टूंडला रेलवे स्टेशन पर कालिंदी एक्सप्रेस ने श्रम शक्ति एक्सप्रेस को टक्कर मारी तीन यात्रियों की मौत 14 घायल। आज हरिहरनाथ एक्सप्रेस ने हैदरगढ़ बाराबंकी के पास मानव रहित क्रोस्सिंग पर इंडिका कार को टक्कर मारी। कहने के लिए बहाना चाहे जो भी धुंध जाए ममता जी जब से आप रेलमंत्री हुई हैं ट्रेन दुर्घटनाओ की बाढ़ आ गयी है आप के पास समाये नहीं है रेल मंत्रालय को देने के लिए टू रेल मंत्री पद से इस्तीफा देकर केंद्र की कैबिनेट में अपने लिए नया पद बंगाल में वाम मोर्चा हटाओ मंत्री पद ले लीजिये जिससे कोई नया रेल मंत्री आवे टू कम से कम रेलवे की समस्याओं से निपटने का प्रयास करे सबको मालूम है कि कोई भी रेलवे ट्रैक 20 मिनट तक खाली नहीं रहता है। कोई न कोई ट्रेन अच्छी स्पीड में पास होती रहती है तो मानव रहित रेलवे क्रोसिंग्स का क्या अर्थ है जब भी कोई वहां क्रोसिंग पार करेगा तो दुर्घटना तो होगी ही । रेलवे में अगर 24-24 घंटे यातायात स्टॉप से कार्य लिया जाएगा तो निश्चित रूप से मानवीय भूलों के आधार पर दुर्घटनाएं होंगी ही । अगर रेलवे में खाली पदों पर भर्ती कर ली जाए और नियमानुसार कार्य किया जाए तो लाखो लोगो को रोजगार मिलेगा और दुर्घटनाएं नहीं होंगी ।
ममता जी आपकी मंशा है कि अमेरिकन साम्राज्यवाद के इशारे पर रेलवे की स्तिथि इतनी खराब कर दो की बेचने के अलावा कोई विकल्प न रह जाए ये सारी की सारी दुर्घटनाएं और अव्यवस्था जानबूझ कर फैलाई जा राही हैं जिसका आप एक हिस्सा हैं। इसीलिए आप टिकट रेलवे का बेच रही हैं और यात्रा करा रही हैं यमलोक की।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
ममता जी आपकी मंशा है कि अमेरिकन साम्राज्यवाद के इशारे पर रेलवे की स्तिथि इतनी खराब कर दो की बेचने के अलावा कोई विकल्प न रह जाए ये सारी की सारी दुर्घटनाएं और अव्यवस्था जानबूझ कर फैलाई जा राही हैं जिसका आप एक हिस्सा हैं। इसीलिए आप टिकट रेलवे का बेच रही हैं और यात्रा करा रही हैं यमलोक की।
सुमन
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3 टिप्पणियां:
रालेख सही है मगर एक ही आदमी को हर पल कोसना मुझे अजीब लगता है क्या हम जैसे लोग जो रेल्वे मे नौकरी करते हैं वो अगर सब सही काम करें तो क्या ऐसी दुरघटनाओं को रोका नहीं जा सकता हर जगह भ्रश्टाचार का बोल बाला है अब सिर्फ सरकार को कोसने से काम नहीं चलेगा । हमे खुद को चेतना और सोचना होगा । धन्यवाद्
निर्मला कपिला जी की बात से सहमत हुं, काम तो लोगो ने करना है, जब वोही निक्क्मे होगे तो ....
सुमन जी! आपका कहना सही है कि ममता बनर्जी के आने के बाद रेलवे में दुर्घटनाओं की बाढ़ ही आ गयी है. इस बात से भी सहमत हूँ कि उनका काफी वक़्त बंगाल की राजनीति में जाता है वहां की communist सरकार का तख्तापलट करने की तिकड्म में. शायद इन सब का ही परिणाम ये दुर्घटनाओं कि बढ़ती संख्या है.
मगर ये भी कहना चाहूँगा कि सारी गलतियों का ठीकरा हमेशा सरकार पर थोप देना भी उचित नहीं है. इस हमाम में हम सब नंगे हैं. अपने अपने माध्यम का हम सब गलत इस्तेमाल या यूँ कहे कि अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं. सरकार में लोग भ्रष्ट हो रहे हैं तो क्या कदाचार हमारे यहाँ नहीं फ़ैल रहा. इन्टरनेट पर बैठ के ब्लॉग नामक एक माध्यम मिल गया है और लगे हैं हम सरकार कि उड़ाने में. ये कदाचार नहीं तो क्या है. कितने सारे ऐसे ब्लॉग हैं जिनपे हमे सरकार के किसी नीति की प्रशंषा पढने को मिलती है. नाम मात्र है.
हर वक़्त सरकार को कोसना न ही तो उचित है न ही सही. ये देश हमारा है, इसे हमे चलाना है. हम अगर निंदा ही करेंगे तो सर्कार को बल कहाँ से मिलेगा कुछ अच्छा करने का.
निर्मला जी और राज भाटिया जे पुर्णतया सहमत हूँ....
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