सोमवार, 19 मई 2025

नागपुरी जार्ज की पत्नी का देहांत

नागपुरी जार्ज की पत्नी का देहांत नागपुर मुख्यालय के दुलारे समाजवादी नेता और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस की पत्नी लैला कबीर दुनिया को अलविदा कह दिया। लैला कबीर पिछले 2 साल से कैंसर से जूझ रही थीं और उन्होंने अस्पताल में भर्ती नहीं होने का फैसला किया था। वह 88 साल की थीं। 1970-71 में ऑक्सफोर्ड से वापस आकर लैला कबीर रेड क्रॉस में शामिल हुई थीं। लैला कबीर और जॉर्ज फर्नांडिस की जब शादी हुई, उस वक्त जॉर्ज उभरते हुए नेता थे जबकि लैला रेडक्रॉस में ऑफिसर थीं। उस दौरान ही बांग्लादेश बनने की लड़ाई चल रही थी और लैला कहती थीं कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई उन्हें साथ लेकर आई ह विमान में हुई पहली बार लंबी बात विमान से कोलकाता से दिल्ली आते वक्त जॉर्ज और लैला कबीर ने पहली बार काफी देर तक बात की थी। तब फर्नांडिस अपनी सीट बदलकर लैला के पास ही बैठ गए थे। जब विमान दिल्ली पहुंचा तो डिनर पर मिलने को लेकर बात हुई और इसके तीन हफ्ते बाद ही शादी का प्रस्ताव आ गया। 22 जुलाई, 1971 को जॉर्ज और लैला ने शादी कर ली। 10 जनवरी, 1974 को उनके बेटे ‘सुशांतो कबीर फर्नांडिस’ का जन्म हुआ। 25 जून, 1975 को जब वे लोग ओडिशा में समुद्र के किनारे गोपालपुर में छुट्टियां मना रहे थे। इस दौरान फर्नांडिस को सूचना मिली कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है। फर्नांडिस जानते थे कि पुलिस उन्हें पकड़ सकती है इसलिए वह अंडरग्राउंड हो गए और 1 साल तक यहां से वहां घूमते रहे घूमते रहे। हालांकि इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बेटे के साथ अमेरिका चलीं गई लैला जॉर्ज के अंडरग्राउंड होने के बाद लैला अपने बेटे के साथ अमेरिका चली गईं और वहां भी उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया। उन्हें इस बात का डर था की जॉर्ज की हत्या हो सकती है। अमेरिका में रहने के दौरान लैला प्रमुख अखबारों के संपादकों से मिलीं और कई बैठकों में शामिल हुईं। इमरजेंसी खत्म होने के 22 महीने बाद ही लैला और जॉर्ज एक-दूसरे से मिल सके। जनता पार्टी की सरकार में मंत्री बने थे जॉर्ज जब लैला भारत लौटीं और इंदिरा गांधी के सत्ता से हटने के बाद देश में जनता पार्टी की सरकार बनी तो लैला को अलग किस्म के हालात देखने पड़े। जॉर्ज जेल से ही 1977 का चुनाव लड़े और जीते और जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री बने। तब जॉर्ज फर्नांडिस से मिलने के लिए सैकड़ों लोग उनके घर पर जमा रहते थे और लगातार चाय का दौर चलता रहता था। ऑपरेशन सिंदूर पर दिए थे विवादित बयान, अब नेताओं के लिए ‘स्पेशल पाठशाला’ चलाएगी बीजेपी लैला ने एक बार कहा था, “मुझे बहुत मुश्किल तब होती है जब कई लोग सुबह 6 बजे हमारे बेडरूम में आ जाते हैं और उन्हें यह भी नहीं लगता कि इसमें कुछ असामान्य है।” 1979 में जब जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर घमासान चल रहा था तब फर्नांडिस ने संसद में मोरारजी देसाई सरकार के समर्थन में शानदार भाषण दिया लेकिन 2 दिन बाद ही वह पूरी तरह पलट गए और सरकार को गिराने के लिए समाजवादियों के साथ चले गए। तब लैला ने मुझसे कहा था, “मुझे नहीं पता कि जॉर्ज पर मधुर लिमये का क्या असर है।” इसके कुछ सब वक्त बाद ही जनता पार्टी की सरकार गिर गई थी। लैला और जॉर्ज फर्नांडिस 25 साल तक एक-दूसरे से अलग रहे लेकिन लैला ने कभी भी जॉर्ज के बारे में सार्वजनिक रूप से गलत नहीं बोला। उन्होंने ऐसा तब भी नहीं किया जब वे एक-दूसरे के साथ नहीं थे। एक बार जॉर्ज के अनुरोध करने पर वह उनके लिए बिहार के मुजफ्फरपुर में प्रचार करने भी गई थीं। वीपी सिंह सरकार में भी मंत्री बने थे जॉर्ज इसके बाद जॉर्ज 1989 में वीपी सिंह की सरकार में फिर से मंत्री बने। उस वक्त लैला शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए अपने दोस्तों के साथ जॉर्ज के घर आई थीं और तब उन्होंने जॉर्ज को मिलने वाले मंत्रालयों को लेकर बात की थी। तब जॉर्ज फर्नांडिस को रेल मंत्रालय मिला था। जॉर्ज ने कभी नहीं मांगा तलाक मतभेदों के बावजूद जॉर्ज फर्नांडिस ने कभी भी लैला से तलाक देने के लिए नहीं कहा जबकि लैला ने इसकी पेशकश की थी। 2009 में जब उनका बेटा अमेरिका से वापस लौटा और उसने पिता के साथ रहने का फैसला किया, तब लैला कबीर फिर से जॉर्ज फर्नांडिस की जिंदगी में लौटीं। लैला ने जॉर्ज के भाइयों और दोस्तों को जया जेटली के पास आने से रोका। लैला तब तक जॉर्ज के साथ रहीं और उनकी देखभाल करती रहीं, जब तक 2019 में इस समाजवादी नेता की मृत्यु नहीं हो गई। एक बार जब जॉर्ज बीमार थे और लैला उनकी देखभाल कर रही थीं, तब उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उन्होंने संकल्प लिया था कि वह किसी मुस्लिम या हिंदू से शादी नहीं करेंगी। लैला ने कहा था, “बंटवारे की यादें मेरे मन में ताज़ा थीं। मेरे पिता मुस्लिम थे और मेरी मां ब्रह्मो समाज से थीं। मैं न तो यह थी, न वह।” जॉर्ज ने पादरी बनने की ट्रेनिंग ली थी, विद्रोह किया था और वह समाजवाद की लड़ाई में कूद पड़े थे। जब उनकी मुलाकात लैला से हुई तब वह ईसाई बन चुके थे जबकि लैला कबीर मुस्लिम पिता और हिंदू मां की बेटी थीं। लैला एक बात को लेकर बेहद निराश थीं कि जॉर्ज बीजेपी के साथ क्यों गए क्योंकि तब जेडीयू ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था। लैला ने एक बार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि जब भी इस दिग्गज समाजवादी नेता की सेहत खराब होती थी तो जॉर्ज उन्हें बुलाते थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

Share |