बंधन का ज्ञान किसे है ,
सन्दर्भ शून्य कर देता।
मादक मकरन्द लुटाता ,
अलि को पंकिल कर देता॥
भवसागर जीवन नैया ,
लघुता पर रोदन करती।
इश्वर की माया विस्तृत,
कर्मो का शोधन करती॥
प्रणय ज्वाल में तिल तिलकर
जीवन का जलते जाना।
प्रतिपल लघुता आभाषित ,
संयम का गलते जाना॥
सन्दर्भ शून्य कर देता।
मादक मकरन्द लुटाता ,
अलि को पंकिल कर देता॥
भवसागर जीवन नैया ,
लघुता पर रोदन करती।
इश्वर की माया विस्तृत,
कर्मो का शोधन करती॥
प्रणय ज्वाल में तिल तिलकर
जीवन का जलते जाना।
प्रतिपल लघुता आभाषित ,
संयम का गलते जाना॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"
2 टिप्पणियां:
सुन्दर रचना है
---
1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
एक टिप्पणी भेजें