रविवार, 21 सितंबर 2025

भाकपा को एक मजबूत ताकत के रूप में उभरना होगा जो भारत की राजनीतिक दिशा तय कर सके: डी राजा

भाकपा को एक मजबूत ताकत के रूप में उभरना होगा जो भारत की राजनीतिक दिशा तय कर सके: डी राजा मोहाली (पंजाब), 21 सितंबर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) महासचिव डी राजा ने रविवार को कहा कि वाम दल को सभी स्तरों पर मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि वह एक मजबूत ताकत के रूप में उभर सके, जो देश की राजनीतिक दिशा तय कर सके और उसे आकार दे सके। राजा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लोगों से ‘इसे सत्ता से बाहर करने’ का आह्वान किया। राजा यहां भाकपा के 25वें महाधिवेशन के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित एक रैली को संबोधित कर रहे थे, जो चंडीगढ़ में 25 सितंबर तक चलेगी। भाकपा के इस महाधिवेशन में 800 से अधिक प्रतिनिधियों के शामिल होने की उम्मीद है। राजा ने पार्टी महाधिवेशन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि वामपंथी, साम्यवादी और धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को कैसे एकजुट किया जाए और एक मजबूत सामूहिक लड़ाई कैसे लड़ी जाए। जब ​​तक भाजपा रहेगी, लोग गरीबी और खतरे में रहेंगे। हमारी पार्टी कांग्रेस इस बात पर चर्चा करेगी कि मजदूरों, किसानों और सभी मेहनतकश लोगों के हितों की रक्षा कैसे की जाए।’’ भाकपा महाधिवेशन के महत्व की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल इस बात पर उत्सुक हैं कि ‘‘हम क्या चर्चा करने जा रहे हैं और हम एक मजबूत जन आंदोलन कैसे खड़ा करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी पार्टी को मजबूत करना होगा। हमारा लाल झंडा ऊंचा होना चाहिए। भाकपा को गांवों और कस्बों में सभी स्तरों पर मजबूत किया जाना चाहिए।’’ राजा ने कहा कि एक मजबूत भाकपा ‘लोकतंत्र की गारंटी, संविधान की रक्षा और लोगों की आजीविका के लिए संघर्ष’ है। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि सत्र में, महाधिवेशन राजनीति और संगठन पर चर्चा करेगा। राजा ने कहा, ‘‘आइए हम एक मजबूत भाकपा के निर्माण का संकल्प लें। एक ऐसी भाकपा जो एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरे, एक ऐसी शक्ति जो देश की राजनीतिक दिशा तय कर सके और उसे आकार दे सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाकपा महाधिवेशन लोगों को आशा और विश्वास का संदेश देगा। लोगों को फासीवादी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए सड़कों पर आगे आने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।’ राजा ने कहा कि 25वां भाकपा महाधिवेशन इतिहास के एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी भाजपा सरकार है। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बहुत आक्रामक हो गया है।’ राजा ने कहा कि भाकपा और आरएसएस दोनों का गठन 1925 में हुआ था। भाकपा के ‘सर्वोच्च बलिदानों’ का वर्णन करते हुए, उन्होंने सवाल किया कि पिछले 100 वर्षों में आरएसएस ने क्या किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा इतिहास कोई साधारण नहीं, बल्कि सर्वोच्च बलिदानों का है। पंजाब में, हमारी पार्टी समाज के सभी वर्गों के लोगों को एकजुट करने में सबसे आगे रही है। पंजाब अपने क्रांतिकारी आंदोलनों और गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यह (महान स्वतंत्रता सेनानी) भगत सिंह थे, जिन्होंने ‘इंकलाब जिदाबाद’ का नारा दिया था; अब यह नारा पूरे देश में गूंज रहा है- मणिपुर से लेकर महाराष्ट्र तक और कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक।’’ राजा ने कहा कि भाकपा ने देश को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आज भारत स्वतंत्र है, तो यह भाकपा द्वारा दिए गए बलिदानों की वजह से है।’’ राजा ने आरएसएस की भूमिका पर सवाल उठाया। राजा ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘क्या आरएसएस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी? फ्रांसीसी शासन के खिलाफ? पुर्तगाली शासन के खिलाफ? उस समय आरएसएस कहां था? यह इतिहास की विडंबना है कि आज एक दक्षिणपंथी राजनीतिक दल, भाजपा, सत्ता पर काबिज हो गई है और आरएसएस बहुत आक्रामक हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस एक फासीवादी संगठन है। यह भारत को एक धर्मशासित राष्ट्र में बदलना चाहता है।’’ वामपंथी नेता ने बताया कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आधार पर नीतियां बनाने का वादा किया था। राजा ने कहा, ‘अब सभी जानते हैं कि मोदी सरकार ‘सबके साथ’ नहीं है। यह केवल ‘कॉर्पोरेट कार्यालयों के साथ’ है। यह गरीबों, किसानों या मजदूरों के साथ नहीं है।’’ उन्होंने सवाल किया कि दो करोड़ नौकरियां कहां है, जिसका वादा मोदी सरकार ने किया था। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से सवाल किया, ‘‘दस साल बीत गए। कितने करोड़ नौकरियां पैदा हुईं? मोदी के पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने विदेशों से काला धन वापस लाने और हर नागरिक को 15 लाख रुपये देने का वादा किया था। क्या आपको मिला?’’ उन्होंने कहा कि किसानों को सरकार से अपने हितों के खिलाफ तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए विरोध प्रदर्शन करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘मोदी ने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का वादा किया था। पंजाब के किसानों से पूछिए कि क्या उन्हें एमएसपी मिला। हमें समझना होगा कि मोदी सरकार ऐसी ही है।’ उन्होंने कहा कि बी आर आंबेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान भारत को सभी का देश बताता है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह केवल एक धर्म का देश नहीं है, बल्कि आरएसएस ऐसा कहता है। संविधान हमारे देश को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में परिभाषित करता है, जो सभी लोगों को आजीविका के साधन की गारंटी देता है। मोदी सरकार इसे कल्याणकारी राज्य नहीं, बल्कि एक फासीवादी राज्य बनाना चाहती है।’’ उन्होंने कहा कि यही कारण है कि भाकपा मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ रही है। भाकपा नेता ने कहा, ‘‘अगर हमें संविधान, राष्ट्र और लोकतंत्र को बचाना है, तो हमें भाजपा को सत्ता से बाहर करना होगा। इसीलिए हम कहते हैं ‘देश बचाओ, भाजपा हटाओ’।’’ पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ से हुई तबाही पर, राजा ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र को प्रभावित लोगों की हरसंभव मदद करनी चाहिए। भाकपा की राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर, पंजाब भाकपा सचिव बंत सिंह बराड़ और अन्य नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया।

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