सोमवार, 23 जून 2025

अमरीका-इजराइल और ईरान युद्ध का भारत पर प्रभाव

अमरीका-इजराइल और ईरान युद्ध का भारत पर प्रभाव अमेरिका अब बातचीत पर इसलिए जोर दे रहा है, क्योंकि हॉर्मूज को बंद किया गया है। ईरानी नौसेना वहां माइन्स लगा रही है। कल रात से आज तक 45 टैंकर हॉर्मूज से लौटे हैं। चालकों ने वहां जाने से मना कर दिया है। तेल का खतरा अमेरिका के मित्र देशों पर मंडरा रहा है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स आज 800 प्वाइंट गिरा है। रुपया 87 की ओर है। क्रूड के दाम 5% बढ़े हैं। कच्चे तेल के दाम में प्रति 6 डॉलर की वृद्धि से रुपया 2 प्वाइंट गिर जाता है। 6 महीने जंग खिंची तो क्या होगा? क्या मोदी सत्ता 140 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दे सकेगी? क्या अमेरिका के अनैतिक दोस्त बिना तेल और गैस के 6 महीने गुजार सकेंगे? 1972 के बाद पहली बार हॉर्मूज बंद हुआ है, जहां से रोज 500 मिलियन बैरल तेल गुजरता है। इसीलिए ट्रंप घुटने पर आते दिख रहे हैं। उन पर जंग खत्म कराने का दबाव है। लड़ाई 6 महीने या ज्यादा खिंच गई तो भारत का व्यापार घाटा 136 बिलियन से 3 गुना बढ़ सकता है। क्रूड अभी 77 डॉलर पर है, जल्दी ही 80 और 100 पार करेगा। महंगाई भयानक तेजी से बढ़ेगी। अगर, ईरान ने मिडिल ईस्ट में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाया तो खाड़ी के देशों से आने वाला 40 बिलियन पैसा नहीं आएगा। भारत का समूचा आयात–निर्यात ठप हो जाएगा। भारत की 140 करोड़ अवाम शायद यही चाहती है। अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों में ईरान के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं भारत की अवाम चुप है। कोई नहीं। आप 600 रुपए लीटर तेल खरीदें। मौज करें।

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