मन नदी तट गाँव है तेरे बिना ।
डूबती सी नाव है तेरे बिना ॥
चल लहर सा पर कही पंहुँचा नही -
जिंदगी बस पाँव है तेरे बिना॥
अनगिनत है जाल माया हाथ में -
तन मगन मन दाँव है तेरे बिना ॥
है अतल तल को उजेरे की ललक-
चिल चिलाती छाँव है तेरे बिना ॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '
2 टिप्पणियां:
पहली प्रतिक्रिया - बधाई!
बढ़िया है-जारी रहिये.
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