आज जिला एवं सत्र न्यायधीश के परिसर में राम मिलन नामक युवक ने अपनी 22 वर्षीय पत्नी मधु की नाक दांत से काट कर अलग कर दी। बुद्धजीवी तबके के लोगों ने राम मिलन को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। पुलिस पहुंची तो उसने वाद में गंभीरता लाने के लिए एक चाक़ू की फर्जी बरामदगी कर दी। पति-पत्नी का वाद न्यायलय में विचाराधीन है। पुरुषवादी मानसिकता के तहत राम मिलन ने दसवीं सदी के अपराध को कर डाला वहीँ बुद्धजीवी कहे जाने वाले तबके ने उसी सोच के तहत राम मिलन को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया और पुलिस जैसा प्रत्येक मामले में वह करने की आदि है, मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर एक नए वाद की तैयारी शुरू कर दी है।
सभ्य एवं लोकतांत्रिक समाज में तीनो पक्षों की हरकतें न तो नैतिक हैं और न ही विधिक हैं। इस तरह से आये दिन कुछ न कुछ होता रहता है जो बर्बरता की हद को पार कर रहा है। इन सब कृत्यों की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
सभ्य एवं लोकतांत्रिक समाज में तीनो पक्षों की हरकतें न तो नैतिक हैं और न ही विधिक हैं। इस तरह से आये दिन कुछ न कुछ होता रहता है जो बर्बरता की हद को पार कर रहा है। इन सब कृत्यों की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।
सुमन
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2 टिप्पणियां:
...अब क्या कहें !!!
अपने देश में शिक्षित और अल्प शिक्षित की मानसिकता में रत्ती भर फर्क नहीं है. कुछ लोग तो यह सोच कर खुश हो रहे होंगे कि जो काम पुलिस करती वो शिक्षित जनता ने अंजाम दे दिया. ६३ वर्षों की आज़ादी के बाद भी ये हालात! कभी कभी लगता है कि हम सभ्यता के मामले में उलटी दिशा की यात्रा पर हैं. कानून के मुहाफ़िज़ों के कारनामे चंगेज़, हलाकू, हिटलर की याद दिलाते हैं. एक सुप्रीम कोर्ट है, जिससे कुछ आशाएं बची हुई हैं वरना क्या जनता, क्या शासक, सब एक रंग में रंगे हुए हैं.
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