रविवार, 12 अप्रैल 2009

अधिनायक

राष्ट्रगीत में भला कौन वह
भारत-भाग्य-विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है।
मखमल टमटम बल्लम तुरही
पगड़ी छत्र चँवर के साथ
तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर
जय-जय कौन कराता है।
पूरब-पच्छिम से आते हैं
नंगे-बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे कौन लगाता है।
कौन-कौन है वह जन-गण-मन-
अधिनायक वह महाबली
डरा हुआ मन बेमन जिसका
बाजा रोज़ बजाता है।
------ रघुबीर सहाय

2 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

उत्तम रचना ...बेहतरीन लिखा है .....उखाड़ दिया आपने तो

मेरी कलम - मेरी कलम

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

वाह! सुमन जी,बहुत बढिया रचना है।बधाई।

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