शनिवार, 6 नवंबर 2010

चापलूसी हमारा स्वभाव है ?

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। उनके स्वागत के लिए हमारे राजनेता, मीडिया पलकें बिछाये राह देख रही है। उनकी सुरक्षा एजेंसियों के इशारे पर उनके प्रवास के दौरान मोबाइल टावर्स को भी जाम करने की योजना है। ओबामा जी जिस देश के राष्ट्रपति हैं, उसी देश ने ईराक, अफगानिस्तान जो हमारे पडोसी मुल्क हैं उनको तबाह, बर्बाद किया है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि आप अपने पडोसी मुल्क चीन से युद्ध कर लें और उसकी भी प्रगति को रोकें और अपनी भी प्रगति को रोकें। ओबामा ताज होटल मुंबई में रुक रहे हैं जो मुंबई आतंकी घटना का मुख्य केंद्र रहा है। मुंबई आतंकी घटना अमेरिकन साम्राज्यवाद के पिट्ठू लोगों ने की थी यह बात जग जाहिर है। ओबामा को खतरा किस्से है क्या तालिबान से, क्या कट्टर आतंकियों से या खुफिया एजेंसी आई.एस.आई से यह सभी उनकी खुफिया एजेंसी सी.आई.ए से संचालित होते रहेंगे। उनको खतरा इस देश में किसी से नहीं है लेकिन अपनी चौधराहट को साबित करने के लिए सारा नाटक किया जा रहा है। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने अमेरिका की यात्रा की थी तो उनके चेहरे के ऊपर बिल क्लिंटन साहब की वाईन गिर गयी थी। भारत के रक्षा मंत्री जार्ज फ़र्नानडिज साहब जब अमरीकी यात्रा पर गए तो एरोड्रम पर उनकी चड्डी उतरवाकर तलाशी ली गयी थी। ओबामा की डेमोक्रटिक पार्टी भारत विरोध में हमेशा आगे रही है और आज अमेरिका के अन्दर डेमोक्रटिक पार्टी चुनाव हार रही है। अमेरिकन अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है 200 से ज्यादा बैंक दिवालिया घोषित हो चुके हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है। आउट्सोर्सिंग के ऊपर प्रतिबन्ध लगाया जा रहा है। सुरक्षा परिषद् में भारत की अस्थायी सदस्यता को देने में अमेरिका का विरोध है। अमेरिका अपने देश में किसानो व पशुपालकों को सबसे ज्यादा सब्सिडी देता है जिससे उनका उत्पादन सस्ता पड़ता है। वहीँ हमारे मुल्क के ऊपर दबाव डालता है कि वह किसानो व पशुपालकों को सब्सिडी न दें जिससे वह बर्बाद हो जाएँ। रही बात ताज होटल की टाटा ने उनके चुनाव में चंदा दिया था तो उसका विज्ञापन करने के लिए ओबामा जी वहां ठहरेंगे। अमेरिका ने 2009 में कुल 1.05 खरब डालर का निर्यात किया था। अब उसको ओबामा अपनी देश को मंदी से बचने के लिए 2 खरब डॉलर तक करने की उनकी योजना है जिसके तहत वह कई देशों की यात्रा करने के लिए निकले हैं। भारत 40,000 करोड़ रुपये के हथियार खरीदना चाहता है। ओबामा जी की मंशा है कि वह हथियार या जो भी सामान खरीदना हो वह अमेरिका से ख़रीदे उन हथियारों का उपयोग हम अपने पडोसी देश जो दुनिया में व्यापर जगत में अग्रणी हैं चीन के खिलाफ करें और अपनी स्तिथि पाकिस्तान सरीखी कर लें।
हमारे देश के विकास में हमेशा से बाधक अमेरिकन साम्राज्यवादियों के स्वागत का कोई औचित्य नहीं है। यात्रा के दरमियान भी उनसे मिलने वालों के सम्बन्ध में जो भी सवाल उठाये जा रहे हैं वह भी शर्मनाक है क्या चापलूसी हमारा स्वभाव है।

सुमन
लो क सं घ र्ष !

5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Nice जी
ये भी तो बताईये कि आखिर हथियार खरीदें किससे?

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

यह भारत की नहीं भारत के पूंजीपतियों, सामंतों और कथित राष्ट्रवादियों की आदत है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप से सहमत हे जी, ईस्ट इडियां कमपनी फ़िर से नाम बदल कर हमे गुलाम बनाने की कोशिश् कर रही हे,

PPRA GROUP ने कहा…

it's very nice

Unknown ने कहा…

sir, kalam ki dhaar paini rakhi hai sateek margdarshan kiya hai aapne ...

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