बुधवार, 20 मार्च 2024

धार्मिक व्यक्तियों को सत्ता के पदों पर रहना चाहिए’-उच्च न्यायालय ने इस टिप्पणी को खारिज किया

धार्मिक व्यक्तियों को सत्ता के पदों पर रहना चाहिए’-उच्च न्यायालय ने इस टिप्पणी को खारिज किया बरेली दंगे को लेकर 5 मार्च, 2023 को बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिवाकर अपने आदेश में कहा था कि सत्ता के पदों पर बैठे लोगों को “धार्मिक व्यक्ति” होना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर सीएम योगी आदित्यनाथ का हवाला दिया था इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में बरेली के अतिरिक्त सत्र जज रवि कुमार दिवाकर की उन टिप्पणियों को खारिज कर दिया। जिसमें जज रवि कुमार दिवाकर ने 2010 बरेली दंगे की सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की थी। बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिवाकर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा था कि धार्मिक व्यक्तियों को सत्ता के पदों पर रहना चाहिए’, अच्छे परिणाम दे सकता है। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिवाकर की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वो अपनी व्यक्तिगत या पूर्व धारणाओं और लगाव को व्यक्त या प्रर्दशित करे। सिंगल बेंच ने कहा कि न्यायिक आदेश लोगों के लिए होते हैं और इस प्रकार के आदेश को जनता द्वारा गलत समझा जा सकता है। बेंच ने कहा कि न्यायिक अधिकारी से यह उम्मीद की जाती है कि उन्हें अपने मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते वक्त एक सीमा में रहकर अभिव्यक्ति का उपयोग करना चाहिए। साथ ही ऐसे मुद्दे का जिक्र नहीं करना चाहिए जो मूल मुद्दे से संबंधित या अलग हों। बता दें, 2010 के बरेली दंगे को लेकर 5 मार्च, 2023 को बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिवाकर अपने आदेश में कहा था कि सत्ता के पदों पर बैठे लोगों को “धार्मिक व्यक्ति” होना चाहिए। इस दौरान कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर सीएम योगी आदित्यनाथ का हवाला दिया था। ‘धार्मिक व्यक्तियों को सत्ता के पदों पर रहना चाहिए’, कोर्ट ने सीएम योगी का दिया उदाहरण, जानिए क्या पूरा मामला कोर्ट ने यह भी कहा था कि एक धार्मिक व्यक्ति का जीवन “त्याग और समर्पण” का होता है, न कि विलासिता में जीने का। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए यह कहा था कि कैसे तौकीर रजा ने एक धार्मिक व्यक्ति होने और बरेली में दरगाह आला हजरत के एक बेहद प्रतिष्ठित परिवार से संबंधित होने के बावजूद समुदाय के लोगों को भड़काने, कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने में शामिल थे। कोर्ट ने कहा था कि शक्ति का उपयोग करने वालों को सत्ता का प्रमुख एक धार्मिक व्यक्ति होना चाहिए, क्योंकि एक धार्मिक व्यक्ति का जीवन आनंद का नहीं, बल्कि त्याग और समर्पण का होता है। इस दौरान कोर्ट ने गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर महंत बाबा योगी आदित्यनाथ को उदाहरण दिया था, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। कोर्ट ने कहा था कि उपरोक्त अवधारणा को उन्होंने सच साबित किया है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Nyayalayon me bhi kuchh sanghi ghus gaye hain

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