लोकसभा चुनाव में चारो खाने कांग्रेस से चित्त होने के पश्चात भाजपा ने अपनी पुरानी केचुल यानी अडवाणी को उतार फेंका है, अब वह पार्टी के लिए कोच की भूमिका निभाएंगे और लोकसभा में अपनी पुरानी प्रतिद्वंदी सोनिया गाँधी से दो-दो हाथ करने सुषमा स्वराज मैदान में उतर रही हैं । साथ ही अडवाणी के चहेते राजनाथ सिंह भी बड़े बे- आबरू होकर अध्यक्ष की कुर्सी से उतारे जा चुके हैं । इस पद पर संघ ने अपनी राईट च्वाइज़ को सुशोभित किया है जिनका बचपन व जवानी दोनों ही संघ के आँगन में बीता है ।
दरअसल संघ ने खूब सोच समझ कर टू टायर व्यवस्था इस बार की है । पार्टी संघ संचालक चलाये और सदन में सुषमा स्वराज कांग्रेस से नाराज दलों को अपनी लच्छेदार बातों से उसी प्रकार रिझा कर लायें जैसे कि पार्टी के अवकाश प्राप्त लीडर अटल बिहारी बाजपेई उदारवादी एवं धर्म निरपेक्ष मुखौटा चढ़ा कर अन्य दलों को साथ मिला कर किया करते थे । ज्ञातव्य रहे की सुषमा स्वराज जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन के समय राजनीति में आई थी और नितीश कुमार , लालू यादव, शरद यादव व मुलायम सिंह सभी के साथ वह जनता पार्टी में कंधे से कंधा मिला कर चल चुकी हैं ।
-तारिक खान
loksangharsha.blogspot.com
दरअसल संघ ने खूब सोच समझ कर टू टायर व्यवस्था इस बार की है । पार्टी संघ संचालक चलाये और सदन में सुषमा स्वराज कांग्रेस से नाराज दलों को अपनी लच्छेदार बातों से उसी प्रकार रिझा कर लायें जैसे कि पार्टी के अवकाश प्राप्त लीडर अटल बिहारी बाजपेई उदारवादी एवं धर्म निरपेक्ष मुखौटा चढ़ा कर अन्य दलों को साथ मिला कर किया करते थे । ज्ञातव्य रहे की सुषमा स्वराज जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन के समय राजनीति में आई थी और नितीश कुमार , लालू यादव, शरद यादव व मुलायम सिंह सभी के साथ वह जनता पार्टी में कंधे से कंधा मिला कर चल चुकी हैं ।
-तारिक खान
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2 टिप्पणियां:
bahut hi badhiya likha hai ek-ek ke upar .
Fayda kya...?
ab to chidiyon ne khet chug liya...!!!
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