त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम चरण में जिस प्रकार सत्तारुढ दल के नेताओं के इशारे पर प्रशासन का नग्न नाच हुआ, उसकी कोई दूसरी मिसाल कभी पंचायती चुनाव में देखने को नही मिली। चाहे सरकार मुलायम सिंह की रही हो या फिर भाजपा की, कांग्रेस की तो बात ही छेाड़िए उनके समय में प्रधानी या जिला पंचायती पदों पर केवल सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए चुनाव लड़ते थे, परन्तु आज पैसो की लूट की खातिर मारा मारी मची हुई है।
यूॅ तो विधान सभा या विधान परिषद के चुनाव में प्रशासन का दुरुपयोग सत्ता दल के द्वारा किया जाता रहा है। परन्तु इस बार के पंचायती चुनाव में सत्ता दल के नेताओं द्वारा खुले आम प्रशासन का इस्तेमाल करके अपने विरोधियांे को ठिकाने लगाने के लिए किया गया। प्रथम चरण के मतदान में पंचायती चुनाव के विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का यह कहना है कि प्रशासन ने सत्तारुढ दल के विधायक व उनके छुटभैय्ये नेताओं के इशारे पर चुनाव में व्यापक पैमाने पर धांधली करवायी। जहाॅ कहीं भी इन नेताओं के विरोधी खेमे के प्रत्याशी के हक में चुनाव की बयार डोलती देखी गयी तो प्रशासन व पुलिस ने डण्डा बजाकर वहाॅ चुनाव को पहले तो थोड़े समय के लिए बाधित कराया, फिर प्रभावित करवाए। चाहे वह थाना जैदपुर के ग्राम पंचायत टेरा का मामला हो जहाॅ मुश्ताक प्रधान जो पहले किसी जमाने में समाजवादी के प्रबल नेता बेनी प्रसाद वर्मा के खास आदमी थे परन्तु अब वह सत्तारुढ दल के नेताओं की चैखट पर पायलग्गी करते देखे जाते है, के विरुद्ध प्रधानी का चुनाव लड़ने वाली प्रत्याशियों के समर्थकों को उस समय मतदान केन्द्र से उन्होने पुलिस व अपने दबंग समर्थको की सहायता से खदेड़वाकर फर्जी मतदान जमकर कराया। ऐसा आरोप उनके विरोधियांे द्वारा लगाते हुए चुनाव आयोग व पुलिस के उच्चाधिकारी को शिकायती पत्र भेजे गए है। पुलिस द्वारा उनकी शिकायत दर्ज करने से पहले मुश्ताक की शिकायत जैदपुर थाने में पहले दर्ज कर ली गयी।इसी प्रकार के एक अन्य वाक्ये में देवां विकास खण्ड द्वितीय क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ रही बसपा नेता नईम सिद्दीकी की पत्नी के समर्थको व अप्रत्याशित रुप से बसपा विधायक संग्राम सिंह वर्मा के समर्थक उम्मीदवार के लोगो के बीच तनातनी का माहौल उत्पन्न हो गया। उसे हल करने पहुॅचे बसपा नेता नईम सिद्दीकी की सेक्टर मजिस्ट्रेट/उपजिलाधिकारी सिरौलीगौसपुर गोरे लाल शुक्ला ने अपने साथ लाए पी0ए0सी0 जवानो से जमकर लाठियों से उनकी पिटाई यह कहकर करा दी कि वह चुनाव में गड़बड़ी पैदा करने का प्रयास कर रहे थे। क्षेत्र में चर्चा इस बात की है कि दो विधान सभा चुनावों में प्रदेश राज्य मंत्री संग्राम सिंह वर्मा के विरुद्ध चुनाव लड़कर उन्होने मंत्री जी तथा उनके छोटे अनुज जिनकी पत्नी मौजूदा समय में जिला पंचायत अध्यक्ष है को नाराज कर लिया था और सोने पे सुहागा इस बार वह अपनी पत्नी के सहारे जिला पंचायत की अध्यक्षीय की कुर्सी को भी पाने की चाहत में लगे हुए थे। अपनी पिटाई से आहत बसपा नेता ने क्षेत्र के चुनाव में पुर्नमतदान की मांग चुनाव आयोग से की है। इसी विकास खण्ड के ग्राम सिपहिया में एक और बसपा नेता पूर्व प्रमुख देवां जमील अहमद ने पुलिस की शय पर अपने एक रिश्तेदार जो उनकेे विरुद्ध चुनाव लड़ रहे थे, को धौंसाया।
प्रथम चरण के मतदान से मात्र एक दिन पूर्व सत्तारुढ दल के दो विधायकेा क्रमशः संग्राम सिंह वर्मा व फरीद महफूज किदवाई के प्रतिनिधियों के बीच इस बात को लेकर तनाव व्याप्त हो गया जब एक दूसरे पर दोनो ने चुनावी हथकण्डा इस्तेमाल करके चुनाव में गड़बड़ी पैदा करनेे की शिकायत पुलिस मे दर्ज करायी।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने वहीं वहीं कार्यवायी की जहाॅ सत्तारुढ दल के किसी नेता को चुनाव में क्षति पहुॅच रही थी और उनके विरोधी चुनाव में सफलता प्राप्त करने के कगार पर थे। चाहे वह नईम सिद्दीकी की पिटाई का मामला रहा हो या ग्राम टेरा या जैदपुर थाना अंतर्गत ग्राम कोला का मामला हो। एक और ग्राम पंचायत जो शहर से सटी हुई है और जहाॅ चुनाव से पूर्व ही हिंसा में एक प्रधान पद का प्रत्याशी और दूसरा क्षेत्र पंचायत सदस्य पद का प्रत्याशी चुनावी हिंसा में कत्ल कर दिया गया था। वहाॅ की पूरी पोलिंग ही मतदाता पहचान पत्र देखने के बहाने यदा कदा सुस्त कर दी गयी।
-तारिक खान
2 टिप्पणियां:
इसी बात का तो अफसोस होता है।
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वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।
यही त्रासदी है इस देश की. जो पंचायती पद्धति आधुनिक लोकतंत्र से भी पुरातज है उसकी आज यह गत कर दी है हमीं ने...
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