भाजपा का वरुण कार्ड :एक तीर दो निशाने-तारिक खान
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पार्टी से किनारा करते ही कांग्रेस से भाजपा में आई ब्राह्मण बिरादरी ने अपना नया आशियाना मनुवादियों को सदैव अपमानजनक शब्दो से संबोधित करने वाली मायावती की शरण में बहुजन समाज पार्टी को बना लिया। इस प्रकार उत्तर प्रदेश ,जहाँ के बारे में यह कहा जाता था की दिल्ली की कुर्सी तक पहुचने का रास्ता यही से जाता है,भाजपा अपना जनाधार लगभग लुटा चुकी है । राम मन्दिर का मुद्दा ठंडा पड़ चुका था मुद्दे पर भाजपा जनता में अपना विश्वास खो चुकी थी । आतंकवाद का मु ददा भी जब भाजपा लेकर आगे बढती तो कंधार तक मौलाना अजहर मसूद जैसे खूंखार आतंकवादियों को सौपने का मुद्दा सदन पर आतंकी हमला और अक्षरधाम मन्दिर का हमला उसका पीछा करने लगता।
उधर बहुजन समाज पार्टी के दो वर्ष के उत्तर प्रदेश के शासनकाल से उकता चुकी जनता अब नए विकल्प की तालाश में नजरें दौड़ने लगती थी । ब्राहमण मतदाताओं को लुभाने के चक्कर में b.s.p. का परंपरागत दलित वोटों का मुँह मायावती से फीका होता नजर आने लगा था। श्रावस्ती जिले के धन्नाडीह क्षेत्र ,फिर आजमगढ़ से लेकर बाराबंकी व लखनऊ तक आतंकवाद का तमगा लगाकर मुस्लिम संप्रदाय के शिक्षित नौजवानों की गिरफ्तारी के प्रकरण ने सपा से खिन्न होकर बसपा का दामन विगत विधान सभा चुनाव में थामने वाले मुसलमान के कदम पुनः सपा में वापसी की ओर चल पड़े थे। ऐसे माहौल में भाजपा व उनकी भगवा ब्रिगेड ने अपनी पैत्रक संस्था R.s.s की सहमती लेकर वरुण कार्ड का प्रयोग यह सोंच कर किया की यदि यह कार्ड फ़ेल होता है तो भाजपा यह कहकर पल्ला झाड़ लेगी की वरुण एक अनुभवहीन व्यक्ति है और उसका यह बयान नौजवानों के जोश में बहते हुए मतों की अभिव्यक्ति है और भाजपा का इससे कोई लेना देना नही है । वरुण गाँधी के एक समुदाय विशेष के विरुद्ध आपत्तिजनक व असंवैधानिक टिप्पणी के पश्चात भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुख्तार अब्बास नकवी का बयान और R.s.s का बयान आज भी इसी तर्ज पर दोनों संस्थाओं ने वरुण पर कानूनी कार्यवाही की भाजपा व R.s.s ने अपनी सफे दुरुस्त कर इसे कैश करने का मन बना डाला।
पूर्व नियोजित रणनीति के अनुसार वरुण गाँधी ने पीलीभीत में अपनी गिरफ्तारी दी और माया सरकार ने इस सियासी खेल में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाते हुए धारा 144 के बावजूद हजारो की संख्या में भाजपाई व संघीय कार्यकर्ताओं को कोर्ट परिसर से लेकर जेल के कई किमी मार्ग पर निर्भीक होकर जमा होने दिया । मायावती सरकार जो अपने कड़े प्रशासन के लिए जानी जाती है, के पीलीभीत प्रशासन ने गुप्तचर विभाग की सूचनाओ को दर किनार करते हुए बहुत कम पुलिस लगाकर वरुण समर्थको के मनोबल में जोश की हवा डालने का महत्वपूर्ण योगदान निभाया।
भाजपा को हिंदुत्व का टॉनिक देने के पश्चात् अपनी पार्टी से खिसकते मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने के लिए माया सरकार ने तुंरत जेल में बंद वरुण गाँधी पर रासुका लगाकर उनके राजनैतिक कद को रातोरात शिखर पर पंहुचा दिया और उस वरुण गाँधी को जिसे लोग मेनका गाँधी के पुत्र के रूप में जानते थे और मीडिया में केवल संजय गाँधी की बरसी के दिन अपनी माँ मेनका गाँधी के साथ अपने पिता की समाधि पर नजर आता था , लोग अब एक नए नरेंद्र मोदी या विनय कटियार के रूप में उसे जानने लगे।
भाजपा और बसपा के लिए वरुण का व्यक्तित्व क्या करिश्मा लोकसभा चुनाव में दिखाता है यह तो समय ही बतलायेगा परन्तु नेहरू परिवार की विदेशी मूल्य की बहु सोनिया गाँधी और उनके दिवंगत पति राजीव गाँधी की शालीनता की विरासत को अपने दामन में समाये इंदिरा गाँधी परिवार में हलचल अवश्य पैदा कर दी है। परिवार की व्याकुलता का अनुमान इससे भली भांति लगाया जा सकता है कि सोनिया की चुप्पी को छोड़कर राहुल व प्रियंका की तीव्र प्रतिक्रिया वरुण के विवादित बयान पर आ चुकी है । प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसा संजीदा मिजाज व्यक्ति भी अपने आप को रोक नही पाया । अब मुकदमा जनता की अदालत में है देखें क्या फैसला सुनाती है ?
मो .न.09335384378
1 टिप्पणी:
achchi post lagi... varun par rasuka lag ne ke baad unka kad bjp me kafi bad gaya hai...
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