बुधवार, 24 सितंबर 2025

जब तक रोटी के प्रश्नों पर पड़ा रहेगा भारी पत्थर--भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय महाधिवेशन चंडीगढ़

जब तक रोटी के प्रश्नों पर पड़ा रहेगा भारी पत्थर कोई मत ख्वाब सजाना तुम, मेरी गली में उसे खोजते अगर कभी जो आना तुम।। धानों की बालियों में टपका हुआ पसीना सोचो तो उसकी बूंदे मोती है या नगीना।। भूखे रधिया और विशेषर जिनका खून गिरा धरती पर। मेहंदी नहीं रचाना तुम, मेरी गली में उसे खोजते अगर कभी जो आना तुम।। इतिहास बेड़ियों में जकड़ा हुआ अभी है पिंजड़े में जिंदगी का बन्दी हुआ सुआ है।। जब ये बंदी न हीं छूटे और बेड़ियां भी न टूटे, पायल नहीं बजाना तुम मेरी गली में उसे खोजते अगर कभी जो आना तुम ।। चंदा के बदले हमको रातें मिली है खाली है इस तरफ अंधेरा और उस तरफ दिवाली, जब तक सूरज नहीं उगाले चंदा को न वापस पा ले, टुकली नहीं लगाना तुम मेरी गली में उसे खोजते अगर कभी जो आना तुम।। जब तक रोटी के प्रश्नों पर पड़ा रहेगा भारी पत्थर कोई मत ख्वाब सजाना तुम मेरी गली में उसे खोजते अगर कभी जो आना तुम।।

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