गुरुवार, 4 अप्रैल 2024
महिला कर्मी से छेड़छाड़ के आरोप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस भेजे गए एडीजी बीके सिंह
महिला कर्मी से छेड़छाड़ के आरोप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस भेजे गए एडीजी बीके सिंह
आईपीएस अधिकारी विनोद कुमार सिंह को उनके मूल कैडर में वापस भेजा जा रहा है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के पूर्व बीके सिंह यूपी पुलिस में एडीजी सुरक्षा के पद पर तैनात थे.
महिला कर्मी उत्तर प्रदेश के तेज तर्रार 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे विनोद कुमार सिंह को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से समय पूर्व ही उनके मूल कैडर में वापस भेजा जा रहा है. विनोद कुमार सिंह इस वक्त एडीजी सीआरपीएफ (पूर्वोत्तर) के तौर पर तैनात थे. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के पूर्व बीके सिंह यूपी पुलिस में एडीजी सुरक्षा के पद पर तैनात थे.
जानकारी के मुताबिक बीके सिंह के ऊपर गुवाहाटी एयरपोर्ट के लाउंज में महिला कर्मी से छेड़छाड़ करने के आरोप के बाद हुई प्रारंभिक जांच में मामले को सही पाए जाने पर उनको उनके मूल कैडर वापस भेजा गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महिला कर्मी की शिकायत के बाद हुई जांच में महिला के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है. इसी कारण एडीजी बी के सिंह की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को समय पूर्व ही समाप्त कर दिया गया है.
महिला ने आरोप लगाया कि गुवाहाटी एयरपोर्ट के रिजर्व लाउंज में एडीजी विनोद कुमार सिंह ने 16 मार्च को उसके अभद्रता की. महिला ने अपनी शिकायत में कहा की लाउंज में बनी हेल्प डेस्क पर आकर एडीजी बीके सिंह ने पहले उसकी सुंदरता की तारीफ की और इसके बाद उसके साथ छेड़खानी करने लगे. जब महिला कर्मी ने इस बात का विरोध किया तो एडीजी हेल्प डेस्क एरिया के भीतर जाकर उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगे.
महिला ने अपनी शिकायत में मारपीट और हमला करने जैसी बात कही है. महिला ने अपनी शिकायत को एयरपोर्ट के अधिकारियों से किया, जिसके बाद गुवाहाटी के पुलिस उपायुक्त को पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया और उसके बाद जांच हुई है. इसी जांच में प्रारंभिक तौर पर एडीजी बीके सिंह प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं, जिसके बाद उनको उनके मूल कैडर वापस भेजा गया है.
पिछले साल जून महीने में ही आईपीएस अधिकारी विनोद कुमार सिंह को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. केंद्र सरकार की ओर से उन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में एडीजी के पद पर तैनात किया गया था. योगी सरकार के भरोसेमंद आईपीएस अधिकारियों में भी उन्हें गिना जाता है.
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शर्मनाक
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