शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

फैसला कीजिये : मोदी बड़े या अडवाणी


हिन्दुवत्व वादी खेमे के सबसे बड़े राजीनीतिक दल में अडवाणी बड़े या मोदी को लेकर घमासान चल रहा है और हिन्दुवत्व वादी तत्व संशय की स्तिथि में हैं। अडवाणी जी ने पहले अपनी रथ यात्रा निकाल कर जनता दल की सरकार को ध्वस्त कर दिया था और फिर बाद में बाबरी मस्जिद ध्वंस करा कर पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे करवाए थे लेकिन पाकिस्तान यात्रा के दौरान जिन्ना की मजार पर जाकर उनका गुणगान भी किया था वहीँ दूसरी तरफ टनाटन हिन्दुवत्व वादी नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। गोधरा ट्रेन कांड के बाद पूरे गुजरात में भारतीय नागरिकों का कत्ले आम कराया था और अब उनके खिलाफ मुंह खोलने वाले आई.पी.एस अफसर संजीव भट्ट निलंबित होकर जेल की हवा खा रहे हैं। डी.डी बंजारा के समय गुजरात में आतंकवाद के नाम पर सरेआम नौजवानों को गोलियों से एनकाउंटर के नाम पर मार डाला गया था लेकिन हिन्दुवत्व वादी नरेंद्र मोदी जी का ह्रदय जरा सा भी नहीं पिघला। नरेंद्र मोदी साहब ने अभी कुछ दिन पूर्व सद्भावना उपवास किया था और एक चापलूस ने इस्लामी टोपी लगाने के लिये भेट की तो उन्होंने सख्ती से मना कर दिया। अडवाणी जी अगर होते तो टोपी अवश्य लगा लेतेअब फैसला हिन्दुवत्व वादी शक्तियों को करना है कि उनका नेता मोदी है या अडवाणी ?

सुमन
लो क सं घ र्ष !

6 टिप्‍पणियां:

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

हमें तो कोई मंजूर नहीं। लेकिन अगर चुनना पड़ा तब मोदी से पहले आडवाणी।

Arvind Mishra ने कहा…

बिना भूमिका मोदी

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

दोहों के आगे दोहा
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सबके अपने रंग थे, सबके अपने ढंग।
बैठा था सतसंग में, "सच" असहाय - अपंग॥
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हर विचार पर कीजिए, पहले सोंच - विचार।
हितकर बहु-जन के लिए, अथवा छ्द्म प्रचार॥
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श्यामल सुमन ने कहा…

रामचरित मानस की ये पंक्ति याद आयीं सुमन भाई कि -- "को बड़ छोट कहत अपराधू"

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

दोनों के लिए अरब सागर उत्तम स्थान है।

Unknown ने कहा…

न अब मोदी न अब अडवानी न ही मनमोहनए सबको परखने के बाद भारतीय जनता को चाहिए अब परखे कम्युनिस्टों को

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