सोमवार, 27 अक्टूबर 2025
अज़ीज़ बर्नी की कलम से हिंदूवादी सरकार और तालिबानी फरमान,,,
हिंदूवादी सरकार और तालिबानी फरमान,,,
ये तो तारीखी हक़ीक़त है कि हिंदुस्तान पर मुगलों ने हुकूमत की, तब भी हिंदुस्तान में हिंदुओं की अक्सरियत थी और जब अंग्रेजों ने हिंदुस्तान पर हुकूमत की तब भी हिंदुस्तान में हिंदुओं की अक्सरियत थी और सैकड़ों साल तक चलने वाली इन हुकूमतों में सिर्फ़ कुछ हज़ार ही मुग़ल या अंग्रेज़ हुक्मरान थे जबकि उनके निज़ाम को अमल में लाने वाले अहलकार ज़्यादा तर हिन्दू थे। मैं इस वक़्त इस तफसील में नहीं जाना चाहता, कि उस वक़्त क्यों हिंदू अक्सरियत ने अंग्रेजों की गुलामी कुबूल करते हुए हिन्दुस्तानियों पर ज़ुल्म किए। यानी हिंदुओं ने उस वक़्त के हुक्मरानों के हुक्म पर अमल करते हुए हिंदुओं पर ज़ुल्म किए और इनमें जालियांवाला बाग का ज़ुल्म भी शामिल है जिसमें बेशक गोली चलाने का हुक्म देने वाला जनरल डायर अंग्रेज था लेकिन गोली चलाने वाले अंग्रेज़ नहीं थे।
बेशक ये अंग्रेजों की हुकूमत का दौर था। लेकिन आज,,,
हिंदुस्तान आज़ाद है और ये 2014 के बाद वाली सरकार है,,, ये कांग्रेस या सेक्युलर वादियों की सरकार नहीं है। ये 1947 के बाद वाली पंडित नेहरू की सरकार नहीं है।जो मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए हिंदुत्व पर अमल नहीं करती थी,,, ये भी कहा जाता रहा कि 1947 में मिली आज़ादी संपूर्ण आज़ादी नहीं थी,,, बक़िम चन्द्र के आनंद मठ की राह पर चलने वाली सरकार नहीं थी हिन्दुओं की अक्सरियत वाले देश में हिंदुत्व की सरकार नहीं थी,,,
लेकिन
लेकिन
2014 के बाद वाली सरकार जो आज 2025 में भी जारी है ये कट्टर हिंदुत्व वादी सरकार है जो पिछले 11 साल में क़दम क़दम पर देश की जनता को ये अहसास दिलाती रही कि हम हिंदू हित को सर्वोपरी रखते हैं। यहां तक कि, अपने अमल से मुसलमानों को दूसरे दर्जे का शहरी होने का अहसास दिलाया जाता रहा और मुसलमानों की बात करने वाली तमाम सेक्युलर पार्टियों को मुस्लिम हितैषी और हिन्दू विरोधी प्रचारित किया जाता रहा राहुल गांधी को सीधे निशाने पर रखा जाता रहा मुलायम सिंह यादव को कोसा जाता रहा,,,
फिर आज जबकि,,,
ना कांग्रेस की हुकूमत है ना सेक्युलर वादियों की,,, ये वो हुकूमत है जिसके निशाने पर हमेशा मुग़ल शासक औरंगजेब और दीगर मुस्लिम हुक्मरान रहे। अफगानिस्तान से आकर भारत पर हुक्मरानी करने वाले मुग़ल शासक रहे,,,
ये तो इतिहास की बातें हैं बीते हुए कल की बातें हैं जिनका ज़िक्र कर कर के आज की हुकूमत हिंदुत्वा का ढोल पीटती रही और हिन्दुओं का ध्रुवीकरण करती रही उन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करती रही, सरकार बनाती रही इसी वजह से मुग़ल हुक्मरान अफगानिस्तान से आए मुग़ल हुक्मरान और मुसलमान निशाने पर रहे,,,
वो आज अफगानिस्तान से आए एक मुसलमान, एक तालिबानी मुसलमान के फ़रमान को मानने के लिए मजबूर क्यों हुई,,,
ये गुलामी का दौर नहीं है,,,
ये मुगलों की हुकूमत नहीं है,,,
ये काबुल से आकर हुकूमत करने वालों की सरकार नहीं है,,,
ये मुस्लिम तुष्टिकरण की राह पर चलने वाले सेक्युलर वादियों की सरकार नहीं है,,,
ये स्त्रियों को सम्मान देने के स्लोगन देने वाली सरकार है,,,
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार है,,, उसने हिंदुस्तान की पढ़ी लिखी महिला पत्रकारों के बहिष्कार, प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आने देने के तालिबानी फरमान को क्यों मान लिया,,,
बिहार के चुनाव में हर स्तर पर महिलाओं को आकर्षित करने वाले नारे दिए दिए गए, आर्थिक लाभ दिए गए उनके मान सम्मान की बात की गई, फिर दिल्ली में महिला पत्रकारों का बहिष्कार क्यों स्वीकार किया गया,,,
ये एक अहम मुद्दा है जिसका असर बिहार के चुनाव में हो सकता है।
इतिहास इस बात का गवाह रहेगा कि आज हिंदुत्व की सरकार में काबुल से आने वाला एक अफ़गानी,एक तालिबानी हिंदुस्तान की गुलामी के दौर में नहीं आज़ादी के बाद सबसे शक्तिशाली हिंदूवादी सरकार में अपना हुक्म चलाने में कामयाब कैसे हुआ,,,
बस इतनी सी बात कहने केलिए मुझे ये चंद लाइनें लिखनी पड़ीं कि अब अब आप मुगलकालीन इतिहास की बात ना करें आज के इतिहास की बात करें,,,जिसमें एक अफ़गानी मुसलमान ने हिंदुस्तान की धरती पर अपना फरमान जारी किया और हिंदुस्तान की सरकार ने उसे क़ुबूल किया,,,,,, समाप्त।
अज़ीज़ बर्नी
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