो उसके नैतिक
मूल्यों के भाषणों और उसकी भ्रष्ट
शोषणकारी कामों के बीच के अंतर
को समझ जाएगा। इस अंतर से उसके
विकृत नए चेहरे को देखा जा सकता
है।
यूक्रेन यु( के दौरान रूस ने
भारत को अपना कच्चा तेल ;मालद्ध
रुपये विनिमय के आधार पर सस्ते
दामों में बेचा था। इस कच्चे तेल की
सप्लाई इंडियन ऑयल लिमिटेड जो
कि एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है
उसे न करके वह कच्चा माल अडानी
को दिया गया। अडानी ने इस कच्चे
तेल का शोधन कर इससे लाखों करोड़
रुपये कमाए। क्या सरकारी क्षेत्र की
कंपनी को हुआ नुकसान भ्रष्टाचार
और घोटाला नहीं है।
फसल बीमा योजना में किसानों
को फसल नुकसान पर भरपाई बीमा
हैं। लेकिन वर्तमान में इस योजना को
एलआईसी को न देकर मोदी के
कॉर्पोरेट मित्र अम्बानी को दिया गया
यह भ्रष्ट काम के अलावा कुछ नहीं
है। अम्बानी ने इस स्कीम को महाराष्ट्र
के एक मंडल में लागू किया और
इससे 143 करोड़ रुपये कमाए।
लोगों ने इस तरह की नीतियों की
नैतिकता को समझलिया है। हमारे
पास इससे निबटने का बेहतर उपाय
है आगामी 2024 के लोसभा चुनाव
में मोदी सरकार को परास्त करना,
जो कि देश की संपत्ति को कॉर्पोरेट
ठगों को सौंप रहे हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें