संसद में 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के कारण पूरे सत्र में विधायी कामगाज नहीं हुआ तो दूसरी ओर राष्ट्रमण्डल खेल के आयोजन में कांग्रेस व मुख्य विपक्षीदल भाजपा ने मिलकर सत्तर हजार करोड़ रूपये का घोटाला किया। बड़े आठ घोटालों ने लगभग 50 हजार करोड़ रूपयों को हड़प लिया जिसमें सत्यम्, हर्षद मेहता स्टाम्प, तेल काण्ड प्रमुख हैं।
घोटालों का दूसरा रूप यह भी है कि वित्त मंत्री प्रणव कुमार मुखर्जी ने फाइनेन्स एक्ट 2009 में एक भाग 35 ए0डी0 अलग से जोड़ दिया, जिससे हिन्दुस्तान में एक मात्र लाभार्थी मुकेश अम्बानी को लगभग 20 हजार करोड़ रूपये का शु( फायदा हुआ। यह विधि बनाने व विधि में संसोधन करने का घोटाला है। विधायन संस्थाओं में टैक्स सम्बंधी संशोधन करके विभिन्न उद्योगपतियों को हजारों-हजार करोड़ रूपये का लाभ देकर दूसरे हाथ से चंदा लेने का काम पूँजीवादी राजनैतिक दल कर रहे हैं।
गरीबों को जब कोई छूट, बाढ़ या सूखा के समय दी जाती है तो हो हल्ला हंगामा बड़े बड़े विज्ञापन निकालकर ढिंढोरा पीटा जाता है। वहीं 2008-09 में हिन्दुस्तान के बड़े-बड़े पूँजीपतियों को 68 हजार 914 करोड़ रूपये की छूट दी गई। आम आदमी के कर्ज माफी से सात गुना ज्यादा रूपया देश में लगभग सौ धनाढ्य परिवारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिया गया है।
ट्रान्सपेरेसी इण्टरनेशनल के अनुसार सिर्फ ट्रक वालों से आर0टी0ओ0 व पुलिस विभाग 22 हजार 200 करोड़ रूपये घूस वसूलती है। बड़ौत कोतवाली में अन्दर जाने वाले व्यक्ति से 50 रुपये वसूले जाने के बाद पुलिस वालों की आपसी कहासुनी में यह मामला प्रकाश में आया कि थाने के अन्दर जाने के लिए इण्ट्री फीस होती है। पुलिस 25 लाख बी0पी0एल0 परिवारों से लगभग 214 करोड़ रूपये घूस वसूलती है। पुलिस विभाग में प्रत्येक कार्य के लिए घूस के मद हैं। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यकता पड़ने पर अपनी शक्ति के अनुसार घूस देनी है।
शहर के एक हत्याकाण्ड में पुलिस व राजस्व के अधिकारियों ने लगभग 40 लाख रूपये वसूले। मोहल्ले में लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई और सामान को लूटा भी गया। एक छोटी सी लूट या चोरी होने पर पुलिस की लाटरी निकल आती है। शक के आधार पर 30 या 40 बच्चों को थाने में बन्द करके पिटाई करना और फिर उनके अभिभावकों से उनकी शक्ति के अनुसार वसूली की जाती है और पैसा न देने वाले बच्चों का चालान सम्बंधित अपराध में कर दिया जाता है। प्रिन्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया इन मामलों में भरपूर सहयोग करती है। पुलिस के बताने पर मय फोटो फर्जी बरामदगी के साथ प्रकाशित किया जाता है। इलेक्ट्रानिक चैनल 24 घण्टे बार-बार समाचार प्रसारित कर खूँखार अपराधी घोषित कर देते हैं। आम्र्स लाइसेन्सेज में शपथ पत्र में तथ्य गलत होने पर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करने की बात मीडिया में आती है लेकिन जिस पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक या पुलिस अधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर शस्त्र लाइसेन्स जारी होता है उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। जबकि फर्जी शपथ पत्र उन्हीं की सलाह पर लोग लगाते हैं। यही हाल जनपद के कोटेदारों का है। तहसील और ब्लाक स्तर पर ही चावल और गेहूँ सीधे ब्लैक कर दिया जाता है और उत्पीड़न करने के लिए किसी न किसी कोटेदार से उसका सम्बन्ध जोड़ा जाता है। पूर्ति विभाग के किसी भी कर्मचारी व अधिकारी के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही नहीं करता है क्योंकि प्रशासन का भी उसमें हिस्सा होता है।
जनपद की विकास योजनाओं में घोटाले ही घोटाले हैं लेकिन जब कार्यवाही की बात आती है तो निर्वाचित प्रधान के खिलाफ होती है लेकिन उसमें शामिल पंचायत सेक्रेट्री व मुख्य विकास अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती है।
विद्युत विभाग से लेकर शिक्षा विभाग तक इस घोटाला प्रतियोगिता में जमकर हिस्सा ले रहे हैं। विद्युत विभाग के मीटर सेक्शन के इंजीनियर श्री खान बगैर 500 रूपये लिए हस्ताक्षर करना अपनी शान में गुस्ताखी समझते हैं, तो सिंचाई विभाग भी पीछे नहीं है वह माइनरों की सफाई न कर उसकी धनराशि हड़पकर जाने में आगे है और फर्जी सिंचाई दिखलाकर राजस्व विभाग किसानों की खाल उतरवाने में माहिर है।
राजस्व विभाग जो पुराने जमीनदारों के लट्ठबाजों द्वारा वसूली के अपनाएँ गये तरीकों से चार कदम आगे बढ़कर वसूली करता है या यूँ कहे वर्तमान में सूदखोरों के गुण्डे मारपीट कर अनाप शनाप रकम वसूलते हैं। राजस्व विभाग के पास आर0सी0 पहुँच जाए और सम्बंधित विभाग इसे वापस भी ले लो तो भी 10 प्रतिशत वसूली चार्ज करने के लिए राजस्व विभाग सम्बंधित व्यक्ति के घर में मिलेगा। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण माती क्षेत्र के बिजली विभाग की आर0सी0 की 10 प्रतिशत वसूली चार्ज के लिए राजस्व विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है जबकि मा0 उच्च न्यायालय अपने आदेश में कई बार कह चुका है कि 2 से 3 प्रतिशत से अधिक रिकवरी चार्ज नहीं वसूले जायेंगे।
अलाव घोटाले से लेकर कम्बल घोटाले तक चर्चा में है। वहीं विधवा विकलांग, वृ(ावस्था पेंशनों में भी घोटाले ही घोटाले हैं। स्थिति तो यहाँ तक पहुँच गयी है कि किसी मुर्दे को अगर अच्छा कफन ओढ़ाकर लोग लिए जा रहे हैं तो उसमें भी वसूली कर ली जाती है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सन् 2011 को भ्रष्टाचार विरोधी वर्ष मनाने का निर्णय लिया है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
घोटालों का दूसरा रूप यह भी है कि वित्त मंत्री प्रणव कुमार मुखर्जी ने फाइनेन्स एक्ट 2009 में एक भाग 35 ए0डी0 अलग से जोड़ दिया, जिससे हिन्दुस्तान में एक मात्र लाभार्थी मुकेश अम्बानी को लगभग 20 हजार करोड़ रूपये का शु( फायदा हुआ। यह विधि बनाने व विधि में संसोधन करने का घोटाला है। विधायन संस्थाओं में टैक्स सम्बंधी संशोधन करके विभिन्न उद्योगपतियों को हजारों-हजार करोड़ रूपये का लाभ देकर दूसरे हाथ से चंदा लेने का काम पूँजीवादी राजनैतिक दल कर रहे हैं।
गरीबों को जब कोई छूट, बाढ़ या सूखा के समय दी जाती है तो हो हल्ला हंगामा बड़े बड़े विज्ञापन निकालकर ढिंढोरा पीटा जाता है। वहीं 2008-09 में हिन्दुस्तान के बड़े-बड़े पूँजीपतियों को 68 हजार 914 करोड़ रूपये की छूट दी गई। आम आदमी के कर्ज माफी से सात गुना ज्यादा रूपया देश में लगभग सौ धनाढ्य परिवारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिया गया है।
ट्रान्सपेरेसी इण्टरनेशनल के अनुसार सिर्फ ट्रक वालों से आर0टी0ओ0 व पुलिस विभाग 22 हजार 200 करोड़ रूपये घूस वसूलती है। बड़ौत कोतवाली में अन्दर जाने वाले व्यक्ति से 50 रुपये वसूले जाने के बाद पुलिस वालों की आपसी कहासुनी में यह मामला प्रकाश में आया कि थाने के अन्दर जाने के लिए इण्ट्री फीस होती है। पुलिस 25 लाख बी0पी0एल0 परिवारों से लगभग 214 करोड़ रूपये घूस वसूलती है। पुलिस विभाग में प्रत्येक कार्य के लिए घूस के मद हैं। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यकता पड़ने पर अपनी शक्ति के अनुसार घूस देनी है।
शहर के एक हत्याकाण्ड में पुलिस व राजस्व के अधिकारियों ने लगभग 40 लाख रूपये वसूले। मोहल्ले में लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की गई और सामान को लूटा भी गया। एक छोटी सी लूट या चोरी होने पर पुलिस की लाटरी निकल आती है। शक के आधार पर 30 या 40 बच्चों को थाने में बन्द करके पिटाई करना और फिर उनके अभिभावकों से उनकी शक्ति के अनुसार वसूली की जाती है और पैसा न देने वाले बच्चों का चालान सम्बंधित अपराध में कर दिया जाता है। प्रिन्ट और इलेक्ट्रानिक मीडिया इन मामलों में भरपूर सहयोग करती है। पुलिस के बताने पर मय फोटो फर्जी बरामदगी के साथ प्रकाशित किया जाता है। इलेक्ट्रानिक चैनल 24 घण्टे बार-बार समाचार प्रसारित कर खूँखार अपराधी घोषित कर देते हैं। आम्र्स लाइसेन्सेज में शपथ पत्र में तथ्य गलत होने पर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करने की बात मीडिया में आती है लेकिन जिस पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक या पुलिस अधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर शस्त्र लाइसेन्स जारी होता है उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। जबकि फर्जी शपथ पत्र उन्हीं की सलाह पर लोग लगाते हैं। यही हाल जनपद के कोटेदारों का है। तहसील और ब्लाक स्तर पर ही चावल और गेहूँ सीधे ब्लैक कर दिया जाता है और उत्पीड़न करने के लिए किसी न किसी कोटेदार से उसका सम्बन्ध जोड़ा जाता है। पूर्ति विभाग के किसी भी कर्मचारी व अधिकारी के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही नहीं करता है क्योंकि प्रशासन का भी उसमें हिस्सा होता है।
जनपद की विकास योजनाओं में घोटाले ही घोटाले हैं लेकिन जब कार्यवाही की बात आती है तो निर्वाचित प्रधान के खिलाफ होती है लेकिन उसमें शामिल पंचायत सेक्रेट्री व मुख्य विकास अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती है।
विद्युत विभाग से लेकर शिक्षा विभाग तक इस घोटाला प्रतियोगिता में जमकर हिस्सा ले रहे हैं। विद्युत विभाग के मीटर सेक्शन के इंजीनियर श्री खान बगैर 500 रूपये लिए हस्ताक्षर करना अपनी शान में गुस्ताखी समझते हैं, तो सिंचाई विभाग भी पीछे नहीं है वह माइनरों की सफाई न कर उसकी धनराशि हड़पकर जाने में आगे है और फर्जी सिंचाई दिखलाकर राजस्व विभाग किसानों की खाल उतरवाने में माहिर है।
राजस्व विभाग जो पुराने जमीनदारों के लट्ठबाजों द्वारा वसूली के अपनाएँ गये तरीकों से चार कदम आगे बढ़कर वसूली करता है या यूँ कहे वर्तमान में सूदखोरों के गुण्डे मारपीट कर अनाप शनाप रकम वसूलते हैं। राजस्व विभाग के पास आर0सी0 पहुँच जाए और सम्बंधित विभाग इसे वापस भी ले लो तो भी 10 प्रतिशत वसूली चार्ज करने के लिए राजस्व विभाग सम्बंधित व्यक्ति के घर में मिलेगा। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण माती क्षेत्र के बिजली विभाग की आर0सी0 की 10 प्रतिशत वसूली चार्ज के लिए राजस्व विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है जबकि मा0 उच्च न्यायालय अपने आदेश में कई बार कह चुका है कि 2 से 3 प्रतिशत से अधिक रिकवरी चार्ज नहीं वसूले जायेंगे।
अलाव घोटाले से लेकर कम्बल घोटाले तक चर्चा में है। वहीं विधवा विकलांग, वृ(ावस्था पेंशनों में भी घोटाले ही घोटाले हैं। स्थिति तो यहाँ तक पहुँच गयी है कि किसी मुर्दे को अगर अच्छा कफन ओढ़ाकर लोग लिए जा रहे हैं तो उसमें भी वसूली कर ली जाती है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सन् 2011 को भ्रष्टाचार विरोधी वर्ष मनाने का निर्णय लिया है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
1 टिप्पणी:
समाज में जो चल रहा है उसपर जै हो जी
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