उषा की पहली किरणे ,
नित करती स्पर्श हमारा ।
कानों में कुछ कह जाती,
ले ले कर नाम तुम्हारा ॥
वरसा मेह सुधारस का
प्रेरणा सबल हो आई।
अप्सरा उतर आई हो ,
तपसी जीवन में कोई॥
आंदोलित भावों पर छवि
निर्मम प्रहार कर बैठी।
आसक्त चकित चितवन से
जीवन का रस ले बैठी।।
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ''राही''
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