सोमवार, 8 अप्रैल 2024
बांदा संसदीय क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने रामचन्द्र सरस को प्रत्याशी घोषित किया
बांदा संसदीय क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने रामचन्द्र सरस को प्रत्याशी घोषित किया
चित्रकूट में पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन में का.अमित यादव (जिला सचिव) चित्रकूट,का.श्याम सुंदर राजपूत (जिला सचिव) बांदा,का.रामप्रसाद सिंह पूर्व विधायक,का. चन्द्रपाल पाल (राज्य कौंसिल सदस्य),का.जयकरन प्रजापति (राज्य कौंसिल सदस्य),का.महेन्द्र प्रताप वर्मा (पूर्व लोकसभा प्रत्याशी),का.जमाल आलम मंसूरी,का.मदन भाई पटेल,का.दिनेश पटेल,का.राना साहब, सहित सैकड़ों पदाधिकारी व कार्यकर्ताओ ने प्रत्याशी का.रामचंद्र यादव सरस को घोषित किया।
पार्टी नेताओ ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अपने आंदोलनों और अभियानों में उजागर करती रही है कि भाजपा के 9 वर्षों के शासनकाल में देश के किसानों, मजदूरों, नौजवानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों और आम आदमी की दिक्कतों में भयावह इजाफा हुआ है। आवाम की ज्वलंत समस्याओं से निपटने में सरकार पूरी तरह असफल रही है।
किसानों को उनकी फसलों का समर्थन मूल्य सरकार द्वारा वायदा करने के बावजूद नहीं दिया जा रहा, जबकि उनकी जरूरत की चीजें बेहद महंगी हो चुकी हैं। निरंतर घाटे में जा रहे किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं या फिर आंदोलन करने को। उनके आंदोलनों को भी पुलिस- प्रशासन के बल पर कुचला जा रहा है। मजदूर वर्ग के लंबे संघर्ष द्वारा हासिल किए गए कानूनी अधिकार लगभग समाप्त कर दिये गए हैं और वे ठेकेदारी प्रथा के तहत अल्प वेतन पर अधिक समय काम करने को अभिशप्त हैं।
बेरोजगार नौजवानों से 2 करोड़ रोजगार देने के वायदे से ये सरकार मुकर गई और आज करोड़ों नौजवान दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। पर्चा लीक व अन्य कारणों से प्रतियोगी परीक्षाएँ रद्द कर दी जाती हैं और नौजवान गहरे आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न का दंश झेलते हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण से ये आम छात्रों और आमजनों के लिए दुर्लभ होती जा रही है।
गरीबी अमीरी की खाईं निरंतर चौड़ी हो रही है। एजेंसियों के आंकड़ों के अनुसार देश की 40 प्रतिशत संपत्तियों पर 1 प्रतिशत लोगों का कब्जा है। गरीबी की इस भयावह स्थिति को सरकार भी कबूल करती है और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने के दावे करती रहती है। जीवन से जुड़े अन्य सूचकांकों पर भी देश अंतरराष्ट्रीय मानकों में पिछड़ रहा है। विकास कार्यों में भारी भ्रष्टाचार है। महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है।
दलितों महिलाओं और अल्पसंख्यकों का जिस तरह उत्पीड़न देखने को मिल रहा है ऐसा पहले कभी नहीं दिखा। उत्तर प्रदेश को ही लें होली के त्यौहार पर ही दर्जनों महिलाओं का शारीरिक मानसिक उत्पीड़न हुआ और दबंगों के हमलों के शिकार कमजोर तबके हुये हैं। हत्याओं की मानो बाढ़ सी आ गयी। कानून व्यवस्था चरमराई हुयी है और कुख्यात बुलडोजर अब आम लोगों को ही निशाना बना रहा है।
अपनी तमाम असफलताओं से डरी सरकार लोकतन्त्र को कुचलते हुये विपक्ष को तहस नहस करने पर आमादा है। तमाम विपक्षी नेताओं और उनके परिवारों को ईडी, सीबीआई, आईटी आदि की कार्यवाहियों से जेलों में डाला जा रहा है। अनेक असली भ्रष्टाचारी भाजपा में प्रवेश कर रहे हैं और सत्ता का सुख भोगते हुये निर्भय बने हुये हैं। संविधान और लोकतन्त्र को खत्म करने की साजिश है। विभाजन पैदा करने को हर हथकंडा प्रयोग किया जा रहा जिनमें एक CAA है।
बावजूद इन हथकंडों के भाजपा का आत्मविश्वास डिगा हुआ है। देश हित में और जनहित में भाजपा को हराया जाना बहुत जरूरी हो गया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी "भाजपा हराओ देश बचाओ" के नारे के साथ वामपंथी दलों के साथ मिल कर लगातार संघर्षरत है। वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और पूरे देश में भाजपा को हराने का काम करेगी'।
उत्तर प्रदेश में भी हम मिल कर लड़ने की प्रबल इच्छा रखते थे, लेकिन कुछ दलों ने संकीर्णता का परिचय देते हुये लोकसभा सीटों का बंदरबांट कर लिया। हाल में इलैक्शन बांड भुनाने के हुये खुलासों से यह स्पष्ट तो हो ही गया है कि सभी पूंजीवादी दल कारपोरेट घरानों और माफियाओं से बड़े पैमाने पर रक़में लेते हैं। लेकिन वामपंथी दल देश की मेहनतकश जनता के हित में संघर्ष करते हैं और उन्हीं के सहयोग से चुनाव लड़ते हैं। अतएव कारपोरेट घरानों और धनमाफिया उसके प्रति असहिष्णुता का भाव रखते हैं। लगता है उन्हीं को तुष्ट करने को वामपंथ को अलग थलग किया जा रहा है।
नेताओं ने कहा कि अपने जनाधार को संबोधित करने और भाजपा की जनविरोधी नीतियों को उजागर करते हुये उसे परास्त करने तथा लोकसभा में भाकपा का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज 48 बांदा संसदीय सीट से पार्टी के का. रामचन्द्र सरस को उतारने की घोषणा कर रही है। कामरेड रामचन्द्र सरस एक किसान नेता हैं, विद्वान हैं तथा गरीबों, किसानों व बेरोजगारों के लिए लगातार मुखर होकर संघर्ष करते रहते हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा टिकाऊ उम्मीदवार खड़ा करती है।
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