मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

रामदेव शाकाहारी को मांसाहारी बना रहे हैं?

'भ्रामक विज्ञापन' वाले केस के बाद योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के लिए एक और कानूनी मुश्किल खड़ी हो सकती है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि के एक डेंटल केयर प्रोडक्ट को लेकर दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है. इस याचिका में कहा गया है कि पतंजलि के 'दिव्य दंत मंजन' में मांसाहारी तत्व मिलाया जाता है. आरोप लगाया गया है कि इसके बावजूद ‘दिव्य दंत मंजन’ को शाकाहारी प्रोडक्ट के तौर पर बेचा जाता है. इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से 30 अगस्त को दिव्य फार्मेसी (निर्माता), पतंजलि आयुर्वेद (विक्रेता), योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से जवाब मांगा गया है. जस्टिस संजीव नरूला ने केंद्र सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) और अन्य संबंधित पक्षों से भी जवाब मांगा है. इंडिया टुडे की सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक अब इस मामले की सुनवाई 28 नवंबर को होगी. ‘दिव्य दंत मंजन’ के खिलाफ ये याचिका एडवोकेट यतिन शर्मा ने दायर की है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उन्होंने वेजिटेरियन प्रोडक्ट समझकर 'दिव्य दंत मंजन' का इस्तेमाल किया. लेकिन अब उन्हें पता चला है कि इस प्रोडक्ट में 'समुद्रफेन' (सीपिया ऑफिसिनेलिस) होता है, जो एक मछली की हड्डी से मिलता है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके परिवार के लिए मांसाहारी प्रोडक्ट का इस्तेमाल वर्जित है. लेकिन पतंजलि के इस डेंटल प्रोडक्ट के इस्तेमाल से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. याचिकाकर्ता यतिन शर्मा ने इस प्रोडक्ट की कथित ‘गलत ब्रांडिंग’ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. याचिका में ये जांच कराने की अपील की गई है कि इस प्रोडक्ट की पैकेजिंग में 'हरे' या 'लाल' निशान का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया. जैसा कि आप जानते हैं कि वेजिटेरियन प्रोडक्ट के लिए पैकेट पर हरा डॉट और नॉन-वेजिटेरियन प्रोडक्ट के लिए लाल डॉट का इस्तेमाल किया जाता है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने इस प्रोडक्ट की कथित ‘गलत ब्रांडिंग’ के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. याचिका में कहा गया है कि रामदेव ने अपने एक यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया है कि 'समुद्र फेन' पशु-आधारित उत्पाद है और इसका इस्तेमाल ‘दिव्य दंत मंजन’ में किया जाता है.

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