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सोमवार, 12 अक्टूबर 2015

शाइनिंग इंडिया चेहरा सुधीन्द्र कुलकर्णी का

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्ड होल्डर से सफ़र शुरू करने वाले तथा  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के विशेष कार्याधिकारी रहे सुधीन्द्र कुलकर्णी के चेहरे पर शिव सैनिकों ने कालिख पोत दी. वर्तमान में कुलकर्णी थिंक टैंक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन चला रहे हैं और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब का विमोचन मुंबई में आयोजित किया है. शिव सेना पाकिस्तानी पूर्व विदेश मंत्री के इस कार्यक्रम का विरोध कर रही है. उसका कहना है कि कुलकर्णी पाकिस्तानी एजेंट हैं. पकिस्तान से हमारे मुल्क की दुश्मनी है. हम उनका कार्यक्रम नहीं होने देंगे. 
लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत सभी को अपने विचार रखने व अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन बम्बई में कुछ भी करने के लिए सरकार के अतिरिक्त शिव सेना की अनुमति की आवश्यकता होती है पूर्व में कांग्रेस की सरकार थी तब भी यही स्तिथि थी और अब भाजपा की सरकार है, स्तिथि ज्यों की त्यों बनी हुई है. शिव सेना की समान्तर सरकार चला रही है और उसका विरोध करने का साहस किसी भी दल में नहीं है. सुधीन्द्र कुलकर्णी अवसरवादी तत्व हैं और जब वह विशेष कार्याधिकारी पूर्व प्रधानमंत्री के थे तब गुजरात का नरसंहार हुआ था और उसका विरोध करने का नैतिक साहस उनमें नहीं था. उलटे कुलकर्णी साहब ने शाइनिंग इंडिया का नारा दिया था.
देश के अन्दर पुराने फासिस्टों और नए फासिस्टों में एक दुसरे से आगे जाने की होड़ लगी है. एक कहता है की एक आँख हम फोड़ देंगे तब तक दूसरा दोनों आँख फोड़ देता है. उसी की परिणित आज सुधीन्द्र कुलकर्णी के ऊपर कालिख पोतने से हुई है. 
फासिस्ट व्यवस्था में तर्क, बुद्धि व विचार की बात करना अपनी हत्या का आमंत्रण देना है. पूर्व में महाराष्ट्र के अन्दर ही नरेन्द्र दाभोलकर व गोविन्द पानसरे की हत्या हो चुकी है. प्रदेश सरकार हत्यारों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करने में अपने को असमर्थ पाती है. 
मुंबई में कसूरी का कार्यक्रम हो गया है लेकिन एक फासिस्ट संगठन द्वारा दूसरे फासिस्ट संगठन के चेहरे को शाइनिंग इंडिया बना दिया है यह शाइनिंग इंडिया वर्तमान प्रदेश व केंद्र सरकार का असली चेहरा है. गंभीर कवि व लेखक सरकार की नीतियों के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस कर अपना विरोध जाता रहे हैं वहीँ, सरकार अपना मौन व्रत जारी रखे है.

सुमन 
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