शनिवार, 16 नवंबर 2024

भूत कैसे पैदा होते हैं जानने के लिए प्रवेश ले - बी एच यू

इस देश में काशी हिंदू वि.वि. अपने स्थापना के काल से ही फासिस्ट और मनुवादी सोच का केंद्र रहा है. इस वि.वि. में शुरू से ही लोकतंत्र और धर्म निरपेक्षता का अभाव रहा है. गोलवलकर इसी वि. वि. की संतान रहे हैं .1929 में हेडगवार जब पं. मदन मोहन मालवीय का गेस्ट बनकर मालवीय भवन में रूके थे तब जाते समय मालवीय ने गुरूगोलवलकर को हेडगवार को उपहार के रूप में भेंट किया था और कहा कि यह लड़का भविष्य में सनातन धर्म का रक्षक होगा. इस वि.वि. मे सदैव से संघ की शाखा लगती रही . जितने भी कुलपति आते रहे सब एक विशेष जाति के थे , पहली बार गैर विशेष जाति के कुलपति आचार्य नरेंद्र देव आये तो वि.वि. में हंगामा मच गया . आचार्य नरेंद्र देव की नियुक्ति विशेष जाति के लोगों को बरदास्त नही हो रही थी. उनपर वि.वि. के संसाधन पर दुरूपयोग का आरोप लगाया गया. स्थानीय सांसद नेता विधायक , छात्र नेता आचार्य नरेंद्र देव का इस्तीफा मांगने लगे. आचार्य जी ने अपना इस्तीफा पं. नेहरू को भेंज दिया । बात संसद में पहुंच गयी. एक देवता ने जब सदन में आचार्य जी को वामपंथी भ्रष्ट कुलपति कहकर हमला किया और हटाने की बात की तब पं. नेहरू पहली बार आपा खो बैठे और बोले जो वि.वि. आचार्य नरेंद्र देव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है , उस वि.वि. को बंद कर देना चाहिये. हमे ऐसे वि.वि. की जरूरत नहीं. आचार्य और मै दोनों वर्षों तक एक ही जेल में बंद रहे . हमे आचार्य नरेंद्र देव के बारे में किसी वि.वि. के प्रमाण पत्र की जरूरत नही है. आचार्य नरेंद्र देव का इस्तीफा मंजूर करने के बजाय मै इस वि.वि. को बंद कर देना पसंद करूंगा. सारे कांग्रेस के आस्तीन में छिपे संघियों का मुंह अवाक हो गया. सब चुप हो गये . पं. नेहरू ने सदन से पूछा कि क्या करे , दो विकल्प है सरकार के सामने , पहला आचार्य का इस्तीफा नामंजूर कर दूं या दूसरा विकल्प है कि बनारस हिंदू वि.वि. का अनुदान बंद कर दूं. सदन मे सन्नाटा छा गया. सब जोर से बोले आचार्य जी का इस्तीफा नामंजूर कर दीजिए . यह वि वि. मनुवादी संघियों का गढ़ रहा है. इसका उदाहरण सामने है. पं. मदन मोहन मालवीय कभी भी संघ में नही रहे. 4 बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे , गांधी से 8 साल और पं. नेहरू से 28 साल बडे रहे, लेकिन कांग्रेस ने कभी भी उनको भारत रत्न नही दिया, जबकि गुल्ली डंडा खेलने वाले तेंदुलकर को दे दिया. आखिर मोदी ने उनको भारत रत्न दिया जबकि उनका संघ से कभी संबंध नही रहा. मोदी ने पं. मालवीय को अटल के नीचे भारत रत्न देकर संघी कांग्रेसियों को खुश किया और वि.वि. को संघ का ट्रेनिंग सेंटर में तब्दील कर दिया . जहां संघ के जांबाज दिन दहाड़े छात्रओं से रेप कर रहे हैं और बीजेपी के नेता जमानत पर छूटने पर माला पहनाकर स्वागत कर रहे हैं . हिंदू वि.वि. आज फासिज्म का सेंटर बन चुका है. सभी लोकतांत्रिक गतिविधियों पर ताला लग चुका है. चुन चुन कर संघ के लंपट स्वयंसेवकों की हर पद पर नियुक्ति की जा रही है. पैसा लेकर अयोग्य कुलपतियों की नियुक्ति की जा रही है. आश्चर्य की बात है अपनी योग्यता के बल पर जे एन यू से आये कुछ सवर्ण अध्यापक यहां आकर मालवीय के आदर्शों का गायन कर रहे है. वामपंथ की जगह गेरूआ धारण करके जय श्रीराम का गायन कर रहे है. काशी हिंदू वि.वि. के पढ़े हुये 95% छात्र खासकर सवर्ण और बड़े पदों पर अधिकारी बनकर बैठे हुये लोग फासिस्ट सोच के हैं और मोदी - योगी का तलुआ चाट रहे हैं .इस वि.वि. का दुनियां के 600-700 वि.वि. मे कोई स्थान नहीं. कभी कोई नोबुल पुरस्कार किसी को नही मिला, शायद एक दो को छोड़कर किसी शोधार्थी का पेपर नेचर जैसी जर्नल में नही मिलेगा. यहां की शोध थेसिस को देखा जाय तो हर तीसरे चौथे की थेसिस के पन्ने एक दूसरे की फोटो कापी मिलेगी. यहां गोबर के उपले बनाने की विधि बताने वाले प्रोफेसर डीन डायरेक्टर के पदों पर विराजमान होते हैं . यहां भूत पर शोध किया जाता है कि भूत कैसे पैदा होते हैं ,बकायदा विभाग खुला है. यहां के सेमिनारों मे गंगा आरती के विकास पर चर्चा होती है. यहां संस्कृत कोई मुसलमान नही पढ़ा सकता , हिंदू धर्म नापाक हो जायेगा. पं. नेहरू ने सही कहा था कि ऐसे वि.वि. को बंद कर देना चाहिये. यहां अध्ययन- अध्यापन नहीं फासिज्म का नंगा नांच हो रहा है. काशी हिंदू वि.वि. वर्तमान में एक भ्रष्ट संस्था बनकर रह गयी है....देश समाज के योगदान में इसका कोई योगदान नही रह गया है. इस हिंदू बगिया से निकले फूल खासकर सवर्ण हर हर मोदी का गुणगान करते गली चौराहे पर मिल जायेंगे. अब यह वि.वि. देश पर बोझ बन चुका है. देश के विकास मे इसका कोई योगदान नही रह गया है. 1-2% जो योग्य लोग हैं उन्हे किनारे कर दिया जाता है और देश छोड़कर विदेशों की शरण मे जाने पर मजबूर कर दिया जाता है... इस वि.वि. को समझना हो तो तीन लोगों की स्पीच जरूर सुने. हांलाकि वि.वि. में शायद न मिले. 1. गांधी की स्थापना दिवस के समय का. 2. पं. नेहरू की जेल से छूटने के बाद ,जब वि.वि. मे आये थे. 3. सबसे बेजोड़ स्पीच महादेवी वर्मा की जो ज्ञान पीठ पुरस्कार पाने के बाद भारत कला भवन मे आयीं थी. drbn singh.

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