नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन ने राष्ट्रमंडल खेलों के प्रयोजन के लिए 50 करोड़ रुपये देने का समझौता किया था किन्तु आयोजन समिति के भ्रष्टाचारों को देख कर उसने बाकी 30 करोड़ रुपये देने से मना कर दिया और 20 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान का हिसाब माँगा है। एन.पी.टी.सी की मंशा यह थी कि वह राष्ट्रमंडल खेलों का प्रयोजन कर कॉमन वेल्थ के देशों में अपने कारोबार को बढ़ाये लेकिन कॉमन वेल्थ गेम्स केंद्र सरकार के नेताओं के भ्रष्टाचार का ब्रांड बन गया है और सत्तारूढ़ दल कांग्रेस जिस के नेता अपने को युवा ह्रदय सम्राट समझने वाले राहुल गाँधी भी हैं, उनके ऊपर भी असर पड़ेगा क्योंकि केंद्र सरकार के भ्रष्टाचारों के बारे में राहुल गाँधी कुछ भी कहने में असमर्थ हैं। अंकुश लगाना तो दूर की बात है। सारे भ्रष्टाचारी मिल कर उनकी इमेज़ को रुपयों के बल पर चमकाने का कार्य तो किया ही जाता है। केंद्र सरकार पर राहुल गाँधी के किचेन कैबिनेट के लोग काबिज हैं।
राष्ट्रकुल खेलों में कांग्रेसी नेताओं के भ्रष्टाचार के तहत पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन ने भी 10 करोड़ देने से मना किया है तो वहीँ रेलवे भी उहापोह में है कि वह क्या करे। हद तो यहाँ तक हो गयी है कि कॉमन वेल्थ गेम्स फेड़रेशन के अध्यक्ष माइक फेनेल ने जब आयोजन स्थलों का दौरा किया तो आयोजन स्थल पर आवारा कुत्ते घूम रहे थे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
राष्ट्रकुल खेलों में कांग्रेसी नेताओं के भ्रष्टाचार के तहत पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन ने भी 10 करोड़ देने से मना किया है तो वहीँ रेलवे भी उहापोह में है कि वह क्या करे। हद तो यहाँ तक हो गयी है कि कॉमन वेल्थ गेम्स फेड़रेशन के अध्यक्ष माइक फेनेल ने जब आयोजन स्थलों का दौरा किया तो आयोजन स्थल पर आवारा कुत्ते घूम रहे थे।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
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