मंगलवार, 9 दिसंबर 2025
निजी क्षेत्र के समर्थक दलाल वर्ग बेशर्मी के साथ भी इंडिको प्रकरण पर बोल नहीं पा रहा है सरकारी
निजी क्षेत्र के समर्थक दलाल वर्ग बेशर्मी के साथ भी इंडिको प्रकरण पर बोल नहीं पा रहा है
सरकारी कर्मचारियों को एक जरा सी बात पर कह देने वाले कि- तुम्हें हमारी वजह से सैलरी मिलती है, आज एयरपोर्ट पर मजबूर से खड़े है अब उनके मुंह से आवाज नहीं निकल रही।
जिन अमीर और “एलीट क्लास” पढ़े-लिखे लोगों को हर रोज़ यह शिकायत रहती है कि सारे सरकारी संस्थान बंद कर दो, सब कुछ प्राइवेट को दे दो। उनको नहीं पता कि असली सर्विस सरकारी संस्थान ही देते हैं।
उन्हीं एलीट क्लास लोगों में से कई पिछले चार दिन से एयरपोर्ट पर फंसे पड़े हैं। किसी की फ्लाइट शिफ्ट हो गई, किसी की कैंसिल, कोई टर्मिनल में ही रात काट रहा है।
लेकिन मज़े की बात कि
आज तक किसी को यह कहते नहीं सुना कि हमारे पैसे से तुम्हें सैलरी मिलती है।
(जबकि ये लाइन वे सरकारी संस्थानों में बेझिझक बोल देते हैं)
🤔 क्यों?
क्योंकि यहाँ सामने सरकारी कर्मचारी नहीं, एक सुपर प्रीमियम प्राइवेट ब्रांड की यूनिफॉर्म दिख रही है।
और यूनिफॉर्म देखकर व्यवहार भी बदल जाता है।
थोड़े तथ्य भी सुन लीजिए
1️⃣ एयरपोर्ट और एयरलाइंस- 90% प्राइवेट हैं
ज़्यादातर बड़े एयरपोर्ट PPP मॉडल पर निजी कंपनियाँ चलाती हैं।
एयरलाइंस तो पूरी तरह प्राइवेट—और लेट, मिस मैनेजमेंट, ओवर बुकिंग इनके “सुपर सर्विस” का हिस्सा है।
2️⃣ भारत में बैंकिंग- संकट के समय निजी बैंक भागे, बचाया सरकार ने
YES बैंक डूबा - बचाया SBI ने
ICICI पर संकट आया - स्थिरता सरकार ने दी
निजी बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाएँ खोलने से बचते हैं
सरकारी बैंक अकेले 60% देश की आबादी तक पहुँच रखते हैं
3️⃣ कोविड के समय- हवाई यात्रा बंद, निजी अस्पतालों ने दुगुना पैसा माँगा लेकिन सरकारी अस्पताल, सरकारी बैंक, सरकारी बस, सरकारी रेल, सबने बिना भेदभाव सेवा दी।
⚡फिर भी दोष?
लाइन में लगना - सरकारी की गलती
लोन में देरी - सरकारी की गलती
ATM में भीड़ - सरकार की गलती
लेकिन एयरलाइन घंटों रोक दे, 2–2 दिन एयरपोर्ट पर भटकाओ। “अरे भाई, ये तो अंतरराष्ट्रीय मानक हैं… ऐसा हो जाता है।”
असली सवाल
सरकारी हो तो गाली, प्राइवेट हो तो “साहब, कोई बात नहीं”…
ये दोहरा रवैया ही सबसे बड़ा मुद्दा है।
इसलिए सरकारी विभाग और सरकारी कर्मचारी से नफरत करना बंद करो।
माना कि सरकारी संस्थानों में भी अव्यस्था है लेकिन उन्हें प्राइवेट संस्थानों में बदल देना समाधान नहीं है…
साभार सोशल मीडिया
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