महात्मा गाँधी की समाधि राजघाट पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति की रक्षक पार्टी व भारतीय संसद में विपक्ष की नेत सुषमा स्वराज ने जमकर डांस किया। डांस करने का कारण यह था कि रामदेव के अनशन स्थल को सरकार ने डंडेबाजी कर भगा दिया था। भारतीय जनता पार्टी को यह लगा कि केंद्र सरकार में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के इस अलोकतांत्रिक कृत्य से जनता नाराज होकर उसको गद्दी सौंप देगी। उसी ख़ुशी में विपक्ष की नेता और उनके साथियों ने राजघाट पर डांस किया जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकांश घोटालों में भाजपा के नेता भी शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण घूस लेते हुए टेलीविजन पर दिखाए गए थे। भ्रष्टाचार के मामलों में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस का आईने में प्रतिबिम्ब ही है।
रामदेव ने पुलिस को देखते ही मंच से कूदकर औरतों की पोशाक धारण कर भागने का प्रयास किया था। अगर जरा सा भी नैतिक साहस रामदेव में पैदा हुआ होता तो शांति पूर्वक सत्याग्रहियों में उनका सम्मान के साथ नाम जुड़ जाता लेकिन न रामदेव के पास सत्य का आग्रह ही था न नैतिक बल ही और अब वह केंद्र सरकार को माफ़ कर रहे हैं क्यूंकि सरकार ने प्रतिशोध की भावना से ही सही उनकी जांच शुरू करने की धमकी दे दी है। उसी तरह से उनके समर्थक दल राजघाट की समाधि स्थल को भी डांस स्थल के रूप में तब्दील कर रहे हैं और जब गाँधी की जरूरत थी तो गाँधी वध भी किया था। ये दोहरापन जनसामान्य की समझ से बाहर है। राजनीतिक लाभ के लिये भ्रष्टाचारियों के समूहों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन चलाया जा रहा है ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सार्थक मुहीम न चलने पाए। आज जरूरत इस बात की है जनता ही आगे आवे और वही इस आन्दोलन को चला सकती है और उसी की जीत होगी।
रही बात सुषमा स्वराज की तो सत्ता पाने की दिशा का बोध होते ही वह मदमस्त हो गयीं और डांस करने लगी वह भी राज घाट पर। उन्होंने प्रतिपक्ष की नेता की मर्यादा को भी तार-तार कर दिया सिर्फ इतना ही कहना काफी है उनके लिये।
रामदेव ने पुलिस को देखते ही मंच से कूदकर औरतों की पोशाक धारण कर भागने का प्रयास किया था। अगर जरा सा भी नैतिक साहस रामदेव में पैदा हुआ होता तो शांति पूर्वक सत्याग्रहियों में उनका सम्मान के साथ नाम जुड़ जाता लेकिन न रामदेव के पास सत्य का आग्रह ही था न नैतिक बल ही और अब वह केंद्र सरकार को माफ़ कर रहे हैं क्यूंकि सरकार ने प्रतिशोध की भावना से ही सही उनकी जांच शुरू करने की धमकी दे दी है। उसी तरह से उनके समर्थक दल राजघाट की समाधि स्थल को भी डांस स्थल के रूप में तब्दील कर रहे हैं और जब गाँधी की जरूरत थी तो गाँधी वध भी किया था। ये दोहरापन जनसामान्य की समझ से बाहर है। राजनीतिक लाभ के लिये भ्रष्टाचारियों के समूहों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन चलाया जा रहा है ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सार्थक मुहीम न चलने पाए। आज जरूरत इस बात की है जनता ही आगे आवे और वही इस आन्दोलन को चला सकती है और उसी की जीत होगी।
रही बात सुषमा स्वराज की तो सत्ता पाने की दिशा का बोध होते ही वह मदमस्त हो गयीं और डांस करने लगी वह भी राज घाट पर। उन्होंने प्रतिपक्ष की नेता की मर्यादा को भी तार-तार कर दिया सिर्फ इतना ही कहना काफी है उनके लिये।
मोहे आई न जग से लाज मैं इतना ज़ोर से नाची आज के घुंघरू टूट गए
6 टिप्पणियां:
दोनों ओर से बचकानापन देखने को मिल रहा है. बल्कि इन परिस्तिथियों मे बी जे पी सशक्त हो जनता का विश्वास बन सकती है. पर, बदकिस्मती वहां भी कमान सही हाथों मे नहीं.
कहने की जल्दीबाजी मे क्या कह रहें हैं इसका ध्यान रखें. सुषमा क्युं नाची ये पता करें? और आपको नाचना इतना हेय कर्म क्यों लगता है? क्या आप नहीं नाचते अगर नहीं तो नाचिये मन स्वस्थ रहेगा ऐसी नर्गल बाते भी ना सुझेंगी...
उसी तरह से उनके समर्थक दल राजघाट की समाधि स्थल को भी डांस स्थल के रूप में तब्दील कर रहे हैं और जब गाँधी की जरूरत थी तो गाँधी वध भी किया था।
राजघाट जैसा था वैसा ही है और बरसों से है बस वहां पर शीश नवा कर देश के उद्धार का दंभ भरने वाली पार्टियां और लोग उनके आदर्शों को खुले आम चूर कर रहे हैं वे नग्न हो कर पूरे देश में नाच रहे हैं फ़िर सुषमा ...शीला मुन्नी के गाने पर नहीं ...देशभक्ति के गीतों पर नाच रही थीं । और हां इस देश को गांधी की जरूरत कभी नहीं थी न उनके वध से पहले न ही उनके वध के बाद , ऐसा मेरा अपना सोचना है
ऐसा लगता है देश में बेशर्मी का वर्ल्ड कप चल रहा है और ये सब उसके प्रतिभागी मात्र हैं।
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बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
मान्यवर भाजपा को भारतीय सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करने वाली पार्टी न कहें.भाजपा भारतीय सभ्यता और संस्कृति को दूषित करके ,उसका शोषण करके जनता को मूर्ख बनाने वाली पार्टी है.इस पार्टी के छोटे कार्यकर्ता से भी भलमनसाहत की उम्मीद नहीं है,फिर सुषमा स्वराज तो बड़े नेताओं में हैं उतनी ही बड़ी गलतियाँ करने का उनका अनुभव है जिसका प्रदर्शन फूहड़ ढंग से किया है.
B.J.P.ki bhartiya sanskriti ka namuna hai sushma ka danch..
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