मंगलवार, 2 अगस्त 2011

भगत सिंह को फाँसी शोभा सिंह का सच



सुप्रसिद्ध पत्रकार, स्तंभकार, 97 वर्षीय ख़ुशवंत सिंह ने अपने कालम बुरा मानो या भला में बड़ी मासूमियत से लिखा है की भगत सिंह वा उनके साथी संसद में चल रही बहस क दरमियाँ उनके पिता शोभा सिंह दर्शक दीर्घा में बैठे थे. बहस बहुत उबोउ थी इसलिए मेरे पिता ने दर्शक दीघा ने अख़बार निकाला और उसे पढ़ने लगे अचानक पिस्टल चलने वा बम क ध्यमके की आवाज़ सुनी वहाँ बैठे हुए लोग भाग गये. रह गये मेरे पिता और दो क्रांतिकारी जब पुलिस उन्हे गिरफ्तार करने आई तो दोनो क्रांतिकारियों ने कोई विरोध नही किया मेरे पिता ने जुर्म इतना किया था की उन्होने कोर्ट में दोनो की पहचान की थी दरअसल मेरे पिता ने सिर्फ़ सच कहा था सच क सिवा कुछ भी नही फिर भी मीडिया ने शहीदों की फाँसी से उन्हे जोड़ दिया सच मुच उनका क्रांतिकारियों की फाँसी से कोई लेना-देना नही था. वह एक ऐसे आदमी पर कीचड़ उच्छालना है जो अपना बचाव करने क लिए दुनिया में नही है.

शोभा सिंह ने न्यायालय में सच कहा यही लोग बम फेंकने वाले थे जबकि ख़ुशवंत जी क अनुसार वह अख़बार पढ़ रहे थे और अपने बगल में बैठे दोनो कार्तिकारियों को पिस्टल चलते हुए या बम फेंकते हुए नही देखा था जबकि वास्तविकता यह है की सादीलाल वा शोभा सिंह की चस्मडीद गवाही के आधार पर ही भगत सिंह वा उनके साथियों को सज़ा हुई थी फाँसी की सज़ा क साथ ठेकेदार शोभा सिंह सर शोभा सिंह हो गये और सादीलाल भी सर सादीलाल हो गये और करोड़ो रुपये की परिसंपत्तियाँ अंग्रेज़ो से प्राप्त की ठेकेदार कभी सच क सिवा कुछ ग़लत बोलता ही नही है.

सुमन लोकसंघर्ष

6 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बचाव में पिता नहीं पुत्र तो उपस्थित है।

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

जिनहोने आजादी के लिए कुर्बानियाँ दी वे और उनके उत्तराधिकारी अब भी उपेक्षित हैं। लेकिन जिनहोने ब्रिटिश शासकों का साथ दिया वे तब भी आनद से थे और उनकी सन्तानें आज भी आनंदमय हैं।
यह जनता का फर्ज है स्थिति मे अब सुधार करे।
शोभा सिंह और खुशवंत सिंह की भरपूर निंदा 28 सितंबर 2011 को शहीद भगत सिंह के जन्म दिन पर जोरदार ढंग से करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

रविकर ने कहा…

KHUSHVANT SINGH JIVAN BHAR DUSRON KI KHICHAAI HI KARTE RAHE ||

ACHCHHE HI NAHI BAHUT ACHCHHE LEKHAK VISHLESHAK HAIN ||

PAR
PAR YAHAN ACHCHHE HI NAHI BAHUT ACHCHHE PUTR HAIN ||

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

देश में गद्दारों की न तब कमी थी न अब है ..

Gyan Darpan ने कहा…

ये खुशवंत की मासूमियत नहीं बेशर्मी है |

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

खबर तो पहले से भड़ास पर पढ़ चुका हूँ लेकिन आपका भी ध्यान है, इसलिए धन्यवाद।

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