सोमवार, 28 अप्रैल 2025
संघ और बच्चों का मानसिक बधियाकरण
संघ और बच्चों का मानसिक बधियाकरण
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देश में संघ की जितनी भी शाखाएं हैं, जितने भी संगठन हैं और जितने भी कार्यक्रम हैं, उनके माध्यम से बच्चों से लेकर जवान और बुड्ढों तक को सांप्रदायिक वैमनस्यता, नफ़रत और दंगों, तथा मुसलमान, मस्जिद और पाकिस्तान के प्रति दुश्मनी का शिक्षण और प्रशिक्षण दिए जाते हैं। इन संगठनों के माध्यम से संघ भारत की एक बृहद आबादी का मानसिक बधियाकरण के साथ ही लंपटीकरण, अमानवीयकरण और अपराधीकरण कर चुका है, जो एक बोली पर बिना कुछ सोचे-समझे सियार की तरह हुआं हुआं बोलने लगते हैं।
इनके पास कुछ सोचने-समझने की अपनी बुद्धि तो होती नहीं, ये सिर्फ ऊपर के आदेश का पालन करना जानते हैं। भारत में मूर्खता के मार्तंड ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में है। इनके लिए इंसान और इंसानियत, प्रेम, दया, करूणा, सहानुभूति, भाईचारा, सदाशयता, समझदारी, ईमानदारी और परस्पर विश्वास जैसी बातों का कोई मतलब ही नहीं होता। ऐसे लोग सिर्फ विनाश और विध्वंस ही कर सकते हैं, निर्माण और विकास नहीं।
मूर्खों, अज्ञानियों, जाहिलों, अनपढ़ों, भ्रष्टों और लूटेरों की यह जमात बुद्धि, ज्ञान-विज्ञान, आधुनिकता, प्रगतिशीलता, गतिमानता, विवेकशीलता, तार्किकता, नवोन्मेष और सत्यान्वेषण के दुश्मन होती है। ऐसे ही लोगों की भीड़ के माध्यम से संघ, भाजपा और मोदी सरकार अपनी सांप्रदायिक सोच और कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाते हैं। धर्म और अंधराष्ट्रवाद के माध्यम से इनको सामाजिक स्वीकृति और राजनीतिक प्रश्रय मिलता है।
कुछ ऐतिहासिक पात्रों के माध्यम से इन्हें राष्ट्रवाद की शिक्षा दी जाती है। इन्हीं ऐतिहासिक पात्रों को वे राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक और प्रतिमान मानते हैं। ऐतिहासिक तथ्यों की इन्हें न तो कोई जानकारी होती है और न ही वे ऐतिहासिक तथ्यों का खुद से विश्लेषण ही कर सकते हैं, क्योंकि संघ की शाखाओं में सिर्फ आदेश का पालन करना ही सिखाया जाता है, प्रश्न करने की सख्त मनाही होती है।
इन शाखाओं के अलावा सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालयों में जिस तरह की शिक्षा देश के नौनिहालों को दी जाती है, वह सांप्रदायिक, अंधराष्ट्रवादी, अवैज्ञानिक, अतार्किक, धार्मिक उन्माद और अंधविश्वास से भरे होते हैं। आज ऐसे लोगों का जमावड़ा सबसे ज्यादा मंदिरों और धर्मस्थलों के ईर्द-गिर्द ही होता है। धर्म और धर्मस्थल इनके अमानवीय व्यवहारों का औचित्य सिद्ध करने के सबसे बेहतर साधन और जगह हैं।
ऐसे लोगों के जीवन यापन के लिए संघ को सरकार और पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों से अच्छी-खासी रकम भी मिलती है। संघ ने इसी प्रक्रिया द्वारा भारतीय समाज और व्यवस्था का अपराधीकरण, लंपटीकरण, अमानवीयकरण और बाजारीकरण किया है, जिसका दुष्परिणाम हम सब भुगत रहे हैं।
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राम अयोध्या सिंह, 27.04.2025
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