पहले माओवादियों ने खुशहाल जीवन का वादा किया
फिर, वे मेरे पति को अगवा कर ले गए
फिर, उन्होंने गाँव के स्कूल को उड़ा डाला
अब, वे मेरी 14 साल की लड़की को ले जाना चाहते हैं
रोको, रोको, भगवान के लिए इस अत्याचार को रोको
फिर, वे मेरे पति को अगवा कर ले गए
फिर, उन्होंने गाँव के स्कूल को उड़ा डाला
अब, वे मेरी 14 साल की लड़की को ले जाना चाहते हैं
रोको, रोको, भगवान के लिए इस अत्याचार को रोको
यह विज्ञापन भारत सरकार के गृहमंत्रालय द्वारा जनहित में जारी किया गया है अब, वे मेरी 14 साल की लड़की को ले जाना चाहते हैं यह बात संभावनाओं पर है और इस तरह के आरोप प्रत्यारोप मोहल्ले के तुच्छ किस्म के शोहदे किया करते हैं। भारत सरकार के विज्ञापनों में इस तरह के अनर्गल आरोप लगाने की परंपरा नहीं रही है । गृह मंत्रालय माओवाद के कार्य क्रियाशील क्षेत्रों में भ्रष्टाचार को समाप्त करता है। विधि सम्मत व्यवस्था जब समाप्त होती है तब हिंसा का दौर शुरू होता है । आज देश की राजधानी दिल्ली से लेकर लखनऊ तक प्रत्येक विधि सम्मत कार्य को करवाने के लिए घूश की दरें तय हैं . घुश अदा न करने पर इतनी आपत्तियां लग जाएँगी की इस जनम में कार्य नहीं होगा। एक सादाहरण सा ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में अच्छे-अच्छे लोगों को दलाल का सहारा लेना पड़ता है और तुरंत कार्य हो जाता है यदि आप अपना लाइसेंस बगैर घूश के बनवाना चाहते हैं तो कई दिनों की प्रक्रिया बनवानी पड़ेगी जिसमें आपका हर तरह से उत्पीडन किया जायेगा। चौराहे पर ट्राफ़िक पुलिस की भी ड्यूटी उसको चौराहे की वसूली के आधार पर मासिक देने पर ही लगती है और भ्रष्टाचार का यह रूप गृह मंत्रालय को नहीं दिखता है। राजधानी से दूर के हिस्सों में अधिकारीयों का जंगल राज है और अधिकारियों द्वारा सीधे सीधे आदिवासियों व किसानो के यहाँ डकैतियां डाली जा रही हैं जिसका विरोध होना लाजमी है। कौन सा कुकर्म इन लोगो ने गाँव की भोली जनता के साथ नहीं किया है । मैं माओवाद समर्थक नहीं हूँ लेकिन इस भ्रष्ट तंत्र के साथ भी नहीं हूँ यदि समय रहते भारत सरकार ने अपने नौकरशाहों को भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं किया तो देश की सारी सम्पदा उनके बैंक खातों में ही नजर आएगी। इस तरह के विज्ञापन जारी कर गृहमंत्रालय समझ रहा है की हम चरित्र हत्या कर के अपनी असफलताओं को छिपा लेंगे। एस.पी.एस राठौर, के.पि. एस गिल जैसे अधिकारियों को सरकार माओवादी घोषित क्यों नहीं करती ? अब सरकार को चाहिए की अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के चरित्र चित्रण आए दिन मीडिया में छाए रहते हैं उसकी ओर ध्यान दे।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
1 टिप्पणी:
सुमन जी, आपका ब्लॉग सामग्री और सजगता तथा नवीकरण की दृष्टि से तो उत्तम है परन्तु वर्तनी की त्रुटियाँ खटकती हैं। आशा है अन्यथा न लेंगे, मैं इस ब्लॉग को पसंद करने के कारण रचनात्मक सुझाव देना चाहता हूँ। मुझे लगता है कि देवनागरी लिपि के लिए जो सॉफ़्टवेअर आप इस्तेमाल कर रहे हैं हो सकता है उसी में सुविधाएँ कम हों, इस पर ध्यान देने से और सुन्दरता और प्रवाह आएगा।
शुभेच्छाओं सहित,
हिमान्शु मोहन
एक टिप्पणी भेजें