बुधवार, 27 मई 2009

दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता

दुनिया में अगर दर्द का मौसम नही होता -
चेहरों पे तबस्सुम का ये आलम नही होता ।

क्या चीज मुहब्बत है ये हम कैसे समझते -
अश्को से अगर दामने दिल नम नही होता ।

इक वो है की माथे पे हमावत है शिकने-
इक मैं हूँ कि किसी हाल में वह हम नही होता।

-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही '

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

dard ka mausam mubaraq
tabssum ka aalam mubaraq

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