शुक्रवार, 15 मार्च 2024

इलेक्टोरल' बॉन्ड दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट', राहुल गांधी

''इलेक्टोरल'इलेक्टोरलइलेक्टोरल बॉन्ड दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट', राहुल गांधी राहुल ने कहा कि इसमें CBI, ED, IT से दबाव बनाकर वसूली की जाती है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा जारी होने के बाद केंद्र सरकार पर निशाना साधा और इस स्कीम को दुनिया का सबसे बड़ा 'एक्सटॉर्शन रैकेट' (वसूली रैकेट) बताया. महाराष्ट्र के ठाणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम कंपनियों से हफ्ता लेने का तरीका है, कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट्स का शेयर लेने का तरीका और ये दुनिया का सबसे बड़ा स्कैम है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल ने ये भी कहा कि कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान के पॉलिटिकल फाइनेंस के सिस्टम को साफ करने की बात की थी और इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर आए थे. लेकिन अब इलेक्टोरल बॉन्ड की सच्चाई देश के सामने है. उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी जी ने जो इलेक्टोरल बॉन्ड का कॉन्सेप्ट रखा है, वह दुनिया का सबसे बड़ा 'वसूली का रैकेट' है. ये दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का तरीका है. इसमें CBI, ED, IT से दबाव बनाकर वसूली की जाती है.” राहुल गांधी ने सरकार बदलने के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड केस में कार्रवाई की गारंटी का वादा किया है. उन्होंने आगे कहा कि 'इलेक्टोरल बॉन्ड स्कैम' से जुड़े लोगों को सोचना चाहिए कि कभी न कभी BJP की सरकार बदलेगी और फिर कार्रवाई होगी. केस के बाद बीजेपी को पैसा मिला- राहुल राहुल के मुताबिक, पूरी कंपनी की लिस्ट अभी आई नहीं है, इसमें शेल कंपनियां भी हैं. उन्होंने दावा किया, "कंपनी पर केस लगता (दर्ज होता) है, कुछ दिन बाद बीजेपी को पैसा मिलता है. हजारों करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है. इस कॉन्ट्रैक्ट का एक कट (हिस्सा) बीजेपी को डायरेक्ट मिलता है. तो ये प्रधानमंत्री का कॉन्सेप्ट है और दुनिया में सबसे बड़े भ्रष्टाचार का उदाहरण है." हालांकि राहुल ने इस दौरान किसी कंपनी का नाम नहीं लिया. उनका ये बयान तब आया है, जब एक दिन पहले चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा जारी किया. 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही नए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर रोक लगा दी गई थी. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को निर्देश दिया गया था कि वो बॉन्ड की खरीद-बिक्री का सारा डेटा चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए. हालांकि एसबीआई ने चुनाव आयोग को पूरा डेटा नहीं दिया. बॉन्ड के यूनिक अल्फान्यूमेरिक नंबर सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. इससे ये पता नहीं चल रहा है कि किस व्यक्ति/कंपनी का चंदा किस राजनीतिक दल के पास पहुंचा. 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए भी SBI को फटकार लगाई और कहा कि बैंक इलेक्टोरल बॉन्ड का यूनिक अल्फान्यूमेरिक नंबर भी जारी करे. एसबीआई को नोटिस जारी किया गया है. कोर्ट में अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.

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