रविवार, 17 अगस्त 2025

वाराणसी मे 111 मंदिर व 11मजार तोडे जा रहे हैं संघी सरकार है इसलिए किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुंचेगी संघ सरकार ने मंदिरों को गिराने का कीर्तिमान स्थापित किया है।

वाराणसी मे 111 मंदिर व 11मजार तोडे जा रहे हैं संघी सरकार है इसलिए किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुंचेगी संघ सरकार ने मंदिरों को गिराने का कीर्तिमान स्थापित किया है। आज तक के इतिहास में गुजरात से लेकर उ प्र में भारी संख्या में मंदिर गिराए गए। इन दिनों बनारस में कई जगह सड़कों के चौड़ीकरण का काम चल रहा है. एक तरफ जहां पांडेपुर से संदहा तक 14 किलोमीटर तक सड़क को चौड़ा बनाने के लिए बुलडोजर एक्शन जारी है, वहीं मंडुवाडीह क्षेत्र में भी फ्लाईओवर बनाने और रोड चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं. ऐसे में पीडब्ल्यूडी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके पीछे की वजह इन सड़कों पर धार्मिक स्थलों का होना है. इन्हें तोड़े जाने का विरोध न हो, और काम भी बिना बाधा के चलता रहे, इसी मंशा के साथ अफसर अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं. वाराणसी में निर्माण शुरू करने से पहले ही पीडब्ल्यूडी ने एक स्ट्रक्चर तैयार किया था. इसमें अलग-अलग सड़कों पर 122 ऐसे धार्मिक स्थल चिन्हित किए गए थे, जिनको हटाने की प्लानिंग पहले से ही की गई थी, इसके लिए स्थानीय लोगों के साथ ही पीडब्ल्यूडी ने अपने स्तर पर भी इनको दूसरी जगह पर स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी थी और अब जब कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ गई है तो इस दिशा में काम भी तेजी से हो रहा है और अब तक 100 से ज्यादा मंदिरों और मजारों के लिए जगह देने की कार्रवाई भी पूरी की जा चुकी है. 2027 तक पूरा होना है चौड़ीकरण का काम :दरअसल वाराणसी में हाईवे और रिंग रोड के साथ ही शहर की सड़कों को इंटरनली चौड़ा करने के लिए इस समय तेजी से काम चल रहा है. वाराणसी में 6 ऐसी सड़कें हैं जिनके चौड़ीकरण की कार्रवाई जारी है. चौड़ीकरण में 6 सड़कों का काम अप्रैल 2027 तक पूरा होना है. इनमें से कुछ का काम काफी आगे बढ़ गया और कुछ अभी शुरुआती दौर में हैं. ऐसे में इन सड़कों पर पड़ने वाले धार्मिक स्थलों के लिए पहले से ही प्लानिंग शुरू हो गई थी. इस बारे में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता केके सिंह का कहना है कि सड़क किनारे सरकारी जमीन या क्षेत्रीय लोगों की तरफ से पहले ही प्लानिंग करके इन स्थानों पर धार्मिक स्थलों को विधिवत पूरे नियम कानून के साथ विस्थापित करने की कार्रवाई शुरू की गई थी. इनमें से कई को बना भी दिया गया है और कई स्थानों पर इसके लिए अभी जमीन तलाश की जा रही है. धार्मिक स्थलों के विस्थापन की तैयारी तेज :श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण के बाद जिस तरह से यहां लोगों की संख्या बढ़ी है. उसके बाद सड़कों का चौड़ीकरण होना भी बेहद जरूरी है. इस वजह से हाईवे व रिंग रोड से शहर के अंदर आने वाली 6 सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है. इस दौरान 111 मंदिरों के साथ 11 मजार मिले थे. मंदिरों को विस्थापित करने के लिए काशी के विद्वानों से राय ली गई और उसी हिसाब से इनका निर्माण और इनको विस्थापित करने की कार्रवाई की जा रही है, जबकि मजार को हटाकर इन्हें भी नई जगह पर शिफ्ट करने के लिए उनके धर्म गुरुओं से बात की गई थी. इनका कहना था कि मजार के अंदर एक पत्थर या कोई विशेष ऐसी चीज जो पीर-फकीर से जुड़ी होती है. उसको रखा जाता है, यदि उसे कहीं और शिफ्ट करना होता है तो उसमें मौजूद चीज को दूसरे जगह जमीन में दफन करने के बाद, वहां उसका निर्माण किया जा सकता है. ऐसे में हमने मजार विस्थापित करने के लिए भी धर्म गुरुओं से बात करके उसे शिफ्ट करने का काम शुरू किया है. 2017 से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जीणोद्धार का काम शुरू हुआ था. जिसमें विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान कुल 315 मकानों के अधिग्रहण की कार्रवाई हुई. इस दौरान मंदिर प्रशासन का यह दावा है कि कोई पुराना मंदिर टूटा नहीं बल्कि मंदिरों के अंदर से विग्रह और पुराने मंदिरों के स्वरूप को वापस लाया गया है. 55 हज़ार वर्ग मीटर के क्षेत्र में धाम का निर्माण हुआ.गालियां, संकरे रास्ते, 315 भवनों का अधिग्रहण किया गया था.करीब 700 परिवारों , छोटे-बड़े दुकानदारों का विस्थापन हुआ था.काशी विद्वत परिषद के सहयोग से मंदिरों के नवनिर्माण की रूपरेखा तैयार करवाई गई थी. इसमें मुख्य रूप से राधा रानी का मंदिर, अति प्राचीन नीलकंठ महादेव, काशी करवट, अमृतेश्वर महादेव, शिव कचहरी, संकट हरण हनुमान, सत्यनारायण मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर और अक्षयवट हनुमान मंदिर, शनिदेव मंदिर, पार्वती मंदिर, जौ विनायक मंदिर का जीणोद्धार करके पुनर्स्थापना हुई. काशी खण्ड के अनुसार कुल 27 विग्रह समेत 58 मन्दिर धाम के निर्माण के बाद पुनर्स्थापित हुए. 125 से अधिक ऐसी दुर्लभ मूर्तियां सभी विग्रह और मन्दिरों की एक मणिमाला धाम में तैयार हुई है. नरिया पर 200 साल पुराना प्राचीन हनुमान मंदिरपांडेयपुर में अति प्राचीन काली मंदिरआजमगढ़ रोड पर प्रसिद्ध बेलवा बाबा मंदिररामनगर थाने के पास स्थित हैदर अब्बास मस्जिदरामनगर पड़ाव मार्ग पर प्राचीन ग्वाल मंदिरलहरतारा से शुरू हुए चौड़ीकरण में मंडुवाडीह चौराहे के पास कुतुबुद्दीन बाबा की मजारभोजुबीर सिंधोरा मार्ग पर सैयद बाबा की मजार विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र का कहना है कि जो मंदिर स्थापित है या जिनकी स्थापना हुई है. उनमें नियमित रूप से पूजा-पाठ होता है. हाल ही में निर्माण के दौरान मूंगे वाले हनुमान जी की प्रतिमा को भी स्थापित करके उसका पूजन-पाठ शुरू हुआ है. नीलकंठ महादेव मंदिर से लेकर अन्य मंदिरों में विधिवत हर प्रदोष के दौरान पूजन संपन्न करने के लिए अलग से पुजारी को लगाया गया है. भोजुबीर सिंधोरा मार्ग पर सैयद बाबा की मजार तोड़ी गई थी मजार के लिए मांगी गई थी जमीन, दी गई पूरी :मजार बनाने के लिए जितनी जमीन की मांग की गई उतना पीडब्ल्यूडी ने उपलब्ध कराया है, जो भी पुरानी मजार या पुराने मंदिर हैं जो 2011 जनवरी तक बने थे उनको छोड़कर बाकी पर कार्रवाई जारी है. इसकी पूरी जानकारी जुटाने के बाद ही इन्हें शिफ्ट करने की कार्रवाई शुरू की गई है, जांच में जो सही पाए गए हैं उनको

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