शनिवार, 30 नवंबर 2024
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चौथा प्रांतीय सम्मेलन
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चौथा प्रांतीय सम्मेलन
कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश का चौथा प्रांतीय सम्मेलन 4 से 8 अप्रैल 1956 तक फैजाबाद जिले में संपन्न हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता तीन सदस्यीय अध्यक्षमंडल, जिसमें कामरेड संत सिंह युसुफ, कामरेड झारखंडे राय, कामरेड सरजू पाण्डेय शामिल थे, ने की। सम्मेलन में पार्टी की केंद्रीय कमेटी की तरफ से पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत ने भाग लिया।
5 दिन तक चले इस सम्मेलन में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर विस्तार से विचार किया गया। सम्मेलन में सोवियत संघ की 20वीं कांग्रेस की रिपोर्ट और प्रस्तावों पर भी विचार किया गया। अंत में विशाल बहुमत से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिति के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में पेश किए गए संशोधन के संबंध में हुई बहस में लगभग 60 डेलीगेट ने हिस्सा लिया। इसी तरह सोवियत संघ की 20वीं कांग्रेस से संबंधित प्रस्ताव में भी लगभग इतने ही साथियों ने बहस में भाग लिया।
सम्मेलन द्वारा स्वीकृत राजनीतिक प्रस्ताव, जिसे साथी ज़ेड. ए. अहमद ने पेश किया था, में देश की स्थिति के संबंध में साफ-साफ कहा गया था कि अपने तमाम दावों के बावजूद वर्तमान भारत सरकार पूंजीपतियों के नेतृत्व में चलने वाली पूंजीवादी सामंती सरकार है, जो मुख्तय इन्हीं वर्गों के लिए काम करती है। यही कारण है कि देश की विशाल जनता अब भी दुखी है और गरीब है। तथा पूंजीवादी जमींदारों और पुलिस द्वारा दमन का शिकार है।
पार्टी देश के औद्योगिकरण और नव निर्माण की योजना तथा विभिन्न स्कीमों के प्रगतिशील पहलुओं का समर्थन करती है और इस कार्य मदद करना चाहती है, लेकिन घरेलू क्षेत्र में भारत सरकार की प्रतिक्रियावादी और जन विरोधी नीतियों के कारण यह संभव नहीं होता। सरकार के वर्ग चरित्र तथा प्रतिक्रियावादी दृष्टिकोण के कारण यह योजनाएं आम जनता के ऊपर और भी आर्थिक बोझ डालने और उसका शोषण दमन करने का साधन रही है। हाल में एक ऑर्डिनेंस के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाया गया बहुत सूत्री बिक्री कर इस बात का सबसे ताजा प्रमाण है।
सम्मेलन के अंतिम दिन प्रांतीय कमेटी का चुनाव किया गया। इस कमेटी के सदस्य थे- ज़ेड. ए. अहमद, काली शंकर शुक्ल, शंकर दयाल तिवारी, जय बहादुर सिंह, सुनील दास गुप्त, राम आसरे, सरजू पांडे, रमेश सिनहा, शिव वर्मा, प्रताप कुमार टंडन, राजनाथ सिंह, झारखंड राय, मंगल देव पांडे (बलिया), अशोक बोस (कानपुर), रवि सिन्हा (कानपुर), चंदन सिंह (झांसी), हरीश तिवारी, शिव कुमार मिश्र, शांति त्यागी, शेर सिंह (देवरिया), राम सुमेर यादव (सुल्तानपुर), बाबू खान (लखनऊ), हरगोविंद (फैजाबाद), रामानंद (आजमगढ़), पूरन चंद्र सैनी (फिरोजाबाद), एस प्रीतम (सहारनपुर), धर्मदेव लाल (बलिय), से मजबूदार (मथुरा), मनोरमा सेटिंन (बनारस), सत्यनारायण सिंह (बनारस) और सर्वजीत सिंह (लखनऊ)।
चुनाव के फौरन बाद नई प्रांतीय कमेटी ने कामरेड जेडए अहमद को अपना मंत्री चुना।
सम्मेलन के अंतिम दिन पालघाट, मालाबार (केरल) में होने वाली पार्टी कांग्रेस के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव भी किया गया जिसमें शामिल थे- कालीशंकर शुक्ला, शंकर दयाल तिवारी, झारखंडे राय, जय बहादुर सिंह, राम आसरे, रमेश सिनहा, सरयू पांडे, शिव वर्मा, शांति त्यागी, प्रताप कुमार टंडन, भरत सिंह, पीसी जोशी, हरीश तिवारी, रुस्तम सेटिंन, रवि सिन्हा, पब्बर राम, सत्यनारायण सिंह, राम सुमेर यादव, घनश्याम सिनहा, शिव वर्मा, हरगोविंद, चंदन सिंह और ओमप्रकाश संगल, टी एन सरकार (आखिरी दोनों साथियों को बराबर वोट मिले) इसके अलावा ज़ेड. ए. अहमद और संत सिंह युसूफ केंद्रीय कमेटी की मेंबर की हैसियत से डिलीगेट थे।
सम्मेलन के अंतिम दिन यानी 8 अप्रैल को शाम को जिले के किसानों की एक शानदार रैली हुई रैली हुई। रैली से पहले अलग-अलग जत्थों में दूर-दूर से तमाम मजदूर किसानों ने सुसंगत जुलूस निकाला। जुलूस में सैकड़ो की संख्या में लाल झंडा थे। यह किसान अपनी पार्टी के सम्मेलन का अभिनंदन करने के आए थे। रैली के समय तक उनकी संख्या 5000 से अधिक हो गई थी।
सरजू पांडे ने रैली की अध्यक्षता की,कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत, जेड ए अहमद, झारखंडे राय, जय बहादुर सिंह, संत सिंह युसूफ तथा शेर सिंह आदि के भाषण हुए। इन भाषणों में देश की परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया।
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