बुधवार, 6 मई 2009

बिल्ली की छींक से छीका टूटा

अयं निज : परोवेति गणना लघु चेतसाम्
उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम

-हितोपदेश/पंचतंत्र


यह अपना है,यह पराया-ऐसा विचार छोटे ह्रदय वाले लोग करते है
उदार चरित्र वाले मनुष्यों के लिए समस्त संसार ही एक परिवार है


---------------------संस्कृत लोकोक्ति कोश
संपादक-डॉक्टर शशि तिवारी
संस्करण -१९९६
प्रकाशन विभाग -सूचना और प्रसारण मंत्रालय
भारत सरकार

यह श्लोक पंचतंत्र और हितोपदेश से है की मनुस्मृति से


-सुमन
-loksangharsha

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