लो क सं घ र्ष !
लोकसंघर्ष पत्रिका
रविवार, 26 अक्टूबर 2025
अभिलाषाओं की करवट फिर सुप्त व्यथा का जगना सुख का सपना हो जाना भींगी पलकों का लगना। - प्रदीप सिंह
अभिलाषाओं की करवट फिर सुप्त व्यथा का जगना सुख का सपना हो जाना भींगी पलकों का लगना।
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