शनिवार, 2 नवंबर 2024
मोदी के क्षेत्र में चार सौ किताबों के लेखक एसएन खंडेलवाल वृद्धाश्रम की शरण में
मोदी के क्षेत्र में चार सौ किताबों के लेखक
एसएन खंडेलवाल वृद्धाश्रम की शरण में
उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल उर्फ एसएन खंडेलवाल चर्चा में है। इस सीनियर लेखक के बारे में बड़ी जानकारी सामने आई है। उन्हें उनके बच्चों ने घर से बेदखल कर दिया है। अब वह अपनी आपबीती सुनाते दिख रहे हैं। वह बताते हैं कि हमारा बनारस में जन्म हुआ। हम वहीं के रहने वाले हैं। काशी के कुश वृद्धाश्रम में पहुंचे लेखक ने कहा कि हमें हमारे बच्चों ने हमें घर से निकाल दिया है। इस कारण यहां आना पड़ा। उन लोगों ने हमारी जायदाद छीन ली। एसएन खंडेलवाल बताते हैं कि हमारी बच्ची सुप्रीम कोर्ट में वकील है। उसका पति भी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। बेटा भी बड़ा आदमी है। सब बड़े-बड़े आदमी हैं, लेकिन हमें घर से निकाल दिया।
एसएन खंडेलवाल ने बताया कि उनकी संपत्ति करीब 80 करोड़ की है। लेकिन, उनके बच्चों ने उनकी संपत्ति से उन्हें बेदखल कर दिया। भारी मन से वे बताते हैं कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को बाहर फेंक देना। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे दुखी हैं। इस कारण वृद्धाश्रम में आ गए। लेखक बताते हैं कि हमने अब तक 400 से अधिक किताबें लिखी हैं। इसमें 18 पुराण, 21 उपपुराण और तंत्र की करीब 400 किताबें शामिल हैं। अभी वे लेखन कार्य में लगे हुए हैं। लेकिन, बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया है।
बच्चों से दुखी हैं लेखक
लेखक एसएन खंडेलवाल अपने ही बच्चों से दुखी हैं। अपने बेटी और बेटे से दुखी होने के सवाल पर एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि हम सबसे दुखी हैं। अपने बच्चों के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि हमारे दो बेटे और एक बेटी थी। एक बेटा मर चुका है। एक बेटा है, लेकिन वह बहुत बड़ा आदमी है। बेटे अनूप खंडेलवाल के बारे में वह कहते हैं कि उसके पास लाखों की जायदाद है। वह बनारस में रहता है। वे दोहराते हैं कि उन लोगों ने हमें घर से निकाल दिया। जब हम बीमार पड़े तो एक मुस्लिम ने मेरी देखरेख की। हमने उसे बचाया था। दो लड़की की शादी की। गलत धंधे में जाने से रोका था, लेकिन हमारे बच्चों ने हमारी सुधि तक नहीं ली।
नरसिंह पुराण की कर रहे हैं रचना
काशी के कुश वृद्धाश्रम में रह रहे एसएन खंडेलवाल ने वहां रहने के मुद्दे पर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि हमें यहां रहने में कोई तकलीफ नहीं है। हम यहां बड़े मजे में किताब लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी हम एक पुराण लिख रहे हैं। इससे पहले हमारी तीन पुराण छपकर आई है। उन्होंने बताया कि हम नरसिंह पुराण रचना कर रहे हैं। यह पुस्तक अभी इंग्लिश और संस्कत में ही है। उसकी हिंदी में कॉपी नहीं आई है। हम इसे हिंदी में लिख रहे हैं।
एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि इस आश्रम में हमें कोई परेशानी नहीं हो रही है। अपने बेड की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि हम यहीं पर बैठकर लिखते हैं। केवल आंख की थोड़ी सी परेशानी है। इसके अलावा आश्रम में हमें सभी तरह का सपोर्ट मिलता है।
पद्मश्री पर किया बड़ा दावा
एसएन खंडेलवाल दावा करते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक पद्मश्री पुरस्कार देने का फैसला लिया था। लेकिन, उन्होंने इसे ग्रहण करने से इनकार कर दिया। वे कहते हैं कि हमने पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि हमारे गुरु कहते थे, कुछ भी लेने कहीं नहीं जाना है। अगर कोई कुछ देना चाहे तो यहां (घर) आकर दे सकता है। हालांकि, पद्म पुरस्कार के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ता। इसलिए, हमने उससे इनकार कर दिया। वृद्धाश्रम में रह रहे एसएन खंडेलवाल की स्थिति की चर्चा इस समय खूब हो रही है।
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