रविवार, 24 जनवरी 2010

गुंडागर्दी का ईनाम

लखनऊ के जिला मजिस्त्रेट अमित घोष की गुंडागर्दी के कारण राज्य कर्मचारियो की हड़ताल हो गयी थी सैकड़ो राजकर्मचारियों के सर फूटे थे करोडो रुपयों का नुकसान हुआ लेकिन समयबद्द वेतनमान के तहत उनको ईनाम के रूप में सरकार सुपर टाइम स्केल में प्रौन्नति की जा रही है कृषि विभाग के जिस कर्मचारी को थप्पड़ों से पीटा था उसके ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जा चुका है राज्य द्वारा नियमो कानूनों का उल्लंघन अब आम बात हो गयी है अमित घोष के खिलाफ कमिश्नर की जांच लंबित है जांचें इन अधिकारियों के खिलाफ चलती रहती हैं और इनको प्रोमोशन दर प्रोमोशन मिलता रहता है ये अधिकारिगण अच्छी तरह से जानते हैं कि लोकतंत्र में इनके खिलाफ कुछ नहीं हो सकता है इन अधिकारियों की कार्यशैली आम आदमी की रक्षा के लिए होकर उनका उत्पीडन करने के लिए है गाँव देहात में इन अधिकारियों की भूमिका बहुत ही निंदनीय हो जाती है राजधानी लखनऊ के अगल बगल के जिलो में प्रशासनिक अधिकारियो ने अपनी काली कमाई से फार्म हाउस खोले है और किसानो के पास अब उपजाऊ जमीन का टोटा होता जा रहा है हजारो लाखो एकड़ जमीन के चारो तरफ दीवालें बना कर चौकीदार नियुक्त किये जा चुके हैं अच्छा यह होगा की नए जमीन दारों की जमींदारी की जांच हो तो उनके नए-नए कारनामे जनता के समक्ष आयेंगे

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सुमन जी,
आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत बहुत शिद्दत से माशूशी जाती है / गुंडागर्दी वो नाजायज औलाद है जिसे पालते तो सभी है पर नाम कोइ नहीं देता /

BrijmohanShrivastava ने कहा…

जो भी हो जाये वही कम है ,हर शाख पर तो बैठे हैं

विजय प्रताप ने कहा…

सुमन जी, यह सरकारी गुंडागर्दी है.

राज भाटिय़ा ने कहा…

गुंडो का राज है जी, आप की बात से सहमत है

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