बुधवार, 22 अप्रैल 2009

मुक्तक


हम अहिंसा के पुजारी है ,अमन रखते है।
कर भला होग भला, ऐसा वचन रखते है।
हमको कमजोर न समझो ऐ दुनिया वालो-
तन लंगोटी है मगर सर पर कफ़न रखते है ॥

आंसुओ के बिना नैन वीरान है।
चाह के बिना रूप पाषाण है।
आदमी का भी हक है वो गलती करे-
गलतियों के बिना एक भगवान है॥

सपनो के तार सब टूट टूट जाते है।
मिलकर भी मीत छूट छूट जाते है।
प्यार का नियम यह हम आजतक न समझे
अपने क्यों अपनों से रूठ रूठ जाते है।

खो गया सच तलाश करते है।
प्यार का पथ तलाश करते है ।
पीठ के घाव से तड़पकर हम-
अत्मियत तलाश करतें है ॥

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ..

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