आई बी पर व्यावहारिक रूप से आर एस एस के पूर्ण नियंत्रण के बाद उसने आर एस एस के एजेंडे को बड़ी तत्परता के साथ इस तरह कार्यान्वित करना शुरू किया जैसे वह कोई सरकारी संगठन न हो बल्कि आर एस एस का ही कोई अंग हो। आर एस एस को एक राष्ट्र हितैषी संगठन के रूप में सामने लाने और वामपंथियों को देशद्रोही व मुसलमानों को रुढ़िवादी, आतंकवादी और देश-विरोधी संप्रदाय ठहराने के अपने उद्देश्य में वह पूरी तरह सफल हो चुकी है।
उसने इसके लिये निम्न तरीके अपनाकर 'सच्चाई को दबाव, झूठ को सच बना कर प्रस्तुत करो' की नीति पर काम किया :
१. आई बी ने सरकार को आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनो की सांप्रदायिक गतिविधियों, विदेशों से भारी मात्रा में धन की प्राप्ति, सामाजिक, शैक्षिणिक और संस्कृतिक संस्थाओ और मीडिया में उनकी घुसपैठ से और उस सांप्रदायिक जहर से जो पूरे देश में वे अपनी हजारों शाखाओं के माध्यम से दिन-रात फैलाते रहे हैं, अँधेरे में रखा और इसके बजाय आर एस एस को एक 'राष्ट्र प्रेमी संगठन' के रूप में प्रस्तुत किया। यह बात उन रिपोर्टों के अध्ययन और विश्लेषण से जाहिर हो जाती है जो आई बी ने पिछले कुछ सालों में सरकार को दी है।
२. आई बी ने वामपंथी दलों और मुस्लिम संस्थाओं व सेकुलर संगठनो के बारे में एक बिल्कुल ही उलटी नीति अपनाई। उसने उनकी गतिविधियों के बारे में बहुत बढ़ा चढ़ा कर और कभी झूठी सूचनाएं सरकार को दी, हालाँकि उनकी गतिविधियाँ आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनो की सरगरमियों के मुकाबले में राष्ट्र के लिये कुछ भी हानिकारक नहीं रही। केंद्र में सत्ता में आने वाली हर सरकार ने, जो कि सूचनाओं के लिये पूरी तरह आई बी पर निर्भर है, उन रिपोर्टों पर भरोसा किया और वामपंथियों व धर्मनिरपेक्ष संगठनो को 'चरमपंथी' या आतंकवादी ठहरा कर उनकी कानूनी गतिविधियों तक में रुकावटें कड़ी की और इस तरह उन्हें किनारे लगाया।
एस एम मुशरिफ़
पूर्व आई जी पुलिस
महाराष्ट्र
मो 09422530503
उसने इसके लिये निम्न तरीके अपनाकर 'सच्चाई को दबाव, झूठ को सच बना कर प्रस्तुत करो' की नीति पर काम किया :
१. आई बी ने सरकार को आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनो की सांप्रदायिक गतिविधियों, विदेशों से भारी मात्रा में धन की प्राप्ति, सामाजिक, शैक्षिणिक और संस्कृतिक संस्थाओ और मीडिया में उनकी घुसपैठ से और उस सांप्रदायिक जहर से जो पूरे देश में वे अपनी हजारों शाखाओं के माध्यम से दिन-रात फैलाते रहे हैं, अँधेरे में रखा और इसके बजाय आर एस एस को एक 'राष्ट्र प्रेमी संगठन' के रूप में प्रस्तुत किया। यह बात उन रिपोर्टों के अध्ययन और विश्लेषण से जाहिर हो जाती है जो आई बी ने पिछले कुछ सालों में सरकार को दी है।
२. आई बी ने वामपंथी दलों और मुस्लिम संस्थाओं व सेकुलर संगठनो के बारे में एक बिल्कुल ही उलटी नीति अपनाई। उसने उनकी गतिविधियों के बारे में बहुत बढ़ा चढ़ा कर और कभी झूठी सूचनाएं सरकार को दी, हालाँकि उनकी गतिविधियाँ आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनो की सरगरमियों के मुकाबले में राष्ट्र के लिये कुछ भी हानिकारक नहीं रही। केंद्र में सत्ता में आने वाली हर सरकार ने, जो कि सूचनाओं के लिये पूरी तरह आई बी पर निर्भर है, उन रिपोर्टों पर भरोसा किया और वामपंथियों व धर्मनिरपेक्ष संगठनो को 'चरमपंथी' या आतंकवादी ठहरा कर उनकी कानूनी गतिविधियों तक में रुकावटें कड़ी की और इस तरह उन्हें किनारे लगाया।
एस एम मुशरिफ़
पूर्व आई जी पुलिस
महाराष्ट्र
मो 09422530503
3 टिप्पणियां:
सत्य के उदघाटन के लिए बहौत-बहौत धन्यवाद।
बस एक सवाल है कि यह रिपोर्ट अब क्यों? पिछले कई साल से क्यों नहीं?
ye kyu nhi khte IB ke alawa baki ka congresikaran ho gya hai, sbhi jante hai apko kitne pese mile
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