आप दुनिया में सांप्रदायिक एकता और सद्भाव के लिए जाने जाते हैं। आजादी के बाद कट्टरपंथियों द्वारा ब्रिटिश साम्राज्यवाद के इशारे पर कराये गए सांप्रदायिक दंगो में आप मौके पर जाकर शांति का सन्देश दे रहे थे किन्तु हिन्दुवात्व वादी संगठनो को इस देश की एकता और अखंडता रास नहीं आ रही थी। उनके प्रतिनिधि नाथू राम गोडसे ने गोली मार कर आपकी हत्या कर दी थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आपका महत्वपूर्ण योगदान था। आज जब देश विकास के पथ पर अग्रसर है। उस विकास के रथ को रोकने के लिए आपके हत्यारों ने राम नामी ओढ़ कर दंगे कराकर इस देश में तबाही पैदा की है और अब वो तरह-तरह के अलगाववादी नारे गढ़ कर सामाजिक विघटन की प्रक्रिया को तेज कर रहे हैं। जब की विभिन्न धर्मो के मतावलंबी पुरानी बातों को भूल कर सामंजस्य की स्तिथि पैदा कर रहे हैं। आपके राम तत्व का मानवीयकरण कर जन्म और मृत्यु के विवादों में फंसा रहे हैं। राम हमारी मर्यादा हैं किन्तु उनको भी हिन्दुवात्व वादी तत्वों ने राजनीति के वोटों में तब्दील करने का काम कई बार किया है। हमारे राम को अगर कुछ कहना होता तो यही कहते कि मेरे लिए लड़ने वाले लोगों अब मुझे बक्श दो लेकिन मेरी जन्मभूमि मत तय करो। जहाँ भी अच्छा है वहां राम है। जहाँ सद्भाव है वहां राम है किन्तु इन हिन्दुवात्व वादी तत्वों ने उनको भी अब नहीं बक्शा है। न्यायिक प्रक्रिया में साक्ष्य और सबूतों के आधार पर फैसले होते थे। अब आने वाले दिनों में आस्था और विश्वास पर फैसले होंगे। उसकी प्रक्रिया अब शुरू हो गयी है।
आपके चेलों ने भी आपके विचारों की जमकर हत्या की है। भ्रष्टाचार उनका उद्योग हो गया है। जिस साम्राज्यवाद के खिलाफ आप जीवन भर लड़ते रहे उसी साम्राज्यवाद के दूसरे स्वरूप के साथ देश चल रहा है। देश में बहुत सारे परिवर्तन ऐसे हो रहे हैं जिससे आपके दर्शन और मीमांशा के विपरीत हैं। हमारे उत्तर प्रदेश में वर्तमान तथा इससे पूर्व में हिन्दुवात्व वादी सरकारें कायम हुई हैं, जो सीधे-सीधे गाली गलौज की भाषा का इस्तेमाल आपके विचारों के लिए करती हैं किन्तु राजनितिक लाभ के लिए कुछ कार्यालयों में आपकी फोटो लगी हुई है। आपकी फोटो के नीचे भी भ्रष्टाचारी अपना काम कर रहे हैं।
आइये ! हम आप सब इस देश की खुशहाली के लिए इतिहास के पूर्वाग्रहों को भूल कर सांप्रदायिक एकता व सद्भाव को कायम रखने की दिशा में एक कदम चलें। यही गाँधी जी को याद रखने का सबसे अच्छा तरीका होगा।
आइये ! हम आप सब इस देश की खुशहाली के लिए इतिहास के पूर्वाग्रहों को भूल कर सांप्रदायिक एकता व सद्भाव को कायम रखने की दिशा में एक कदम चलें। यही गाँधी जी को याद रखने का सबसे अच्छा तरीका होगा।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
10 टिप्पणियां:
आइये ! हम आप सब इस देश की खुशहाली के लिए इतिहास के पूर्वाग्रहों को भूल कर सांप्रदायिक एकता व सद्भाव को कायम रखने की दिशा में एक कदम चलें। यही गाँधी जी को याद रखने का सबसे अच्छा तरीका होगा।
ांच्छा लगा आपका आलेख। धन्यवाद।
आज ज़माना है एक ही झूट इतनी बार लोगो के कानो में डालो की वही सच बन जाये धर्म के नाम पर राजनीती करने वाले आज कह रहे हैं इस पर राजनीती न करो
जब शेर अचानक घास खाने का नाटक करे तो भोलीभाली जनता रूपी हिरन को सावधान हो जाना चाहिए
एक बार इसे भी पढ़े
http://dabirnews.blogspot.com/2010/10/blog-post_3156.html
दो अक्टूबर को जन्मे,
दो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।
shoeb bhaayi mzaa agya apne to sch likh diya inko aayna naa psnd hen khin yeh log aayna nhin tod den kher koi baat nhin yeh aayna tod bhi dale to hm nyaa aayna khrid lenge. akhtar khan akela kota rajsthan
गांधी, एक वोट ढोने वाली गाड़ी का नाम रह गया है..
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।
कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
लोग राम को मानते हैं राम की नहीं मानते ...
लोग कुरआन को मानते हैं कुरआन की नहीं मानते .
आतंक की आग पर रोटियां सेंकने वाले
शायद बापू की अहिंसा को नहीं जानते
जो धर्म का अर्थ ही नहीं समझते वे किस धर्म के हैं? आस्था जुड़ती हैं मन से, राम हैं तो उन्हें कोई मिटा नहीं सकता है ईश्वर तो मन में होते हैं , उन्हें कई एकड़ जमीन कि चाहत नहीं होती. राम और रहीम जमीन के टुकड़े के लिए नहीं लड़ते. हम लड़ रहे हैं उनके ओट में खड़े होकर. क्यों नहीं खत्म करते विवाद को लेकिन हम ख़त्म करना भी चाहे तो क्या ये तथाकथित नेता ऐसा होने देंगे. अब बारी सुप्रीम कोर्ट की है कि वह इसको कैसे और कितनी जल्दी निपटा कर निर्णय दे. आम हिन्दुस्तानी सयंमित है फिर ये बयानबाजी क्यों गाँधी की परिकल्पना को खंडित करने में जुटे पड़े हैं.
सार्थक लेखन ..
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