भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय सचिव श्री विजय कुमार पंचायत चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं उस पर्चे का शीर्षक यह है कि हिन्दू भाई को राम-राम, मुसलमान को सलाम. गाँव देहात में चल रहे इन चुनाव प्रचार में उम्मीदवार मुस्लिम भाइयों को कहते हैं कि अब्बू आपके हमारे पुश्तैनी ताल्लुकात हैं। हमारी इज्जत जाने न पावे वोट हमें ही देना। वहीँ मुस्लिम उम्मीदवार हिन्दू भाइयों के पैर छू के कहता है बप्पा तुमरेन वोट से इलेक्शन जीता जईहै। हर जगह समरसता दिख रही है। जाति और धर्म के बंधन टूट रहे हैं एक थाली में खाना दारु मुर्गा खाया जा रहा है। ऐसे समय में बाबर को गाली देना उचित नहीं है। आपको जानकारी के लिए बता दूं। बाबर यहीं आया और यहीं रह गया। चंगेज खान लुटेरा था उसका धर्म जरा सा मालूम कर लीजियेगा क्या था मेरी जानकारी के अनुसार वह इस्लाम मतावलंबी का मानने वाला नहीं था। अंग्रेज, फ़्रांसिसी, डच व पुर्तगाली आये इस देश को खूब लूटा। सारी संपत्तियां ले गए आप उनके बारे में कुछ नहीं लिखेंगे।
मैंने कहीं भी हिन्दू धर्म की निंदा नहीं की है न कोई आक्षेप किया है। मान्यवर हिन्दुवात्व एक राजनैतिक विचारधारा है जो पहले जर्मन नाजीवाद से पोषित होती थी और अब अमेरिकन साम्राज्यवाद से पोषित होती है। मैं इस साम्राज्यवादी लूट खसोट करने वाले उनके पिट्ठुओं के खिलाफ लिखता हूँ।
अयोध्या में अगर वह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्म भूमि थी तो क्या हक़ था। अडवानी को उसको नष्ट करने का और अगर उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र के महल को तोड़ कर उनको त्रिपाल के नीचे बैठाल दिया तो ऐसे तबके के कुकर्मों की निंदा आप जरूर करिए लेकिन जब वह स्थान यह लोग तोड़ रहे थे तब कह रहे थे बाबरी मस्जिद है सामान्य ज्ञान का उपयोग करें तो आपके मकान के नीचे की जमीन आपकी है तो मस्जिद के नीचे की जमीन मस्जिद की होगी जिसका फैसला हम 1949 से कर रहे हैं और आज अभी तक नहीं कर पाए हैं।
दुनिया में मूर्ति पूजा होती थी। साकार ईश्वर को मानने वाले लोग थे। दुनिया में जैसे-जैसे विकास हुआ नए-नए धर्म आये निराकार ईश्वर की उपासना होने लगी लेकिन निराकार ईश्वर की उपासना होने से पहले जहाँ जहाँ आबादी थी वहां खुदाई में मूर्तियाँ मिलना संभव है इससे मालिकाना हक़ नहीं तय होता है। कुछ दिन पूर्व साइबेरिया में गैस पाईपलाईन के लिए खुदाई करते समय शिवलिंग टाइप की मूर्ती मिली है इससे धर्म के आधार पर आप उसे हिन्दू राष्ट्र नहीं घोषित कर देंगे। हमारे देश में भी स्वामी दयानंद ने मूर्ति पूजा के खिलाफ जमकर आन्दोलन चलाया और आर्य समाज की स्थापना की।
हिन्दुवात्व वालों ने ही हर अत्याचार को धर्म के आधार पर देखा है। अत्याचारियों का कोई धर्म नहीं होता है। अत्याचारी अत्याचारी होता है लुटेरा लुटेरा होता है। भारत एक बहुधर्मीय, बहुजातीय देश है। इसकी एकता और अखंडता को बनाये रखना हमारी आपकी जिम्मेदारी है यदि इन्सान ही नहीं रहेगा तो भूलोक का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा। आज जरूरत है इंसान और इंसानियत को बनाये रखने की। जब दोनों पक्ष न्यायलय की शरण में गए हैं उसका फैसला आना है यदि कोई पक्ष असहमत है तो वह अपील और रिविजन करेगा। किन्तु उत्तर प्रदेश सरकार व उसकी मशीनरी राजनितिक लाभ के लिए हव्वा खड़ा कर रही है। वहीँ हिन्दुवात्व के मानने वाले लोग तरह-तरह की अफवाहें और दुष्प्रचार कर रहे हैं। उसमें दूसरे पक्ष के कुछ लोग भी शामिल हैं क्योंकि उनकी भी दाल रोटी झगडे से ही चलनी है।
अंत में, यदि आपको मेरी कोई बात कटु लगे तो भाई दुखी मत होना वस्तुस्तिथि यही है हम धर्म, जाति, भाषा, लिंग आदि के आधार पर अपनी बात नहीं रखते हैं। सभी समान हैं। दुनिया एक क्यारी है उसमें विभिन्न प्रकार के फूल हैं आप भी उस क्यारी का एक हिस्सा हो और हम भी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
मैंने कहीं भी हिन्दू धर्म की निंदा नहीं की है न कोई आक्षेप किया है। मान्यवर हिन्दुवात्व एक राजनैतिक विचारधारा है जो पहले जर्मन नाजीवाद से पोषित होती थी और अब अमेरिकन साम्राज्यवाद से पोषित होती है। मैं इस साम्राज्यवादी लूट खसोट करने वाले उनके पिट्ठुओं के खिलाफ लिखता हूँ।
अयोध्या में अगर वह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्म भूमि थी तो क्या हक़ था। अडवानी को उसको नष्ट करने का और अगर उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र के महल को तोड़ कर उनको त्रिपाल के नीचे बैठाल दिया तो ऐसे तबके के कुकर्मों की निंदा आप जरूर करिए लेकिन जब वह स्थान यह लोग तोड़ रहे थे तब कह रहे थे बाबरी मस्जिद है सामान्य ज्ञान का उपयोग करें तो आपके मकान के नीचे की जमीन आपकी है तो मस्जिद के नीचे की जमीन मस्जिद की होगी जिसका फैसला हम 1949 से कर रहे हैं और आज अभी तक नहीं कर पाए हैं।
दुनिया में मूर्ति पूजा होती थी। साकार ईश्वर को मानने वाले लोग थे। दुनिया में जैसे-जैसे विकास हुआ नए-नए धर्म आये निराकार ईश्वर की उपासना होने लगी लेकिन निराकार ईश्वर की उपासना होने से पहले जहाँ जहाँ आबादी थी वहां खुदाई में मूर्तियाँ मिलना संभव है इससे मालिकाना हक़ नहीं तय होता है। कुछ दिन पूर्व साइबेरिया में गैस पाईपलाईन के लिए खुदाई करते समय शिवलिंग टाइप की मूर्ती मिली है इससे धर्म के आधार पर आप उसे हिन्दू राष्ट्र नहीं घोषित कर देंगे। हमारे देश में भी स्वामी दयानंद ने मूर्ति पूजा के खिलाफ जमकर आन्दोलन चलाया और आर्य समाज की स्थापना की।
हिन्दुवात्व वालों ने ही हर अत्याचार को धर्म के आधार पर देखा है। अत्याचारियों का कोई धर्म नहीं होता है। अत्याचारी अत्याचारी होता है लुटेरा लुटेरा होता है। भारत एक बहुधर्मीय, बहुजातीय देश है। इसकी एकता और अखंडता को बनाये रखना हमारी आपकी जिम्मेदारी है यदि इन्सान ही नहीं रहेगा तो भूलोक का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा। आज जरूरत है इंसान और इंसानियत को बनाये रखने की। जब दोनों पक्ष न्यायलय की शरण में गए हैं उसका फैसला आना है यदि कोई पक्ष असहमत है तो वह अपील और रिविजन करेगा। किन्तु उत्तर प्रदेश सरकार व उसकी मशीनरी राजनितिक लाभ के लिए हव्वा खड़ा कर रही है। वहीँ हिन्दुवात्व के मानने वाले लोग तरह-तरह की अफवाहें और दुष्प्रचार कर रहे हैं। उसमें दूसरे पक्ष के कुछ लोग भी शामिल हैं क्योंकि उनकी भी दाल रोटी झगडे से ही चलनी है।
अंत में, यदि आपको मेरी कोई बात कटु लगे तो भाई दुखी मत होना वस्तुस्तिथि यही है हम धर्म, जाति, भाषा, लिंग आदि के आधार पर अपनी बात नहीं रखते हैं। सभी समान हैं। दुनिया एक क्यारी है उसमें विभिन्न प्रकार के फूल हैं आप भी उस क्यारी का एक हिस्सा हो और हम भी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
3 टिप्पणियां:
जय हो !
बहुत उम्दा......
बहुत अच्छी पोस्ट।
आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा, “मनोज” पर, मनोज कुमार की प्रस्तुति पढिए!
आपने बिलकुल सही कहा. जहां तक चंगेज़ खान की बात है, तो वह मुसलमान नहीं था, बल्कि मुसलमानों का अब तक का सबसे बाड़ा कत्ले-आम करने वाला था. वह मंगोलिया का रहने वाला था, हां उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे और दामाद मुसलमान हो गए थे. हालाँकि उन्होंने भी पहले बहुत अधिक कत्ले आम किया था. मुग़ल बादशाह उन्ही के वंशज हैं.
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