शनिवार, 11 अप्रैल 2009

दक्षिण एशिया -भयंकर साम्राज्यवादी तूफ़ान की चपेट में-2



अमर प्रताप सिंह

लेखिका -निलोफर भागवत ,उपाध्यक्ष, इंडियन एसोसिएशन ऑफ़
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अनुवादक -मोहम्मद एहरार , मो .न. 09451969854
प्रस्तुतकर्ता- अमर प्रताप सिंह


पाकिस्तान में मिलिट्री शासन की समाप्ति तो हो गई ,परन्तु उसके स्थान पर एक ऐसी नागरिक सरकार ने बागडोर संभाली जो बहुत कमज़ोर है। दोनों ही मुख्य राजनितिक दल जरदारी की पीपुल्स पार्टी एवं नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग -अमेरिका की ओर देख रहे है ताकि वे अपने आतंरिक झगडो से निपट सके। दोनों ही दल ऐसे भ्रष्ट व्यापारिक घरानों के हितों का प्रतिनिधित्व करते है जिनको पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने काफी लताडा है। पाकिस्तान के सभी शासन करने वाले घराने सदैव वाशिंगटन ,लन्दन एवं सउदी अरब पर निर्भर करते रहे है। मुशर्रफ़ सरकार के प्रधानमंत्री I .m .f अथवा वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि थे जैसा कि हिंदुस्तान में भी है।
अतएव इसमे कोई आश्चर्य की बात नही है कि सम्पूर्ण दक्षिण एशिया विघटन के कगार पर है यदि अमेरिकी सेनाऐं पाकिस्तान में बनी रहती है । यह बात भुला दी जाती है कि चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी को इस लिए बर्खास्त किया गया क्योंकि उन्होंने वैश्विकरण के खिलाफ फैसला सुनाया था एवं उन बीस कार्य से याचिकाओ में भी
फैसला दिया था जो कि सैकडो पाकिस्तानियों के गायब होने के संबंध में दायर कि गई थीयह सारा घटनाचक्र दशकों तक कायम रहने वाले तानाशाही व्यवस्था का सीधा परिणाम है ।
अन्य कारक जो इसके लिए जिम्मेदार है निम्नलिखित है !धर्म का ग़लत इस्तेमाल , उग्रवादियों का पड़ोस के मुल्को में इस्तेमाल के लिए I.S.I के द्वारा परीक्षण जो कि वाशिंगटन ,लन्दन एवं इसकी गुप्तचर संस्थाओं के सीधे प्रभाव में कार्य कर रही है । पाकिस्तान की मिलिट्री सरकार एवं नौकरशाही ने अतीत में सदैव स्थानीय सामंतवादी व्यापारिक कुलीन तंत्र के हितों की रक्षा की है ।
'ड्रोंस ' एवं मानवचालित लड़ाकू विमानों के द्वारा दिन प्रतिदिन अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान में नरसंहार 'आतंकवाद के खिलाफ युद्ध' के नाम पर किया जा रहा है । इनका सीधा निशाना दक्षिण एशिया की सामान्य जनता है । जो लोग मारे जा रहे है वे आतंकवादी नही बल्कि आम लोग है । इससे यह बात भी साबित हो जाती है कि दक्षिण एशिया के मुल्को कि सरकार एवं लोग पूरी तरह परिपक्व नही हुए है । बांग्लादेश में चुनाव हो हुए है और अभी हाल में ही उन्हें भारी बहुमत से सरकार बनी है फिर भी कुछ संदेह्यास्पद एवं गंभीर घटनाओ ने जन्म लिया है जिनमे आर्मी अधिकारियो की बांग्लादेश राईफल्स के कुछ दुष्ट तत्वों के द्वारा हत्याएं प्रमुख है। जिनको कि कुछ उद्योगपतियों एवं आतंकवादी संगठनों के द्वारा ख़रीदा गया था एवं जिनका तार बाहरी तत्वों से जुडा हुआ है । इन तत्वों का उद्देश्य नागरिक सरकार का तख्तापलट करना है एवं मिलिट्री शासन का मार्ग प्रशस्त करना है ।
अब यह बात जगजाहिर है कि दक्षिण एशिया की सरकारों ने विदेशी गुप्तचर संस्थाओं जैसे C.I.A , m 16 मोशाद, f.b.I आदि को अपने मुल्क में पूर्ण स्वतंत्रता के साथ कार्य करने कि अनुमति प्रदान कर दी है। अभी कुछ ही दिनों पूर्व अंग्रेजी अखबार ' the times of india ' ने (जिसका झुकाव ब्रिटेन एवं अमेरिका की तरफ़ है ) यह ख़बर छापी थी कि अमेरिका में सरकारी संस्थाएं ऐसे हिन्दुस्तानी naagriko को भरती करना चाहती है जो हिन्दुस्तानी भाषाओ में महारत रखतें है । उसमें से कुछ ऐसी भाषाएं भी है जो कि भारतीय संविधान कि आठवी शिड्यूल में दर्ज नही है स्मरण रहे कि कुछ समय पहले अमेरिका मीङिल ईस्ट को पुनर्गठित करने के लिए अरबी interpreter ( अनुवादक) की भरती करना चाहता था ।

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