जीवन है केवल छाया
जीवन सरिता का पानी ,
लहरों की आँख मिचौनी ।मेघों का मतवालापन ,
बरखा की मौन कहानी॥गल बाहीं डाले कलियाँ,
है लता कुंज में हँसती।चलना,
जलना ,
जीवन हैआहात स्वर में हँस कहती॥संसार समर में कोई,
अपना ही है न पराया।सम्बन्ध ज्योति के छल में,
जीवन है केवल छाया॥डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल '
राही'
5 टिप्पणियां:
जीवन सरिता का पानी ,
लहरों की आँख मिचौनी ।
मेघों का मतवालापन ,
बरखा की मौन कहानी॥
अच्छी लगी डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही' कविता ....आभार...!!
उम्दा कविता.......
वाह !
बहुत ख़ूब चित्रण ........बधाई !
jeevan waaqai mein ek chhaya hi hai......
bahut hi badhiyaa........
अच्छी कविता बधाई
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